घाटी में तोड़े गए मंदिरों का हो पुनरुद्धार
जागरण संवाददाता जम्मू विश्व हिदू परिषद ने जम्मू कश्मीर में हिदुओं के धार्मिक स्थलों को सुरक्षित करने धार्मिक यात्राओं को और सुगम बनाने पर जोर दिया है।
जागरण संवाददाता, जम्मू : विश्व हिदू परिषद ने जम्मू कश्मीर में हिदुओं के धार्मिक स्थलों को सुरक्षित करने, धार्मिक यात्राओं को और सुगम बनाने पर जोर दिया है। उन्होंने कहा कि ऐसे प्रयासों से ही राज्य में शांति कायम होगी व हिदुत्व सुरक्षित होगा। विहिप ने घाटी में तोड़े गए मंदिरों के पुनरुद्धार की मांग की है।
शनिवार को बरनाई में संवाददाता सम्मेलन में परिषद के राष्ट्रीय संयुक्त महामंत्री डॉ. सुरेंद्र जैन ने कहा कि कश्मीरी पंडितों के पलायन के बाद घाटी में तोड़े गए 350 मंदिरों से कब्जा छुड़वाया जाए। मरम्मत कराई जाए और इन्हें संरक्षित कर पूजा-अर्चना का क्रम फिर से शुरू कराया जाए। यह काम केंद्र सरकार कर सकती है। अलगाववाद के कारण घाटी छोड़ने वाले कश्मीरी पंडितों की धरोहर, सांस्कृतिक व धार्मिक स्थलों को संरक्षित करना सरकार की जिम्मेदारी है, इसे बखूबी से पूरा किया जाना चाहिए।
डॉ. जैन ने गुलाम कश्मीर में स्थित माता शारदा पीठ मंदिर के दर्शन के लिए तुरंत कॉरिडोर बनाने की मांग की। कहा कि ऐसी व्यवस्था हो कि बिना वीजा के लोग माता के मंदिर के दर्शन कर सकें। सरकार को इस दिशा में काम करना चाहिए। अमरनाथ यात्रा को और सुगम बनाया जाए। इसके लिए एक और मार्ग कारगिल से भी मार्ग खोला जा सकता है। मानसरोवर की यात्रा का मार्ग भी लेह से निकल सकता है और यह कम दूरी का मार्ग होगा। इन सब विषयों पर काम होना चाहिए। विहिप की अखिल भारतीय प्रबंधन कमेटी की बैठक में भी इन मुद्दों पर चर्चा हुई है और कई प्रस्ताव पारित किए गए हैं।
डॉ. जैन ने कहा कि अब जम्मू व लेह को भी इंसाफ दिलाने का समय आ गया है। सबसे पहले परिसीमन जल्द कराया जाए, ताकि विधानसभा सीटें बढ़ने से जम्मू के साथ इंसाफ हो सके। उन्होंने कहा कि जम्मू ने ही टैक्स, बिजली के किराये भरे हैं और राजस्व दिया है। कश्मीर ने तो महज लूटा ही है। अब इंसाफ करने का समय आ गया है। संवाददाता सम्मेलन में प्रदेश अध्यक्ष लीला करण शर्मा भी उपस्थित थे। हुर्रियत से वार्ता के हक में नहीं विहिप
डॉ. जैन ने कहा कि हुर्रियत कश्मीर के लोगों का प्रतिनिधित्व नहीं करती। इस तंजीम के लोगों को किसी भी किस्म की वार्ता में शामिल नहीं किया जाना चाहिए। संवाददाता सम्मेलन में सवाल पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि हुर्रियत को वार्ता में शामिल करने का मतलब उसमें फिर से जान फूंकना है। एक समय था जब केंद्र सरकार हुर्रियत को वार्ता के लिए निमंत्रण देती थी मगर हुर्रियत इसे सिरे से नकार देता था। मगर भाजपा सरकार ने जिस कदम कश्मीर में सख्ती बढ़ाई तो हुर्रियत अपने आप खतरे में आ गई। इसके देखते हुए हुर्रियत स्वयं वार्ता करने की इच्छा जताने लगी है। इसलिए केंद्र से हम कहना चाहते हैं कि हुर्रियत को हर तरह की वार्ता से बाहर रखा जाए। अनुच्छेद 370 को हटना ही है
डॉ. जैन ने कहा कि अनुच्छेद 370 व 35 ए को हटना ही है क्योंकि यह अनुच्छेद विकास में बाधक हैं और इनको जल्दी से जल्दी खत्म किया जाना चाहिए। यह दोनों अनुच्छेद देश को जोड़ते नहीं, बल्कि तोड़ते हैं। इसे हटाना ही सबके हित में रहेगा। कहा कि केंद्र सरकार के एजेंडे में भी है। इसलिए भाजपा सरकार अपना वादा पूरा करे और अनुच्छेद 370 व 35 ए को राज्य से हटाए।