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Jammu: जन सेवा को ही बना दिया धर्म, पहले राशन मैन और अब बन गए ऑक्सीजन मैन

जम्मू की सबसे बड़ी थोक अनाज मंडी के प्रधान दीपक गुप्ता ऐसी ही शख्सियत है जो जरूरतमंदों की मदद के लिए हमेशा तत्पर रहते है। पिछले साल जब कोरोना महामारी आई तो लॉकडाउन से शहर में सैकड़ों घरों के चूल्हें ठंडे पड़ने लगे।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Sun, 16 May 2021 02:20 PM (IST)Updated: Sun, 16 May 2021 02:20 PM (IST)
Jammu: जन सेवा को ही बना दिया धर्म, पहले राशन मैन और अब बन गए ऑक्सीजन मैन
पिछले पखवाड़े से वह जरूरतमंदों तक ऑक्सीजन सिलेंडर पहुंचा रहे है ताकि कोई ऑक्सीजन की कमी से दम न तोड़े।

जम्मू। कहते है, इंसान वहीं जो जरूरत में दूसरे इंसान के काम आए। कोरोना की इस वैश्विक महामारी में जब चंद व्यापारी कालाबाजारी करके मुनाफा कमाने से बाज नहीं आ रहे, वहीं जम्मू शहर में कुछ व्यापारी ऐसे भी है, जो मुश्किल दौर में एकजुट होकर जरूरतमंदों की मदद के लिए आगे आ जाते है।

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जम्मू की सबसे बड़ी थोक अनाज मंडी के प्रधान दीपक गुप्ता ऐसी ही शख्सियत है जो जरूरतमंदों की मदद के लिए हमेशा तत्पर रहते है। पिछले साल जब कोरोना महामारी आई तो लॉकडाउन से शहर में सैकड़ों घरों के चूल्हें ठंडे पड़ने लगे। तब दीपक गुप्ता ट्रेडर्स फेडरेशन वेयर हाउस-नेहरू मार्केट के महासचिव थे और उन्होंने सबको एकजुट करके गरीबों के लिए निश्शुल्क राशन की व्यवस्था की। दीपक गुप्ता ने खुद की दुकान को सेवा केंद्र बना दिया और रोजाना सैकड़ों लोगों को यहां से राशन सप्लाई होता रहा।

उस समय दीपक गुप्ता को राशन मैन का नाम दिया गया। इस बार कोरोना महामारी की दूसरी लहर में मानवता पर फिर संकट आया तो दीपक गुप्ता दोबारा सामने आ गए। लोगों को ऑक्सीजन के लिए दरबदर होता देख दीपक गुप्ता ने इस बार अपने फेडरेशन कार्यालय को ही ऑक्सीजन वॉर रूम बना दिया है। पिछले एक पखवाड़े से वह जरूरतमंदों तक ऑक्सीजन सिलेंडर पहुंचा रहे है ताकि कोई ऑक्सीजन की कमी से दम न तोड़े।

वेयर हाउस फेडरेशन इस समय अपने सामाजिक दायित्व के तहत और क्या काम कर रही है, यह जानने के लिए दैनिक जागरण संवाददाता ललित कुमार ने बात की दीपक गुप्ता से विशेष बातचीत। पेश है इस बातचीत के मुख्य अंश :

प्र. पिछले साल आपने राशन बांटा। अब आप ऑक्सीजन सिलेंडर दे रहे हैं। ऐसी सोच कैसे आती है?

ऊ. मेरी एक ही कोशिश होती है कि लोगों के लिए कुछ कर सकू। पिछले साल मैने देखा कि लोग बेरोजगारी के कारण दो वक्त की रोटी के लिए दरबदर हो रहे हैं। इसलिए हमने मुफ्त राशन बांटना शुरू किया। कई महीनों तक हम प्रशासन की मदद से लोगों में राशन बांटते रहे। इस बार मैने देखा कि अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी है और जो लोग घरों में आइसोलेट है, वो ऑक्सीजन सिलेंडर पाने के लिए दरबदर की ठोकरें खा रहे हैं। इसलिए मैने अपने फेडरेशन कार्यालय को ऑक्सीजन वॉर रूम बनाने का फैसला किया।

प्र. आज आपके पास कितने सिलेंडर है? आप और क्या मदद कर रहे हैं?

