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Umeed 2021: इस साल जम्मू में पर्यटन उद्योग को लगेंगे पंख, कई पर्यटन स्थलों का होगा कायाकल्प

सुद्धमहादेव में भगवान शिव का एतिहासिक व प्राचीन शूलपाणोश्वर मंदिर है। इस मंदिर में भगवान शिव का विशालकाय त्रिशूल मौजूद है। इसे मां पार्वती का जन्म स्थान कहा जाता है। जिस अग्निकुंड के भगवान शिव ने मां पार्वती संग फेरे लिए थे वहां आज बड़ा जल कुंड बना है।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Thu, 07 Jan 2021 12:30 PM (IST)Updated: Thu, 07 Jan 2021 12:30 PM (IST)
Umeed 2021: इस साल जम्मू में पर्यटन उद्योग को लगेंगे पंख, कई पर्यटन स्थलों का होगा कायाकल्प
आरएसपुरा वो ऐतिहासिक क्षेत्र है जो जम्मू को पाकिस्तान के सियालकोट से जोड़ता था।

जम्मू, ललित कुमार: जम्मू-कश्मीर की अर्थ व्यवस्था की रीड़ की हड्डी माने जाने वाले पर्यटन उद्योग को बढ़ावा देने के लिए सरकार की ओर से कई कदम उठाए जा रहे हैं। पिछले चंद सालों में जम्मू में पर्यटन उद्योग को बढ़ावा देने के लिए विशेष योजनाएं शुरू हुई है और साल 2021 में इन योजनाओं की जमीनी स्तर पर उतरने की पूरी उम्मीद है। ऐसी पूरी उम्मीद है कि पर्यटन की दृष्टि से महत्वपूर्ण योजनाएं पूरी होने से जम्मू संभाग में पर्यटन उद्योग को नई उड़ान मिलेगी और इससे संभाग में आने वाले पर्यटकों की संख्या में वृद्धि होगी।

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198.37 करोड़ की लागत से मानसर का हो रहा कायाकल्प

-जम्मू संभाग के सांबा जिले में स्थित मानसर के दिन बहुरने लगे हैं। इस पर्यटन स्थल को विश्व के मानचित्र पर लाने के लिए प्रोजेक्ट शुरू कर दिया गया है। इस प्रतिष्ठित प्रोजेक्ट की लागत 198.37 करोड़ रुपये है। वर्ष 2019-20 में मानसर में दस लाख पर्यटक आए थे। यह प्रोजेक्ट बनने के बाद यह संख्या दोगुनी होने के पूरे आसार हैं। इससे करीब 1.15 करोड़ के रोजगार के साधन बढ़ेंगे और आय सलाना 800 करोड़ हो जाएगी। मानसर के विकास से पूरे क्षेत्र का आर्थिक सामाजिक विकास होगा। प्राजेक्ट के लिए जम्मू कश्मीर सरकार ने भी 16.50 करोड़ रुपये का बजट मंजूर किए है। अन्य राशि केंद्र सरकार के स्वदेश दर्शन से मिलेगी। पांच साल में यह प्रोजेक्ट पूरा होना है लेकिन 2021 में इसके तहत अधिकांश काम पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। इसके तहत पर्यटन स्वागत केंद्र, वेलनेस व नेचरोपैथी सेंटर का विकास, मानसर हवेली और नरसिंह मंदिर का जीर्णोद्धार, फूलों के पौधे लगाकर खूबसूरती बढ़ाना, झील के किनारों पर रास्तों का विकास करना, एवियन फायना गैलरी, हाई मास्ट लाइट, सुरक्षा कैमरा, संगीत वाला फव्वारा, वाई फाई की सुविधा, रॉक क्लाइबिग, ओपन एयर जिम, मानसर सब स्टेशन का विस्तार करना, मनोरंजन पार्क, शेषनाग मंदिर का विकास, अंदरूनी सड़कों का विस्तार करना, पार्किंग के लिए पर्याप्त जगह बनाना, मानसर झील में बोटिग की सुविधा आदि शामिल है।

स्वदेश दर्शन के तहत विकसित हो रहे चार सर्किट

-पर्यटन का धार्मिक सर्किट शिवखोड़ी-उत्तरवहनी-पुरमंडल और सुकराला माता को विकसित किया जा रहा है। स्वदेश दर्शन के तहत 33 जगहों को समेटते हुए चार सर्किट विकसित किए जा रहे हैं। इन पर 201.96 करोड़ का खर्च आएगा। इन अहम प्रोजेक्टों को 31 मार्च 2021 तक पूरा किया जाना है। मानतलाई, सुद्धमहादेव, किश्तवाड़, लखनपुर-सरथल, पुंछ और राजौरी के पर्यटन स्थल इन सर्किट में आएंगे। बाग-ए-बाहु में लाइट एंड साउंड शो तैयार किया जा रहा है। इस पर 10.82 करोड़ खर्च होंगे। सरकार वाटर स्पो‌र्ट्स को भी बढ़ावा दे रही है। क्रूज बोट खरीदी गई हैं, जिन्हें पुल डोडा, बगलिहार और रंजीत सागर डैम में शुरू किया जाएगा। इन पर 6.83 करोड़ का खर्च आएगा।

