Jammu Kashmir: वादी में उठने लगी अमशीपोरा फर्जी मुठभेड़ में शामिल दोषियों पर सख्त कार्रवाई की मांग
पीपुल्स कांफ्रेंस के चेयरमैन और पूर्व समाज कल्याण मंत्री सज्जाद गनी लोन ने कहा कि शोपियां मुठभेड़ में तीन निर्दाेष श्रमिकों को आतंकी बताकर मारा जाना घोर निंदनीय और अमानवीय है। उन्होंने कहाकि इस घटना की जांच मीडिया द्वारा उठाए गए सवालों के आधार पर हुई है।
श्रीनगर, राज्य ब्यूरो। शोपियां मुठभेड़ में राजौरी के तीन लापता श्रमिकों केे मारे जाने की पुलिस द्वारा पुष्टि किए जाने के बाद वादी के विभिन्न संगठनों ने दोषी सैन्याधिकारियों के लिए कठोर दंड की मांग करते हुए कहा कि यह घटना भविष्य में वादी में फर्जी मुठभेड़ों और मानवाधिकारों के हनन पर रोक लगाने वाली साबित होनी चाहिए।
नेशनल कांफ्रेस के उपाध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि पुलिस ने अब साबित कर दिया है कि अमशीपोरा में मारे गए तीन आतंकी राजौरी के तीन निर्दाेष श्रमिक थे। मुझे आज तक यह समझ में नहीं आया है कि पथरीबल, मच्छल व अन्य फर्जी मुठभेड़ों से क्यों सबक नहीं लिया गया। इस तरह की घटनाएं आम लोगों में मुख्यधारा के प्रति विमुखता को बढ़ाएंगे, लाेगों में दिल्ली और सुरक्षाबलों के प्रति अविश्वास की भावना ही बढ़ेगी। उन्होंने कहा कि इस मामले में लिप्त सैन्यकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई को सुनिश्यित करते हुए, तीनों श्रमिकों के शव उनके परिजनों को सौंपन चाहिए ताकि वह पूर सम्मान के साथ उन्हें अपने घर के पास ही दफना सकें।
पीपुल्स कांफ्रेंस के चेयरमैन सज्जाद गनी लोन ने जम्मू-कश्मीर अपनी पार्टी के चेयरमैरन अल्ताफ बुखारी ने कहा कि अमशीपोरा शाेपियां मुठभेड़ से अब पुलिस ने एक तरह से पर्दा उठा दिया है। इसमें मारे गए तीन युवक आतंकी नहीं बल्कि निर्दाेष मजदूर थे, जिनका आतंकवाद से दूर का कोई नाता तक नहीं था। जम्मू-कश्मीर सरकार और भारत सरकार अब पीड़ित परिवारों का सर्वाेच्च न्यायालय द्वारा जारी दिशा निर्देशों के मुताबिक न्याय सुनिश्चित करते हुए दोषियों को कठोर दंड दिलाए। सेना पहले ही मान चुकी है कि अमशीपोरा में अफास्पा नियमों का उल्लंघन हुआ है। इस मुठभेड़ में लिप्त सभी तत्वों को चिन्हित कर, उन्हें कठोर दंड दिलाया जाए ताकि अमशीपोरा मुठभेड़ एक सबक बने और जम्मू-कश्मीर में हमेशा के लिए मानवाधिकारों के हनन व फर्जी मुठभेडों पर रोक लग सके।
पीपुल्स कांफ्रेंस के चेयरमैन और पूर्व समाज कल्याण मंत्री सज्जाद गनी लोन ने कहा कि शोपियां मुठभेड़ में तीन निर्दाेष श्रमिकों को आतंकी बताकर मारा जाना घोर निंदनीय और अमानवीय है। उन्होंने कहाकि इस घटना की जांच मीडिया द्वारा उठाए गए सवालों के आधार पर हुई है। मौजूदा डिजिटल युग में अब कोई तथ्य छिपाना संभव नहीं है। राजौरी के तीन श्रमिकों को निर्ममता से पहले कत्ल् किया जाता है और फिर उन्हें आतंकी बताया जाता है। ऐसा कश्मीर में पहली बार नहीं हुआ है। दिल्ली को इनका हिसाब देना चाहिए। दिल्ली का जम्मू-कश्मीर में मानवाधिकारों के हनन को सहन करने के बजाय उन्हें पूरी तरह रोकना चाहिए। यहां सिर्फ दिखावे के लिए न्याय का ढाेल नहीं पीटा जाना चाहिए, न्याय हकीकत में चाहिए। पीड़ितों को न्याय मिले, दोषियों को कठोर दंड होना चाहिए और उन्हें किसी भी स्तर पर बचने का मौका नहीं दिया जाना चाहिए।