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जम्मू और कश्मीर विश्वविद्यालयों के वाइस चांसलरों का कार्यकाल अब तीन साल का होगा

श्री अमरनाथ जी श्राइन बोर्ड के चेयरमैन राज्यपाल नहीं बल्कि अब उपराज्यपाल (एलजी) होंगे। श्री अमरनाथ जी श्राइन बोर्ड-18 आफ 2000 में बदलाव किया गया है।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Thu, 02 Apr 2020 09:52 AM (IST)Updated: Thu, 02 Apr 2020 09:52 AM (IST)
जम्मू और कश्मीर विश्वविद्यालयों के वाइस चांसलरों का कार्यकाल अब तीन साल का होगा
जम्मू और कश्मीर विश्वविद्यालयों के वाइस चांसलरों का कार्यकाल अब तीन साल का होगा

जम्मू, राज्य ब्यूरो। जम्मू विश्वविद्यालय और कश्मीर विश्वविद्यालय के वाइस चांसलरों का कार्यकाल अब तीन साल का होगा। इन विश्वविद्यालयों के चांसलर अब राज्यपाल नहीं, बल्कि उपराज्यपाल (एलजी) होंगे। इन दोनों विश्वविद्यालयों के वाइस चांसलरों का कार्यकाल पांच साल से घटाकर तीन साल कर दिया गया है। इसके लिए कश्मीर और जम्मू यूनिवर्सिटी एक्ट 1969 में संशोधन किया गया है। स्टेट की जगह अब केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर शब्द का इस्तेमाल होगा। प्रो-चांसलर की भूमिका समाप्त कर दी गई है। प्रो-चांसलर मुख्यमंत्री होते थे।

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केंद्रीय गृह मंत्रालय ने जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन आदेश 2020 (राज्य कानूनों का अनुकूलन) जारी किया है। इनमें विश्वविद्यालयों के कानून में बदलाव किया गया है। श्रीनगर और जम्मू कलस्टर यूनिवर्सिटी एक्ट 3 आफ 2016 में भी बदलाव किया गया है। इन दोनों यूनिवर्सिटी के चांसलर भी अब मुख्यमंत्री नहीं, बल्कि उपराज्यपाल होंगे। इन दोनों यूनिवर्सिटी के वीसी का कार्यकाल पांच साल की जगह तीन साल कर दिया गया है। इसके अलावा बाबा गुलाम शाह बड़शाह विश्वविद्यालय राजौरी के चांसलर अब मुख्यमंत्री नहीं उपराज्यपाल होंगे। इस्लामिक यूनिवर्सिटी आफ साइंस एंड टेक्नोलाजी, कश्मीर एक्ट नंबर 18 आफ 2005 में संशोधन किया गया है। इसके चांसलर भी अब मुख्यमंत्री नहीं, उपराज्यपाल होंगे।

श्री अमरनाथ और वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड के एलजी चेयरमैन

श्री अमरनाथ जी श्राइन बोर्ड के चेयरमैन राज्यपाल नहीं, बल्कि अब उपराज्यपाल (एलजी) होंगे। श्री अमरनाथ जी श्राइन बोर्ड-18 आफ 2000 में बदलाव किया गया है। इसी तरह श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड एक्ट 16 आफ 1988 में तब्दीली करते हुए बोर्ड के चेयरमैन अब उपराज्यपाल होंगे। श्री माता वैष्णो देवी विश्वविद्यालय कटड़ा में कुछ प्रावधान शामिल किए गए हैं। इसमें विश्वविद्यालय की एग्जिक्यूटिव काउंसिल में 11 सदस्य होंगे। शेर-ए-कश्मीर कृषि, विज्ञान और तकनीक विश्वविद्यालय एक्ट सात आफ 1982 में बदलाव करते हुए विश्वविद्यालय के चांसलर राज्यपाल की जगह उपराज्यपाल होंगे। वीसी का कार्यकाल तीन साल का होगा और वीसी के प्रदर्शन पर दो साल की एक्सटेंशन दी जा सकेगी।

सतर्कता संगठन और पिछड़ा वर्ग आयोग के गठन के कानून निरस्त

जम्मू कश्मीर में राज्य सतर्कता संगठन और राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के गठन से जुड़े सभी कानूनों को खत्म कर दिया गया है। केंद्र सरकार ने इसके अधिनियम को समाप्त कर दिया है। यह कदम राज्य कानून आयोग की सिफारिशों के आधार पर उठाया गया है। गौरतलब है कि जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019 के लागू होने से पहले जम्मू कश्मीर में अपना संविधान और कानून था। केंद्र सरकार ने जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, राज्य कानूनों का अनुकूलन आदेश- 2020 जारी कर उन सभी कानूनों को समाप्त कर दिया है, जिनके आधार पर जम्मू कश्मीर में सतर्कता संगठन और राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग का गठन किया जाता रहा है। हालांकि, इस आदेश का असर जम्मू कश्मीर सामाजिक एवं शैक्षिक पिछड़ा वर्ग आयोग के गठन और उसकी कार्यप्रणाली पर नहीं पड़ेगा। जम्मू कश्मीर सामाजिक एवं शैक्षिक पिछड़ा वर्ग आयोग का गठन 10 दिन पहले ही जम्मू कश्मीर कानून विभाग द्वारा जारी एक आदेश के तहत किया गया है। इस आयोग का अध्यक्ष जस्टिस सेवानिवृत्त जीडी शर्मा को बनाया गया है। इस आयोग में भारतीय वन सेवा से सेवानिवृत्त रूपलाल भारती और पूर्व आइपीएस अधिकारी मुनीर अहमद खान को बतौर सदस्य शामिल किया गया है। 


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