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जम्मू-कश्मीर में सवा छह लाख से अधिक बेरोजगार युवा ढूंढ रहे रोजगार

राज्य में अब भी चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों के पद निकलने पर आवेदन भरने वालों की संख्या लाखों में पहुंच जाती है।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Tue, 16 Oct 2018 01:05 PM (IST)Updated: Tue, 16 Oct 2018 01:26 PM (IST)
जम्मू-कश्मीर में सवा छह लाख से अधिक बेरोजगार युवा ढूंढ रहे रोजगार
जम्मू-कश्मीर में सवा छह लाख से अधिक बेरोजगार युवा ढूंढ रहे रोजगार

जम्मू, राज्य ब्यूरो। सवा छह लाख के करीब पढ़े लिखे युवा बेरोजगार है। ये युवा सिर्फ सरकारी नौकरी पर ही निर्भर है। आतंकवादग्रस्त जम्मू-कश्मीर में प्राइवेट सेक्टर में रोजगार के संसाधन न के बराबर है। यहां यह कहना भी गलत नहीं होगा कि बेरोजगारी से निपटने के लिए सरकार से पास भी काेई व्यापक राेजगार नीति नहीं है। यही कारण है कि राज्य में अब भी चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों के पद निकलने पर आवेदन भरने वालों की संख्या लाखों में पहुंच जाती है। इसका अंदाजा इस बात से भी लग जाता है कि करीब तीन महीने पहले अध्यापकों के करीब दो हजार पदों के लिए एक लाख से अधिक उम्मीदवारों ने लिखित परीक्षा दी थी।

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रोजगार केंद्रों की बात करें तो इस समय नब्बे हजार से अधिक बेरोजगारों ने पंजीकरण करवाया है। सरकार ने राज्य विधानसभा में और बाहर भी माना है कि राज्य में करीब छह लाख से अधिक बेरोजगार है। बेरोजगारों में डॉक्टर, इंजीनियर, पीएचडी, पोस्ट ग्रेुजएट, ग्रेजुएट और अन्य है।

रोजगार के संसाधन स्वयं पैदा करे युवा

समय-समय पर बनने वाली सभी सरकारों ने यह बात स्पष्ट रूप से कही कि सभी को सरकारी नौकरियां नहीं दी जा सकती है। राज्य में प्राइवेट सेक्टर में रोजगार के संसाधन बहुत कम है इसलिए युवाओं को स्वयं रोजगार की योजनाओं का लाभ उठाना चाहिए। अपने उद्याेग लगाकर अन्य युवाओं को भी रोजगार देना चाहिए। पूर्व नेकां-कांग्रेस सरकार ने पांच दिसंबर 2009 को शेर-ए-कश्मीर रोजगार योजना लांच की थी। इसके तहत राज्य सरकार को पांच वर्ष में पांच लाख युवाओं को रोजगार देना था। हर वर्ष एक लाख युवाओं को सरकारी नौकरी या स्वयं रोजगार योजना के तहत रोजगार उपलब्ध करवाना था। पांच वर्षों में एक लाख युवाओं को सरकारी नौकरियां देना लक्ष्य रखा गया था।


सफल नहीं हो पाई योजना
योजना के तहत वूमेन डेवलपमेंट कारपोरेशन द्वारा गठित सेल्फ हेल्प ग्रुप में 50 हजार को रोजगार, हैंडीक्राफ्ट, हैंडलूम में 20 हजार, स्किल डेवलपमेंट से दो लाख युवाओं को रोजगार देना था। यह योजना भी सफल नहीं हो पाई। इस योजना के तहत बेरोजगार युवाओं को स्टाइपेंड भी उपलब्ध करवाने का प्रावधान था। यह प्रक्रिया दो साल तक चली। बाद में विफल हो गई। रोजगार हासिल करने के लक्ष्य नाकाम साबित हुए। कुल मिलाकर अगर यह कहा जा सकता है कि बेरोजगार की समस्या सिर उठाए खड़ी है। कोई समाधान नहीं है।

ओवरसीज इंप्लाइज कारपोरेशन भी सिरे नहीं चढ़ी

वर्ष 2008 में जम्मू कश्मीर में बनी नेकां-कांग्रेस सरकार ने युवाओं को विदेश में रोजगार दिलाने के ओवरसीज इंप्लाइमेंट कॉरपोरेशन का भी गठन किया। कारपोरेशन का हश्र बहुत बुरा हुआ। किसी भी युवा को रोजगार के लिए विदेश नहीं भेजा जा सका। युवा शक्ति को सही दिशा देने के लिए राज्य सरकार ने स्वयं रोजगार योजना भी शुरू की है। रोजगार विभाग द्वारा चलाई जा रही इस योजना के तहत शिक्षित युवाओं को रोजगार के लिए ऋण दिया जाता है। हर साल इसमें तीन से चार हजार युवाओं को ऋण दिया जाता है। इसके जमीनी सतह पर नतीजें बहुत कम सामने आ रहे है। सेल्फ हेल्प सरकार की एक योजना शिक्षित बेरोजगार इंजीनियरों को रोजगार देने की है। वर्ष 2003 में इनके सेल्फ हेल्प ग्रुप बनाए थे। इनमें पांच से अधिक और दस से कम सदस्य शामिल थे। वर्तमान सरकार ने भी इसे जारी रखा है।

व्यापक रोजगार योजना की जरूरत

राज्य में एक व्यापक रोजगार योजना की जरूरत है। यह सही है कि राज्य के सभी युवाओं को सरकारी नौकरी नहीं दी जा सकती है लेकिन एक नीति बनाकर बेरोजगारी को कम जरूर किया जा सकता है। कौशल विकास की दिशा में अधिक काम करने की जरूरत है। आज वो समय है जब जम्मू-कश्मीर के युवा बाहरी राज्यों का रूख कर रहे है। प्राइवेट सेक्टर में बेहतर पैकेज पर काम कर रहे है। वैश्वीकरण के युग में हमे युवाओं को ग्लोबल मैनेजर बनाना है। कौशल विकास, प्राइवेट सेक्टर, स्वयं रोजगार की योजनाओं को ध्यान में रखकर एक नीति बनाई जाए जो बंद न हो और जो भी सरकार आए, उस पर काम करती जाए।

डीके केशव शर्मा

वरिष्ठ प्रोफेसर, बिजनेस स्कूल

एवं अकादमिक मामलों के डीन

जम्मू विश्वविद्यालय


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