ऊ. हमारे पास इस समय करीब 120 सिलेंडर उपलब्ध है। पिछले कुछ दिनों में काफी सिलेंडर लोगों को दिए भी गए है। इस समय लोगों को ऑक्सी फ्लो मीटर भी नहीं मिल रहे। हमने वो भी रखे हैं। जिसे जरूरत हो, वो हमसे संपर्क कर सकता है। इसके अलावा बाईपैप मशीने भी उपलब्ध है। अगर किसी को जरूरत हो तो वो संपर्क कर सकता है। इसके अलावा जो लोग इस बीमारी में दवाईयां खरीदने में सक्षम नहीं, हम उन्हें दवाईयां भी उपलब्ध करवा सकते हैं। कम शब्दों में कहूं तो किसी को कोई भी मदद चाहिए तो वह संपर्क कर सकता है। पूरी फेडरेशन इस समय अपने जम्मूवासियों की मदद करने के लिए तैयार है। अगर किसी को राशन चाहिए तो वो हमसे ले सकता है। हमने अभी तक कई कैंप लगाकर मॉस्क व सैनिटाइजर भी बांटे हैं। फिलहाल लॉकडाउन है, लिहाजा ऐसे कैंप तो नहीं लगा सकते लेकिन अगर किसी को जरूरत है तो वह संपर्क कर सकता है। हमारे पास इसका भी पर्याप्त स्टॉक है और सब बांटने के लिए लाया गया है।

प्र. ऑक्सीजन सिलेंडर लेने के लिए कोई औपचारिकता पूरी करनी पड़ती है?

ऊ. देखे, इस समय सारी ऑक्सीजन सप्लाई सरकार को सीधी भेजी जा रही है। बाजार में उपलब्धता नहीं है। हमने देखा कि कई ऐसे मरीज है जिन्हें कोविड तो नहीं लेकिन अपनी अन्य बीमारियों के चलते वह पहले से ही घरों में ऑक्सीजन स्पोर्ट पर थे। ऐसे लोगों को काफी परेशानी आ रही थी। लिहाजा हमने कहा है कि अगर ऐसा भी कोई मरीज है तो उसके परिजन डाक्टर की पर्ची दिखाकर हमसे सिलेंडर ले सकता है। जहां तक कोविड-19 मरीजों की बात है तो मरीज की रिपोर्ट व ऑक्सीजन लगाने संबंधी डाक्टर की पर्ची दिखाकर हमसे सिलेंडर ले सकता है।

प्र. आप पिछले एक साल से कोरोना महामारी में लगातार सेवा कर रहे हैं, कोई संदेश देना चाहेंगे?

ऊ. मै सिर्फ इतना ही कहना चाहता हूं कि समाज के हर इंसान को अपनी क्षमता के अनुसार इस समय सहयोग के लिए आगे आना चाहिए। जिससे जितना हो सके, उतना करना चाहिए। यह मुश्किल का दौर है और हम सब मिलकर ही यह लड़ाई जीत सकते हैं। मै शुक्रगुजार हूं प्रभु का जिसने मुझे दूसरों की मदद करने में सक्षम बनाया। मेरी यहीं अपील है कि अगर आप एक परिवार को एक दिन का भोजन करवा सकते है तो जरूर करें। हमारी यहीं कोशिश होनी चाहिए कि हमारे शहर, हमारे आसपास कोई भूखा न सोये और ऑक्सीजन या किसी अन्य उपचार के इंतजार में दम न तोड़े। हम सब मिलकर थोड़ा-थोड़ा करेंगे तो इस मुसीबत से उभर पाएंगे। 


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