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Lok Sabha Election 2019: जम्मू-कश्मीर के हर मतदान केंद्र में उपलब्ध होगी वीवीपैट

राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी कार्यालय की तरफ से लोकसभा चुनाव के मद्देनजर मीडिया कर्मियों के लिए ईवीएम और वीवीपैट मशीनों की जागरूकता बारे कार्यशाला आयोजित की गई।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Fri, 15 Mar 2019 05:28 PM (IST)Updated: Fri, 15 Mar 2019 05:28 PM (IST)
Lok Sabha Election 2019: जम्मू-कश्मीर के हर मतदान केंद्र में उपलब्ध होगी वीवीपैट
Lok Sabha Election 2019: जम्मू-कश्मीर के हर मतदान केंद्र में उपलब्ध होगी वीवीपैट

जम्मू, राज्य ब्यूरो। संसदीय चुनाव में जम्मू कश्मीर के हर मतदात केंद्र में वोटर वेरीफिऐबल पेपर आडिट ट्रेल (वीवीपैट) मशीन उपलब्ध होगी। जिस तरह से एटीएम मशीन से स्लिप निकलती है, उसी तरह से वीवीपैट से स्लिप निकलेगी। इस स्लिप से मतदाताओं को पता चल जाएगा कि उन्होंने अपना वोट किस उम्मीदवार को डाला है। स्लिप मतदाताओं को नहीं मिलेगी। यह कट कर मशीन के सुरक्षित सीलयुक्त हिस्से में संरक्षित हो जाएगी। मतदाताओं को इसके लिए जागरूक होना चाहिए। सात सेकेंड के लिए मशीन पर दिखाई देगा कि मतदाता ने किस उम्मीदवार को वोट डाला है।

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राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी कार्यालय की तरफ से लोकसभा चुनाव के मद्देनजर मीडिया कर्मियों के लिए ईवीएम और वीवीपैट मशीनों की जागरूकता बारे कार्यशाला आयोजित की गई। भारतीय चुनाव आयोग के राष्ट्रीय स्तर के ट्रेनर और चाेकीचोरा के एसडीएम चांद किशोर शर्मा ने ईवीएम और वीवीपैट के इतिहास, उनके काम करने के तरीके से लेकर हर पहलू की जानकारी प्रेक्टिकल तरीके से दी। इन दोनों मशीनों काे चला कर बताते हुए उन्होंने कहा कि यह पूरी तरह से सुरक्षित है।

मशीन से आवाज नहीं आई, बत्ती नहीं बुझी, समझें वोट नहीं पड़ा

वीवीपैट से निकलने वाली स्लिप पर सीरियल नम्बर, उम्मीदवार का नाम और चुनाव चिन्ह होगा। अगर वोटर की स्लिप। नहीं निकली है, वोट डालने के बाद मशीन से आवाज नहीं आई, बत्ती नहीं बुझी, तो समझो वोट नहीं पड़ा है। वीवीपैट को पहली बार साल 2013 में शुरु किया गया था। इसका मकसद चुनावी प्रक्रिया में पूरी तरह से पारदर्शिता लाना था। यह ईवीएम के साथ जोड़ी जाती है। वीवीपैट मशीन पर जब स्लिप जारी होगा तो मतदाता यह देख सकता है कि उसने वोट किसे डाला है। बाद में स्लिप वीवीपैट मशीन के सील खाने में भर जाएगी।

वीवीपैट में सारा सिस्टम पारदर्शी है

चुनाव शुरु होने से पहले चुनाव आयोग के दिशा निर्देशों पर माॅक ड्रिल की जाती है। ईवीएम मशीने सार्वजनिक उपक्रम की दो कंपनियां बनाती है। एक ईवीएम मशीन पर अधिकतम 16 उम्मीदवारों के नाम तय होते है। अगर उम्मीदवार अधिक हो तो दूसरी मशीन को जोड़ा जाता है। उन्होंने मतदान प्रक्रिया बंद होने, मशीनों को बंद करने से लेकर सुरक्षित रखने, मतगणना के विभिन्न पहलुअों का जिक्र करते हुए कहा कि सारा सिस्टम पारदर्शी है।


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