Vaishno Devi yatra: वैष्णो देवी यात्रा मार्ग को स्वच्छ बना मिसाल पेश कर रहा श्राइन बोर्ड
विनय खजूरिया ने कहा श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड सभी चुनौतियों से निपट रहा यात्रा मार्ग को स्वच्छ बना मिसाल पेश कर रहा श्रइन बोर्ड
जम्मू, जेएनएन । प्रसिद्ध तीर्थस्थल माता वैष्णो देवी के दर्शन के लिए देश-विदेश से हर साल करीब 80 लाख श्रद्धालु पहुंचते हैं। ऐसे में यात्रा मार्ग पर गंदगी भी फैलती है। यात्रा मार्ग पर घोड़ों की लीद को ठिकाने लगाने के साथ-साथ पर्यावरण को नुकसान होने से बचाना बड़ी समस्या थी, लेकिन श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड इन समस्याओं का समाधान कर स्वच्छता का मिसाल पेश कर रहा है।
घोड़ों की लीद से खाद और बायो गैस बनाने से लेकर गटरों के पानी के ट्रीटमेंट से पर्यावरण को होने वाले नुकसान को भी बोर्ड रोक रहा है। इसके लिए श्राइन बोर्ड को स्वच्छता आइकॉन अवार्ड भी मिल चुका है। यात्रा मार्ग पर स्वच्छता को लेकर किए जा रहे प्रयासों के बारे में श्राइन बोर्ड में असिस्टेंट कंजरवेटर ऑफ फॉरेस्ट विनय खजूरिया ने दैनिक जागरण के वरिष्ठ संवाददाता सुरेंद्र सिंह से बातचीत की।
श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड के लिए स्वच्छता को लेकर सबसे बड़ी चुनौती क्या थी?
श्री माता वैष्णो देवी श्रइन बोर्ड के सामने सबसे बड़ी चुनौती यात्रा मार्ग पर घोड़ों की लीद थी, जिसे ठिकाने लगाना बड़ी समस्या थी। इस चुनौती से निपटने के लिए बोर्ड ने लीद से खाद तैयार करने की योजना बनाई। लीद से खाद तैयार हुई। इसे सब्जियों को उगाने में इस्तेमाल किया गया तो परिणाम अच्छे आए। अब इस खाद को लेने लोग कतार में रहते हैं।
श्रद्धालुओं और पर्यावरण संरक्षण के बीच बोर्ड कैसे तालमेल बिठा रहा है?
श्राइन बोर्ड का प्रयास रहता है कि अधिक से अधिक श्रद्धालु माता वैष्णो देवी के दर्शनों के लिए आएं। पर्यावरण को नुकसान न हो, इसका भी ख्याल रखा जाता है। बोर्ड ने कटड़ा व यात्रा मार्ग पर टॉयलेट ब्लॉक के पानी के ट्रीटमेंट के भी पूरे बंदोबस्त किए हैं। पानी का बायो प्रोडक्ट से ट्रीटमेंट के बाद ही छोड़ा जाता है। हर टॉयलेट ब्लॉक में सीवरेज प्लांट लगाए हैं।
श्राइन बोर्ड पथरीले पहाड़ों पर पौधरोपण कैसे कर रहा है?
इसके लिए श्रइन बोर्ड तेल, घी के पुराने कनस्तरों का पथरीले पहाड़ों पर पौधे लगाने के लिए इस्तेमाल कर रहा है। पहले खाली कनस्तरों में पौधे लगाए जाते हैं। जब पौधा कनस्तरों में तैयार हो जाता है तो उस कनस्तर को पथरीले पहाड़ों में गड्ढा खोदकर गाड़ दिया जाता है। पौधा कनस्तर में बढ़ता हुआ पेड़ का रूप ले लेता है। कुछ समय बाद उसकी जड़ें कनस्तर को तोड़ पत्थरों में चली जाती हैं। इससे पौधा भी सुरक्षित रहता है।
बायो गैस कैसे बना रहे है?
बायो गैस को घोड़ों की लीद और फूड वेस्ट की मदद से तैयार किया जा रहा है। फूड वेस्ट को खुले में नहीं फेंका जा रहा है। इसे एक जगह इकट्ठा किया जा रहा है और फिर उससे बायो गैस बनाई जा रही है।
यात्रा मार्ग पर सफाई की व्यवस्था कैसे की जा रही है?
यात्रा मार्ग पर मैकेनाइज क्लीनिंग की जा रही है। वैक्यूम क्लीनरों की भी मदद ली जाती है। बाणगंगा की भी नियमित सफाई की जाती है। डस्टबीन लगाए गए हैं।
पारदर्शिता कैसे बरत रहे हैं?
श्राइन बोर्ड कामर्शियल दुकानों की ई-टेंडरिंग कर रहा है। घोड़े, पिट्ठुओं को रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन डिवाइस (आरएफआइडी) टैग दिए गए हैं। इससे उनकी लोकेशन की भी जानकारी मिलती रहती है।