थम जाए जिंदगी पर सांस लेने में न हो दर्द, राज्य में पहली बार खुलेंगे दो पैलेएटिव केयर सेंटर
इस सेंटर के बनने से सबसे अधिक लाभ कैंसर के मरीजों को मिलेगा। इस बीमारी से जूझ रहे 79 से 80 प्रतिशत मरीज अस्पतालों में तीसरी स्टेज या फर आखिरी स्टेज पर पहुंचते हैं।
जम्मू, रोहित जंडियाल। इंसान की जिंदगी में एक ऐसी स्टेज भी आती है जहां पर वे कई ऐसी बीमारियों से जूझ रहा हाेता है जिनमें जिंदगी के लम्हे बहुत कम रह जाते हैं। जिंदगी में दर्द से जी रहे ऐसे ही लोगों को राहत देने के लिए केंद्र ने जम्मू कश्मीर के दो अस्पतालों मेडिकल कालेज श्रीनगर और जम्मू के गांधीनगर अस्पताल में पैलेएटिव केयर सेंटर खोलने को मंजूरी दी है। इन केंद्रों में मरीजों की जिंदगी को आसान बनाने के लिए उन्हें दर्द से निजात दिलाई जाती है। इसमें कई बार मरीजों को राहत के लिए अफीम तक दी जाती है।
केंद्र ने नेशनल पैलएटिव केयर प्रोग्राम 2016 के तहत देश भर में कुल बारह अस्पतालों में पैलेएटिव केयर सेंटर खोलने को मंजूरी दी थी। इनमें गांधीनगर अस्पताल इकलौता जिला अस्पताल है जहां पर यह सेंटर खोलने को मंजूरी दी गई है। अन्य सभी सेंटर मेडिकल कालेजों व एम्स में खुल रहे हैं। गांधीनगर अस्पताल में यह सेंटर खुल भी गया है और अभी तक पंद्रह मरीजों का इलाज भी हो चुका हैं। परंतु अभी पूरी तरह से सेंटर को विकसित करने के लिए डाक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। यह ट्रेनिंग नई दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में चरणबद्ध तरीके से चल रही है। एम्स मे आनको एनेस्थीसिया, पेन एंड पैलेएटिव केयर की एचओडी डा. सुषमा भटनागर की देखरेख में ट्रेनिंग चल रही है। पूरे प्रोजेक्ट को एम्स नई दिल्ली, केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय और एशियन पैसफिक हासपाइस पैलेएटिव केयर नेटवर्क मोनीटर कर रहा है। यह सेंटर पूरी तरह से बनने में अभी एक साल तक का समय लग सकता है।
इन मरीजों को होगा लाभ
इस सेंटर के बनने से सबसे अधिक लाभ कैंसर के मरीजों को मिलेगा। इस बीमारी से जूझ रहे 79 से 80 प्रतिशत मरीज अस्पतालों में तीसरी स्टेज या फर आखिरी स्टेज पर पहुंचते हैं। इन मरीजों का उस इलाज पूरी तरह से संभव नहीं हो पाता है। परंतु दर्द के कारण जिंदगी जीना मुश्किल हो जाता है। ऐसे मरीजों को यह सेंटर खुलने से सबसे अधिक लाभ होगा। इसके अलावा अन्य किसी भी बीमारी से जूझ रहे ऐसे मरीज जो कि अपनी जिंदगी की अंतिम स्टेज पर दर्द के कारण जी नहीं पाते हैं, उनको भी राहत मिलेगी।
बाहर से डाक्टर भी करेंगे मदद
राज्य के पैलेएटिव केयर सेंटरों में काम करने वाले स्टाफ के लिए बाहरी राज्यों के दो डाक्टर भी मेंटर की भूमिका निभएंगे। इनमें टाटा इंस्टीट्यूट से डा. सपना राव और कैंसर इंस्टीट्यूट कोटा से डा. अंजूम शामिल हैं। गांधीनगर अस्पताल में डा. रोहित लाहौरी के अलावा नर्स यश रानी, संजना कुमारी को प्रशिक्षित किया जा रहा है। वहीं श्रीनगर मेडिकल कालेज से तीन डाक्टरों को प्रशिक्षित किया जा रहा है।
मरीजों को मिलेगा लाभ
गांधीनगर अस्पताल के मेडिकल सुपरिटेंडेंट डा. चंद्रप्रकाश का कहना है कि सेंटर यहां खुल गया है। इसमं सुविधाओं का विस्तार भी किया जाएगा। कई मरीजों का इससे इलाज हो रहा है। उन्हें राहत मिल रही है। यह पूरे राज्य के लिए एक अच्छी खबर है।
कई तरीकों से होता है इलाज
सेंटर के प्रभारी डा. रोहित लाहौरी का कहना है कि इस सेंटर के पूरी तरहे से खुलने से दर्द के साथ जी रहे मरीजों को लाभ होगा। कई बार ऐसे मरीजों के इलाज के लिए ओपियाड की जरूरत भी पड़ती हे। सेंटर को मान्यता मिलने के बाद ऐसे ओपियाड को खरीदा जा सकता है और मरीजों को यह ओपियाड दी जा सकती है। हाल ही में सरकार ने नारकोटक्स ड्रग्स एंड साइकोट्राफिक सबस्टांस एक्ट में भी इसके लिए संशोधन किया है।