राजनाथ के सामने छलका सीमांत लोगों का दर्द
दलजीत ¨सह, आरएसपुरा केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ ¨सह सीमांत क्षेत्रों में गोलाबारी से उपजे हालात का ज
दलजीत ¨सह, आरएसपुरा
केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ ¨सह सीमांत क्षेत्रों में गोलाबारी से उपजे हालात का जायजा लेने शुक्रवार को भारत-पाक सीमा से सटे जम्मू के आरएसपुरा क्षेत्र पहुंचे। अधिकारियों से सीमांत क्षेत्रों के हालात पर चर्चा करने के बाद गृहमंत्री ने जब गोलाबारी प्रभावित लोगों से सीधी बात की तो ग्रामीणों का दर्द छलक उठा।
पाकिस्तान की गोलीबारी का दंश झेल रहे ग्रामीणों ने गृह मंत्री को अपने दुखड़े सुनाए। इसी दौरान गृहमंत्री को जानकारी मिली कि वर्ष 2005 में सीमा पर तारबंदी के चलते जिन ग्रामीणों की जमीनें तारबंदी के उस पार चली गई थी, उन जमीनों का आज तक किसानों को मुआवजा नहीं मिला है। गृहमंत्री के सामने कई चौंकाने वाली बातें सामने आई, जिन पर उन्होंने ग्रामीणों को विश्वास दिलाया कि वह इन मामलों की जांच कराएंगे और प्रभावित लोगों से पूरा इंसाफ किया जाएगा।
शेर-ए-कश्मीर कृषि एवं विज्ञान तकनीक विश्वविद्यालय (स्कास्ट) सभागार में आयोजित कार्यक्रम के दौरान सीमांत ग्रामीणों ने गृह मंत्री के समक्ष अपने दुख दर्द को बयां किया। आरएसपुरा व सुचेतगढ़ सहित अरनिया व सई क्षेत्र के लोगों ने भी अपनी समस्याओं से गृह मंत्री को अवगत करवाया।
आरएसपुरा के सीमांत गांव अब्दुल्लियां के पूर्व सरपंच बचन लाल ने ग्रामीणों की समस्या को रखते हुए गृह मंत्री को बताया कि गोलीबारी के दौरान जख्मी होने वाले व्यक्ति को सरकार मात्र पांच हजार रुपये सहायता देती है, जो बहुत कम है। इसको बढ़ाया जाए। उन्होंने गोलाबारी के दौरान लोगों के सुरक्षित रहने के लिए फ्लैट बनाकर देने की मांग भी की।
गुलाबगढ़ बस्ती से नंबरदार सरवन चौधरी ने कहा कि वर्ष 2005 से सीमांत लोगों को तारबंदी का मुआवजा सरकार ने नहीं दिया है। लोग परेशान हैं। उन्होंने कहा कि सीमा पर रहने वाले ज्यादातर किसान हैं और खेती ही आय का मुख्य साधन है, पर गोलीबारी में खेती सबसे ज्यादा प्रभावित होती है। ऐसे में सीमा पर हर घर में एक व्यक्ति को सरकारी नौकरी दी जाए।
गांव फतेहपुर के पूर्व सरपंच रछपाल ¨सह ने कहा कि सीमांत लोगों को गोलीबारी से बचाने के लिए बुलेट प्रूफ एंबुलेंस देने के साथ विशेष भर्ती अभियान चलाया जाए। इस पर राजनाथ ¨सह ने मौके पर ही नई बटालियन गठित करने और बुलेट प्रूफ गाड़ियां देने की घोषणा कर दी। अरनिया के बसंत सैनी व पूर्व सरपंच रघुवीर सिंह ने गोलाबारी प्रभावितों के दर्द को बयां करते हुए बताया कि वर्ष 2002 से मोर्टार शेल दागने का दौर शुरू होने के बाद से सीमांत लोगों को सबसे ज्यादा नुकसान हो रहा है। अरनिया क्षेत्र जम्मू कश्मीर का सबसे बड़ा गांव है, लेकिन यहां के लोग गोलाबारी से परेशान हैं। सरकार को उनकी सुध लेनी चाहिए। गोलाबारी में मरने वाले व्यक्ति को एक शहीद जवान की तरह मुआवजा दिया जाए। महिला नायब सरपंच विजय चिब ने कहा कि सीमा पर गोलाबारी का हाल यह है कि महीने में चार बार लोगों को अपने घरों को छोड़कर शिविरों में रहना पड़ता है। इससे बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है। सीमांत युवाओं को सरकारी नौकरियों में लाभ मिलना चाहिए।
दूसरी ओर गांव चकरोई में आयोजित कार्यक्रम के दौरान युवाओं ने भी केंद्रीय गृह मंत्री के समक्ष अपनी समस्याओं को रखा। युवाओं ने गृह मंत्री से सीमांत युवाओं को भर्ती के दौरान एक से दो साल की छूट देने की मांग की। उन्होंने कहा कि सीमा पर आए दिन गोलाबारी से सीमांत युवाओं की पढ़ाई के साथ काफी कुछ प्रभावित होता है, लिहाजा उन्हें रियायत मिलनी चाहिए।