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JK Land Scam: जम्‍मू-कश्‍मीर में लीज पर ली गई जमीन पर मरम्मत या निर्माण से पहले वीडियोग्राफी हुई अनिवार्य

जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में लीज पर ली सरकारी जमीन तय अवधि में नवीकरण नहीं किया तो आपराधिक कार्रवाई होगी। मरम्मत या निर्माण कार्य से पहले अब जमीन की वीडियोग्राफी अनिवार्य की है। अवैध निर्माण करने पर और इसके जिम्मेदार अधिकारियों को भी बख्शा नहीं जाएगा।

By VikasEdited By: Published: Thu, 03 Dec 2020 06:10 AM (IST)Updated: Thu, 03 Dec 2020 10:55 AM (IST)
JK Land Scam: जम्‍मू-कश्‍मीर में लीज पर ली गई जमीन पर मरम्मत या निर्माण से पहले वीडियोग्राफी हुई अनिवार्य
सुप्रीम कोर्ट ने समय-समय पर जम्मू कश्मीर सरकार को भू-माफियाओं से सरकारी जमीन छुड़वाने के निर्देश दिए हैं।

अवधेश चौहान, जम्मू : रोशनी घोटाले का पर्दाफाश होने के बाद सरकार अब सरकारी जमीनों की देखरेख को लेकर सख्त हो गई है। जम्मू कश्मीर और लद्दाख में पट्टे (लीज) पर ली सरकारी जमीन तय अवधि में नवीनीकरण (रिन्युएल)   नहीं किया तो आपराधिक कार्रवाई होगी। मरम्मत या निर्माण कार्य से पहले अब जमीन की वीडियोग्राफी  अनिवार्य की है। अवैध निर्माण करने पर और इसके जिम्मेदार अधिकारियों को भी बख्शा नहीं जाएगा। कानून, न्याय एवं संसदीय विभाग की अनुमति बगैर सरकारी संपत्ति पर न तो मरम्मत और न ही पुनर्निर्माण होगा। विभाग ने इस संबंध में नोटिस जारी किया है।

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गौरतलब है कि जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट ने 12 अक्टूबर को पहलगाम पीपुल्स वेलफेयर आर्गेनाइजेशन बनाम जम्मू कश्मीर सरकार के विवाद में सरकारी जमीन हड़पने वालों के खिलाफ   सख्त कार्रवाई करने के निर्देश दिए  थे। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने भी समय-समय  पर जम्मू कश्मीर सरकार को  भू-माफियाओं से सरकारी जमीन छुड़वाने के निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने यह भी संस्तुति की है कि सरकारी जमीन को अलॉट करने से पहले पारदर्शिता बरती जाए। इसमें जम्मू कश्मीर के अलावा लद्दाख की भूमि पर भी सुप्रीम कोर्ट के आदेश आयत थे।

कानून न्याय एवं संसदीय मामलों के विभाग ने सुप्रीम कोर्ट के उस नोटिस का भी उल्लेख किया कि जो कारोबारी अपने लाभ के लिए सरकारी जमीनों को दुरुपयोग कर रहे हैं, उन्हेंं फौरी तौर पर रोका जाए।

कार्रवाई नहीं की तो अधिकारियों की खैर नहीं : विभाग ने नोटिस के जरिये अधिकारियों को स्पष्ट कर दिया कि अगर जमीन को वापस लेने के लिए शीघ्र कार्रवाई नहीं की तो यह समझा जाएगा कि वे अधिकारी कब्जाधारियों से मिले हैं। ऐसे अधिकारियों के खिलाफ आइपीसी के तहत आपराधिक मुकदमा चलाया जाएगा। अगर किसी व्यक्ति से कोई अवैध दस्तावेज जांच के दौरान बरामद होते हैं तो कानून के तहत कार्रवाई होगी। नोटिस में यह भी कहा है कि कई बार आग या भारी बर्फबारी से हुए नुकसान की आड़ में कुछ कारोबारी पुनर्निर्माण या मरम्मत के लिए अर्जी तो देते हैं, लेकिन इसकी आड़ में सरकारी जमीनों को घेरने का खेल खेला जाता है। इससे कई बार पर्यावरण को नुकसान पहुंचता है। इसकी भरपाई होना असंभव है।

विभाग ने निर्देश दिए कि अब सरकारी जमीन पर निर्माण, या फिर मरम्मत से पहले अनुमति के लिए हलफनामा देना होगा कि उसने न जंगलात और न ही राजस्व विभाग की भूमि पर कब्जा किया है। उपायुक्त व जिला वन अधिकारी का प्रमाण पत्र लेना अनिवार्य होगा। मरम्मत या निर्माण कार्य से पहले जमीन की वीडियोग्राफी में प्रस्तावित जगह दिखानी अनिवार्य होगी। अगर पुरानी इमारत है तो उसकी भीतर और बाहर किए निर्माण को दिखाना होगा। निर्माण के पूरा होने बाद उस हिस्से की कलर मार्किंग की जाएगी।

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