अभी तो नापी है मुट्ठी भर जमीन...! वाल्मीकि समाज ने पहली बार किया मतदान, लोगों ने कहा- अब हमारे बच्चे भी अफसर बनेंगे
जम्मू-कश्मीर में वाल्मीकि समाज को पहली बार विधानसभा चुनाव में मतदान का अधिकार मिला। सात दशकों के इंतजार के बाद मिले इस मौके पर समाज के लोगों में जबरदस्त उत्साह देखने को मिला। सज-धज कर लोग मतदान केंद्रों पर पहुंचे। वोट डालकर लोग खुद को धन्य महसूस कर रहे थे। उन्होंने कहा कि अब हमारे बच्चे भी पढ़-लिखकर अफसर बनेंगे।
जागरण संवाददाता, जम्मू। चार पीढ़ियों का दर्द सीने में दबाये जब वाल्मीकि समाज के लोग लोकतंत्र के उत्सव में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने पहुंचे तो उनका उत्साह सातवें आसमान पर था। यह दर्द हल्का हुआ तो मानो उन्हें वह मिल गया, जिसकी उन्होंने शायद ही कल्पना की थी। जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के लिए पहली बार मतदाता बने इस समाज के लोग एक-एक कर नहीं, बल्कि परिवार के परिवार एक साथ मतदान केंद्रों पर पहुंचे।
वोट डालकर धन्य महसूस कर रहे थे लोग
वोट डालने के लिए अंगुली पर लगती स्याही को देखकर उन्हें अहसास हो रहा था कि उनकी मंजिल का रास्ता खुल गया है। यह लोग हजारों उम्मीदों के साथ वोट डालकर खुद को धन्य महसूस कर रहे थे। साथ ही यह भी कहते हैं कि अभी तो सफर शुरू हुआ है उड़ान बाकी है। अरे अभी तो नापी है मुट्ठी भर जमीन, नापना आसमान अभी बाकी है।
जम्मू में रहते 60 साल हो चुके हैं। पहली बार वोट करने का मौका मिला है। अब हमारे बच्चे भी पढ़-लिखकर अफसर बनेंगे। सफाई कर्मचारी बनकर रह जाने का तगमा उतर पाएगा।
-मोहित मट्टू, निवासी वाल्मीकि कॉलोनी
सात दशक के इंतजार के बाद मतदान का अधिकार
सात दशक के इंतजार के बाद जम्मू-कश्मीर में वाल्मीकि समाज को विधानसभा चुनाव में मतदान का अधिकार मिला है। अनुच्छेद 370 हटने के बाद पहली बार होने जा रहे इन विधानसभा चुनावों में सबसे ज्यादा उत्साह इसी समाज में देखा गया। सुबह से ही घरों में रौनक सी थी। छोटे-बड़े तैयार होकर वोट डालने की तैयारी कर रहे थे।
अनुच्छेद 370 हटने से हमारा जीवन सार्थक हो गया है। हमारी पीढ़ियां यहां काम करते चल बसीं। अब हम भी अपना प्रतिनिधि चुन रहे हैं। उसे अपना दुख-सुख सुना सकेंगे।
-रवि गिल, निवासी वाल्मीकि कॉलोनी
पोलिंग बूथ पर सज-धज कर जा रहे थे लोग
बड़े छोटों को समझा रहे थे कि कैसे आज का यह दिन हम सभी के लिए महत्वपूर्ण है। लिहाजा, हर कोई मतदाता वोट करने जरूर जाएगा। यह वोट हमारे भविष्य का प्रतीक है। सज-धज के सुबह से ही वाल्मीकि समाज के लोग धीरे-धीरे मतदान केंद्रों में पहुंचना शुरू हो गए थे।
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वाल्मिकी कॉलोनी में उत्सव सा माहौल
जम्मू के गांधीनगर की वाल्मीकि कॉलोनी में तो महोत्सव का माहौल था। बाजार में पहले के दिनों की तुलना में ज्यादा चहल-पहल थी। महिलाएं एक-दूसरे को पूछती दिखीं कि कब वोट डालने निकलना है तो पुरुष एक-दूसरे को समझाते दिखे कि उन लोगों के लिए वोट डालना कितना जरूरी है।
हमारे लिए तो आज जीवन का महाकुंभ था। पीढ़ियों के इंतजार के बाद यह दिन आया। हमारे बच्चों के भविष्य के संवरने की सीढ़ियां बनी हैं। धीरे-धीरे बच्चे कामयाबी की सीढ़ियां इसी राह से चढ़ सकेंगे। -गारू भट्टी, अध्यक्ष, वाल्मीकि समाज सभा
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