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मंदिरों के शहर में न्याय के लिए दर-दर भटक रही पीड़ित महिलाएं

महिला हिंसा से जुड़े मामलों में जल्द न्याय ना मिल पाना चिंता का विषय है। रोजाना महिलाओं को न्याय पाने के लिए थानों और कोर्ट के चक्क काटने पड़ रहे है।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Mon, 15 Oct 2018 11:40 AM (IST)Updated: Mon, 15 Oct 2018 11:40 AM (IST)
मंदिरों के शहर में न्याय के लिए दर-दर भटक रही पीड़ित महिलाएं
मंदिरों के शहर में न्याय के लिए दर-दर भटक रही पीड़ित महिलाएं

जम्मू, दिनेश महाजन। देवी देवताओं की भूमि के नाम से प्रसिद्ध जम्मू कश्मीर राज्य में महिलाओं से हिंसा के मामलों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। गत पंद्रह माह (जनवरी 2017 से मार्च 2018) के भीतर दुष्कर्म के 465 मामले दर्ज हुए जबकि घरेलू हिंसा तथा छेड़छाड़ के 827 मामले राज्य के सभी बाइस जिलों में दर्ज किए गए है। हालांकि जागरूकता के चलते महिलाएं अब सामने आकर अपने साथ हो रहे शोषण की आवाज उठा रही है। लेकिन महिला हिंसा से जुड़े मामलों में जल्द न्याय ना मिल पाना चिंता का विषय है। एक अप्रैल 2018 तक राज्य की विभिन्न कोर्ट में महिला हिंसा के 2210 मामले वर्षो से लंबित पड़े हुए है। न्यायालयों में दर्ज मामलों की संख्या अधिक होने के चलते महिलाओं को न्याय मिलने में देरी हो रही है। हालांकि 23 अक्तूबर 2017 को राज्य कैबिनेट से आदेश जारी कर महिला हिंसा के मामलों के शीघ्र निपटारे के लिए राज्य में चार विशेष कोर्ट बनाने का फैसला लिया था। फैसला होने के बाद अभी तक यह कोर्ट अस्तित्व में नहीं आ पाए है। रोजाना महिलाओं को न्याय पाने के लिए थानों और कोर्ट के चक्क काटने पड़ रहे है।

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 स्कूली शिक्षा में शामिल हो नैतिक मूल्यों का विषय

मनोवैज्ञानिक जगदीश थापा का कहना है कि हम स्कूलों में छात्रों को सफल होने की शिक्षा तो दे रहे है, लेकिन उन्हें नैतिक मूल्यों के बारे में शिक्षा नहीं दी जा रही। प्रतिस्पद्धा के इस दौर में युवा पीढ़ी अपने संस्कारों से दूर हो रही है। अभिभावकों को चाहिए कि वे अपने बच्चों के साथ बैठ कर उन्हें अच्छे व बुरे की पहचान करवाए। मनोवैज्ञानिक के लिए महिला हिंसा में शामिल लोग एक विशेष प्रकार की मानसिक रोग से ग्रस्त होते है।

 महिला हिंसा विशेषकर दुष्कर्म के दर्ज मामले

राज्य के कश्मीर संभाग में महिला हिंसा विशेषकर दुष्कर्म के मामले दर्ज है। राज्य के विभिन्न जिलों के न्यायालयों में 2210 मामले लंबित पड़े है। इनमें जिला कुपवाड़ा में सबसे अधिकतम 332 दुष्कर्म के मामले लंबित है। इसके बाद बारामूला में ऐसे मामलों की संख्या 306 है। बड़गाम तीसरा स्थान में है जिसकी संख्या 252 है। अनंतनाग में निपटारे के लिए कुल 167 दुष्कर्म के मामले लंबित है। कुलगाम में 148 मामले लंबित हैं। इसी तरह, श्रीनगर जिले में 125 मामले लंबित है। राजौरी में 122 मामले है जबकि जम्मू में 106 दुष्कर्म के मामले लंबित है। उधमपुर में कुल 77 मामले लंबित हैं, किश्तवाड़ जिले में 49, भद्रवाह में 69, रामबन में 61, पुंछ में 43, सांबा में 30, कठुआ में 40, पुलवामा में 70, शोपिया में 58, गंदरबल में 41 और बांदीपोरा में 85 मामले लंबित है।लेह और कारगिल राज्य के एकमात्र जिले हैं जिन्हें महिलाओं के लिए सुरक्षित मानना जाता है। इन दो जिलों में महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामले बहुत कम दर्ज हुए है, कारगिल में निपटान के लिए केवल तीन दुष्कर्म के मामले लंबित हैं जबकि लेह में छह हैं।


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