जम्मू : नगरपालिका ने नहीं सुध ली तो लोगों ने खुद बनाई गली, बिश्नाह के लोगाें ने सरकार को दिखाया आइना
नगर पालिका अध्यक्ष राजन शर्मा ने कहा कि इस गली को बनाने की मांग तीन दिन पहले दो लोगों ने आकर उनके सामने रखी थी। शनिवार व रविवार को वीकेंड लाकडाउन था। ऐसे में नगर पालिका कैसे गली का निर्माण करवाता।
बिश्नाह, संवाद सहयोगी : सरकार के तमाम वादे किस तरह धरे के धरे रह जाते हैं, इसका जीता जागता उदाहरण बिश्नाह का वार्ड नंबर तीन है। यहां रहने वाले लोग वर्षों से वार्ड की एक गली बनाने की मांग कर रहे थे, लेकिन हर बार उनको निराशा ही हाथ लगी। नगरपालिका से लेकर जनप्रतिनिधियों तक उन्होंने अपनी आवाज पहुंचाने की कोशिश की, लेकिन जब कहीं से कोई सुनवाई नहीं हुई तो उन्होंने खुद ही गली का निर्माण करने का फैसला लिया। इसके साथ ही उन्होंने आपस में चंदा जुटाकर गली का निर्माण शुरू कर दिया। कुछ ही दिन में उन्होंने तीन सौ मीटर लंबी गली का काम लगभग पूरा कर लिया।
वार्ड तीन के रहने वाले जोङ्क्षगदर कुमार ने बताया कि उन्होंने कई बार नगरपालिका अधिकारियों से गली बनाने की फरियाद की, लेकिन उनको हर बार आश्वासन ही मिला। सबका साथ सबका विकास का नारा लगाने वाली भाजपा सरकार के नेताओं से भी कई बार इस मामले में मदद करने की अपील की, लेकिन जब कुछ नहीं हुआ तो वार्ड के लोगों ने आपस में चंदा जुटाया और गली का काम शुरू करवा दिया। उन्होंने कहा कि नगरपालिका वाले अपने हथौड़े लेकर गरीबों के घर, रेहडिय़ां तोडऩे आ जाते हैं, लेकिन उनको जनता की समस्याओं का समाधान करने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखती। वहीं, नगर पालिका अध्यक्ष राजन शर्मा ने कहा कि इस गली को बनाने की मांग तीन दिन पहले दो लोगों ने आकर उनके सामने रखी थी। शनिवार व रविवार को वीकेंड लाकडाउन था। ऐसे में नगर पालिका कैसे गली का निर्माण करवाता।
बारिश होने पर नहर में तब्दील हो जाती थी गली : वार्ड के निवासी शशि सलाथिया ने कहा कि यह गली बरसात के दिनों में नहर बन जाती थी। ऐसे में यहां से आना-जाना दुश्वार हो जाता था। कई बार हमने अपने वार्ड मेंबर सुरेंद्र ङ्क्षसह, नगर पालिका अध्यक्ष व नगर पालिका के कार्यकारी अधिकारी को इस गली के बारे में अवगत करवाया, लेकिन हर बार प्लान बनाने की बातें होती रहीं। वर्षों बीत गए लेकिन नगर पालिका का प्लान मंजूर नहीं हुआ। ऐसे में हमारे पास यही रास्ता था कि हम खुद ही गली बनाएं। उन्होंने कहा कि नगर पालिका में आम लोगों की बात नहीं सुनी जा रही है।