अनोखा संयोग: अमरनाथ में पहली बार लोगों ने शिवलिंग पर कबूतर बैठे हुए देखा
शिवलिंग पर कबूतर बैठे हुए थे पूजा करने पहुंचे पंडितों ने दैनिक जागरण को बताया कि पहली बार उन्होंने देखा है कि शिवलिंग पर कबूतर बैठे हुए थे।
बालटाल (कश्मीर), दिनेश महाजन। ज्येष्ठ पूर्णिमा की सुबह जब श्री अमरनाथ श्रइन बोर्ड के पंडित अमरनाथ यात्र की शुरुआत के पहले दिन पवित्र गुफा में शिवलिंग पर सुबह की आरती करने पहुंचे तो वहां अनोखा संयोग देख सभी हैरान रह गए। शिवलिंग पर कबूतर बैठे हुए थे पूजा करने पहुंचे पंडितों ने दैनिक जागरण को बताया कि पहली बार उन्होंने देखा है कि शिवलिंग पर कबूतर बैठे हुए थे।
अकसर पवित्र गुफा के अंदर कबूतरों को उड़ते हुए श्रद्धालु दर्शन देते हैं लेकिन यह अदभुत नजारा इस बार पहली बार हुआ है। पूजा अर्चना करने से पूर्व से पंडितों ने जब ज्योत जलाई तो उनमें उत्साह इतने बढ़ गए था, कि पवित्र गुफा के भीतर से केवल भोले बाबा के जयकारे की आवाज ही भवन में गूंज रही थी।
वहीं, इसके बाद राज्य के राज्यपाल एनएन वोहरा ने विधिवत पूजा अर्चना कर अमरनाथ यात्रा प्रारंभ होने की रीत को निभाया। हालाकि गवर्नर ने सुबह शीघ्र पहुंचना था लेकिन बारिश के कारण वह कुछ घंटे देरी से पहुंचे राज्यपाल एनएन वोहरा ने बताया कि अमरनाथ यात्र के दौरान सुरक्षा के पुख्ता बंदोबस्त है श्रद्धालुओं की सेवा के लिए तीन माह पूर्व से ही श्रइन बोर्ड और प्रशासन के अधिकारी जुड़ गए थे।
उधर, वीरवार को लगातार दूसरे दिन भी बारिश होने से अमरनाथ जी की यात्रा का छोटा रूट कहे जाने वाले बालटाल में यात्रा स्थगित रही। हालांकि इस दौरान पैदल जाने वाले श्रद्धालुओं को गत वीरवार दोपहर को भवन की ओर जाने की इजाजत दे दी गई। करीब एक हजार की संख्या में बालटाल से श्रद्धालु पैदल भवन की ओर पहुंचे। गुफा तक पहुंचने में हो रही बारिश के चलते बालटाल मार्ग पर फिसला और पूरा मार्ग कीचड़ से भर चुका है। बालटाल मार्ग को तैयार करते समय फेंकी गई मिट्टी लगातार हो रही पिछले कई घंटों से बारिश के चलते बह गई। बालटाल मार्ग और अधिक खराब ना हो इस कारण से श्रइन बोर्ड ने इस मार्ग पर घोड़ा चलाने वालों को फिलहाल इजाजत नहीं दी है।
श्रद्धालुओं के लिए पालकी की व्यवस्था की गई है, लेकिन वह भी नाकाफी साबित हो रही है। मार्ग पर फिसलन का आलम है की पैदल चलने वाले श्रद्धालु लगातार फिसल रहे थे। इतनी कठिन परिस्थितियों होने के बावजूद श्रद्धालुओं के हौसले और श्रद्धा में कमी नहीं देखी। तेज बारिश के बीच भोलेनाथ के जयकारे लगाते हुए यात्री बालटाल शिविर से निकलकर यात्र के असेस गेट तक पहुंचे जो दोमेल में बना है। श्रद्धालुओं के सामान की जांच तथा उनके यात्रा पंजीकरण कार्ड की जांच होती हैं।
दोमेल से 14 किलोमीटर दूर है भोलेनाथ का भवन। यही से अमरनाथ यात्रा की शुरुआत होती हैं। श्रद्धालु इसके बाद अगले पड़ाव जो करीब ढाई किलोमीटर दूर है कि और चल पड़ते हैं। स्वास्थ्य विभाग द्वारा वहां शिविर लगाया गया है।
इसके अलावा स्थानीय लोग भी वहां यात्रियों की सुविधा के लिए खाने पीने का सामान बेचते हैं। रेल पटरी के बाद अगला पड़ाव बरारी मार्ग है, जो कठिन पहाड़ी क्षेत्र है करीब 3.5 किलोमीटर का सफर तय करने के बाद वे इस पड़ाव पर पहुंचते हैं। श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए बरारी में एक लंगर की व्यवस्था है।
इसके अलावा वहां सेना तथा राज्य सरकार के स्वास्थ्य विभाग का शिविर भी है बरारी टॉप ऊंचाई वाला क्षेत्र है, जिस कारण से यात्रियों को चलने में वहां दिक्कत आती है। बरारी से करीब 3 किलोमीटर का सफर तय कर श्रद्धालु संगम टॉप पर पहुंचते हैं। जिसे काली माता मार्ग कहा जाता है। इसके बाद संगम टॉप आता है, जहां पहलगाम और बालटाल का रूट मिलता है। दो से ढाई मील किलोमीटर का सफर तय कर श्रद्धालु भगवान शंकर के अमर कथा सुनाने वाली पवित्र गुफा में हिमलिंग के दर्शनों के लिए पहुंचते हैं गुफा तक पहुंचने के लिए यात्री ढाई किलोमीटर का सफर बर्फ के बड़े-बड़े ग्लेशियरों के ऊपर से होकर गुज़रते है।
बोर्ड ने मार्ग पर घोड़ा चलाने वालों को फिलहाल इजाजत नहीं दी है। कड़े सुरक्षा प्रबंधों के बीच बाबा अमरनाथ यात्रा के लिए श्रद्धालुओं का तीसरा जत्था पहलगाम व बालटाल के लिए रवाना हुआ। यात्रा के आधार शिविर यात्री निवास भगवती नगर से शुक्रवार सुबह बारिश के बीच 2876 श्रद्धालु रवाना हुए, जिसमें 2332 पुरुष और 544 महिलाएं शामिल थीं, जो 90 वाहनों पर सवार होकर यात्रा पर गए। यात्री निवास में देश के विभिन्न हिस्सों से बढ़ी संख्या में श्रद्धालुओं के पहुंचने का सिलसिला जारी है। बारिश के बावजूद यात्रा को लेकर श्रद्धालुओं में भारी उत्साह बना हुआ है। सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं।