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New Year 2020 Challenges of Jammu and Kashmir : केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के लिए नववर्ष खुशियों की सौगात लेकर आएगा

केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के खेल प्रेमियों के लिए नववर्ष खुशियों की सौगात लेकर आएगा।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Tue, 31 Dec 2019 03:06 PM (IST)Updated: Tue, 31 Dec 2019 04:58 PM (IST)
New Year 2020 Challenges of Jammu and Kashmir : केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के लिए नववर्ष खुशियों की सौगात लेकर आएगा
New Year 2020 Challenges of Jammu and Kashmir : केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के लिए नववर्ष खुशियों की सौगात लेकर आएगा

जम्मू, जेएनएन। केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के खेल प्रेमियों के लिए नववर्ष खुशियों की सौगात लेकर आएगा। एक तो नववर्ष में मौलाना आजाद स्टेडियम का मुख्य मैदान जिसे पूरी तरह से क्रिकेट स्टेडियम में परिवर्तित करने का काम अंतिम चरणों में पहुंच चुका है, को जम्मू-कश्मीर स्टेट स्पोटर्स काउंसिल को सौंप दिया जाएगा और दूसरा राज्य के खिलाड़ियों को नई खेल नीति की सौगात भी मिल सकती है।

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एमए स्टेडियम को प्रधानमंत्री विकास कार्यक्रम के तहत 42 करोड़ रुपए की राशि से अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम में परिवर्तित करने काम संपन्न होने के करीब है। नव वर्ष के जनवरी महीने में इसके उद्घाटन के उपरांत बीसीसीआई की टीम स्टेडियम के दौरा करेगी और तमाम औपचारकिताएं पूरी होने और काम से संतुष्ट होने के उपरांत ही भविष्य में इस मैदान में आइपीएल या फिर अंतरराष्ट्रीय स्तरीय क्रिकेट मुकाबले क्रिकेट प्रेमियों को देखने को मिल सकेंगे।

अभी तक जम्मू-कश्मीर में खिलाड़ी खेल नीति के अभाव में आगे नहीं बढ़ सकते थे। हालांकि अभी तक की तत्कालीन सरकारों ने खिलाड़ियों से खेल नीति बनाने और इसको लागू करने के बड़े-बड़े दावे तो किए लेकिन न तो आज तक खेल नीति बनी और न ही इसे अमल में लाया जा सका है। अब सभी को उम्मीद है कि केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद अब खिलाड़ियों को खेल नीति की कमी नहीं खलेगी। नए वर्ष राज्यभर में खिलाड़ियों को ब्लाक और जिला स्तर पर 150 से अधिक नए इंडोर कांप्लेक्स मिलेंगे। इसके उपरांत खिलाड़ियों की सुविधा के लिए नए कोच की भी नियुक्ति करना सरकार की पहली प्राथमिकता होगी।

खिलाड़ियों को क्या-क्या मिलेगा?

  • नए वर्ष में खिलाड़ियों को प्रोत्साहन के लिए खेल नीति की सौगात मिल सकती है।
  • मौलाना आजाद स्टेडियम का अंतरराष्ट्रीय स्टरीय क्रिकेट मैदान।
  • मौलाना आजाद स्टेडियम में ऑल वेदर स्विमिंग पूल, लर्नर स्विमिंग पूल।
  • हक्कू एस्ट्रो टर्फ स्टेडियम में नई सिंथेटिक टर्फ बिछेगी।
  • मिनी स्टेडियम परेड, पुंछ और राजौरी में सिंथेटिक की नई टर्फ बिछेगी।
  • जम्मू संभाग में वॉलीबॉल के 27 सिंथेटिअक कोर्ट तैयार किए जाएंगे।
  • नगरोटा स्थित खेल गांव बन जाने पर खिलाड़ियों को समर्पित होगा।

शिक्षा : वर्ष 2019 में खोले गए 50 नए डिग्री कॉलेजों की इमारतों को तैयार करना और बुनियादी ढांचा उपलब्ध करवाना व साइंस कोर्स शुरू करना बहुत बड़ी चुनौती है। वर्ष 2020 में शिक्षा विभाग का ध्यान इस तरफ केन्द्रित रहेगा और सरकार की पहली प्राथमिकता होगी कि विद्यार्थियों को शिक्षा के बेहतर साधन उपलब्ध करवाए जा सकें। 

जम्मू नगर निगम : शहर से प्रतिदिन निकलने वाले करीब 400 मीट्रिक टन कचरे को निस्तारण के लिए सालिड वेस्ट मैनेजमेंट प्रोजेक्ट को शुरू करना। कोट भलवाल में इसके लिए जमीन निर्धारित कर दी गई है। इसके अलावा बंधु रक्ख व भगवती नगर में कचरा निस्तारण के लिए छोटे यूनिट लगाने की उम्मीद है। इससे शहर को साफ-सुथरा बनाने में आसानी होगी। इसके अलावा शहर में ट्रैफिक जाम से निजात दिलाने के लिए पंजतीर्थी और पीरखोह में मल्टीलेवल पार्किंग का निर्माण भी नव वर्ष में होने की उम्मीद है। शहर के पूरे 75 वार्डों में डोर-टू-डोर कचरा जमा करना निगम के लिए चुनौती भरा रहेगा। उम्मीद जताई जा रही है कि इस वर्ष निगम इसमें सफलता हासिल कर पाएगा। 

खेतीबाड़ी : नए वर्ष में किसानों को उम्मीद है कि सरकार एग्रीकल्चरल नए वर्ष में किसानों को उम्मीद है कि सरकार एग्रीकल्चर प्रोड्यूस मार्केटिंग कमेटी एक्ट को केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में लागू करेगी। यह एक्ट देशभर में लागू हो चुका है मगर जम्मू-कश्मीर में इसे आज तक लागू नहीं किया जा सका है। तत्कालीन सरकारों ने किसानों के साथ इस एक्ट को लागू करने के प्रयास हुए। यहां तक कि एक बार इस एक्ट को लागू करवाने को लेकर काम भी हुआ लेकिन तब मंडी के व्यापारियों ने इसके विरोध में हड़ताल कर दी थी और सरकार को इस एक्ट को ठंडे बस्ते में डालना पड़ा था। इस एक्ट के लागू होने से मंडियों पर सरकार का नियंत्रण रहेगा। इससे किसानों को उनके माल के सही दाम मिलेंगे।

कला-संस्कृति : कला संस्कृति साहित्य किसी भी समाज की पहचान होते हैं। इन क्षेत्रों में कार्य भी लगातार हो रहा है लेकिन अभी तक जिस तरह के कार्य की अपेक्षा की जाती है, वह नहीं हो पा रहा है। जम्मू-कश्मीर के केंद्र शासित प्रदेश बन जाने के बाद तो उम्मीदें और भी बढ़ गई हैं। ऐेसी ही उम्मीदें लद्दाख के केंद्र शासित प्रदेश बन जाने के बाद भी बढ़ गई हैं। हमेशा से उपेक्षा के शिकार की बात करने वाले कलाकारों को राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी पहले से ज्यादा मौके मिलेंगे। जम्मू-कश्मीर कला संस्कृति एवं भाषा अकादमी का नया परारूप भी सामने आने की संभावना है। कलाकारों को अधिक मौके मिलनेके अलावा वर्षो से सांस्कृतिक नीति की मांग भी पूरी हो सकती है। पिछले कई वर्षों से ठप पड़ी जम्मू दूरदर्शन के र्काक्रमों में भी बढ़ोतरी होने की संभावना है। रेडियो कश्मीर जम्मू से आकाशवाणी बन चुके रेडियो से भी डोगरी को काफी उम्मीदें हैं। रंगमंच के साथ जुड़ी विभिन्न नाट्य संस्थाओं को एक दिशा में काम करने का मौका मिलने की संभावना है। खासकर राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय स्तर की कार्यशालाओं के आयोजन की उम्मीदें बनी हुई हैं। लोक कलाकारों को अधिक मौके मिलें यह समय की मांग है। लुप्त होने के कगार पर पहुंची लोक कलाओं और कलाकारों का संरक्षण कैसे होता है, इस पर सभी की नजरें टिकी हुई हैं। उन कलाकारों, साहित्यकारों को उम्मीद है कि इस वर्ष उनका पिछले करीब तीन वर्षों का भुगतान हो जाएगा। अकादमी के सभी प्रकाशन समय पर होंगे और कैंलेंडर तहत होने वाले सभी कार्यक्रम पिछले वर्षो से बेहतर तरीके से हो सकेंगे। राज्य के कलाकारों को बाहरी प्रदेशों में जा कर और बाहरी राज्यों के कलाकारों को जम्मू-कश्मीर में अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करने का मौका मिलेगा।


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