बार्डर टूरिज्म को दिया जा रहा बढ़ावा :

-जम्मू से करीब 35 किलोमीटर दूर अंतरराष्ट्रीय सीमा से सटे आरएसपुरा में लहलहाते खेत, विदेशों से आने वाले प्रवासी पक्षी और भारत-पाकिस्तान विभाजन की दास्तां बयान करती ऑक्ट्राय पोस्ट अपने आप में ही अद्भुत नजारा पेश करती है। आरएसपुरा से मात्र दस किलोमीटर की दूरी पर स्थित ऑक्ट्राय पोस्ट भारत-पाक सीमा पर स्थित है। यहां आजादी से पहले बने प्राचीन मंदिर व मजार का जीर्णोद्धार किया गया है। यहां सौ साल पुराना पीपल का पेड़ है जिसका आधा हिस्सा आज भारत व आधा हिस्सा पाकिस्तान में है। ऑक्ट्राय पोस्ट पर पर्यटकों की सुविधा के लिए टूरिस्ट रिसेप्शन सेंटर की स्थापना की गई है। यहां पर्यटकों के बैठने, खाने-पीने व ठहरने की व्यवस्था है। वीआइपी लोगों के लिए फैमिली सुईट भी है। पर्यटन विभाग की ओर से यहां 25 कनाल जमीन पर ढांचागत सुविधाएं उपलब्ध करवाई जा रही हैं। आरएसपुरा वो ऐतिहासिक क्षेत्र है जो जम्मू को पाकिस्तान के सियालकोट से जोड़ता था। जम्मू से सीधा सड़क मार्ग आरएसपुरा से होकर सियालकोट पहुंचता था। इसी मार्ग पर जम्मू-सियालकोट ट्रेन भी चलती थी। इसके निशान अभी भी आरएसपुरा में बाकी हैं। सामान्य हालात में यहां रोजाना सैकड़ों पर्यटक पहुंचते है लेकिन भारत-पाक सीमा पर लगातार तनाव के चलते बार्डर टूरिज्म प्रभावित हो रहा है। अब इसे भी अमृतसर के वाघा बार्डर की तर्ज पर विकसित करने के प्रयास जारी है।

हिमालयन सर्किट के रूप में विकसित हो रहा सुद्धमहादेव-मानतलाई

-सुद्धमहादेव में भगवान शिव का एतिहासिक व प्राचीन शूलपाणोश्वर मंदिर है। इस मंदिर में भगवान शिव का विशालकाय त्रिशूल मौजूद है। इसे मां पार्वती का जन्म स्थान कहा जाता है। जिस अग्निकुंड के भगवान शिव ने मां पार्वती संग फेरे लिए थे, वहां आज बड़ा जल कुंड बना है। प्राकृतिक सौंदर्य से सराबोर मानतलाई में स्वामी धीरेंद्र ब्रह्मचारी का आश्रम भी है। इसके बावजूद आज तक यहां श्रद्धालुओं के लिए उचित ढांचागत सुविधाएं नहीं रही लेकिन पिछले साल केंद्र सरकार ने धार्मिक स्थल सुद्धमहादेव और मानतलाई के विकास के लिए 84 करोड़ रुपये की मंजूरी दी। हिमालयन सर्किट के तहत ये दोनों धार्मिक स्थल लिए गए और इसे मानतलाई-सुद्धमहादेव-पत्नीटॉप सर्किट के रूप में विकसित किया जा रहा है। मानतलाई में 82.16 करोड़ रुपये की लागत से लैंड स्केपिंग, सौंदर्यीकरण, लाइटिंग, सालिड वेस्ट मैनेजमेंट, सूचक बोर्ड, भीतर पॉथ-वे का निर्माण, पर्यटन सुविधा केंद्र, सुरक्षा बांध, अत्याधुनिक ओपन एयर एप्लीथियेटर, वॉकिंग व जागिंग ट्रैक, महिलाओं व पुरुषों के लिए अलग से शौचालय, सीसीटीवी कैमरे, गार्ड रूम, बारिश से बचने के लिए आश्रय, सोलर पॉवर प्लांट व अन्य बुनियादी सुविधाओं का निर्माण किया जा रहा है जबकि सुद्धमहादेव में 1.97 करोड़ की लागत से टूरिस्ट केफेटेरिया, हाल व प्रतीक्षा कक्ष, लैंड स्केपिंग व सोलर लाइटिंग समेत अन्य पर्यटन ढांचा विकसित किया जा रहा है। 


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