Jammu Kashmir: राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बने दो सरकारी अधिकारी बर्खास्त
सरकारी तंत्र में आतंकियों और अलगाववादियो के समर्थकों के खिलाफ कार्रवाई करते हुए प्रदेश सरकार ने सोमवार को एक नायब तहसीलदार और एक असिस्टेंट प्रोफेसर को बर्खास्त कर दिया है। बीते चार दिनों में प्रदेश सरकार अब तक तीन लाेगों को सरकारी सेवा से बाहर का रास्ता दिखा चुकी है।
श्रीनगर, राज्य ब्यूरो। सरकारी तंत्र में आतंकियों और अलगाववादियो के समर्थकों के खिलाफ कार्रवाई करते हुए प्रदेश सरकार ने सोमवार को एक नायब तहसीलदार और एक असिस्टेंट प्रोफेसर को बर्खास्त कर दिया है। राष्ट्रीय एकता व अखंडता के लिए खतरे के आधार पर बीते चार दिनों में प्रदेश सरकार अब तक तीन लाेगों को सरकारी सेवा से बाहर का रास्ता दिखा चुकी है। इससे पूर्व प्रदेश सरकार ने कुपवाड़ा के एक सरकारी अध्यापक को पहली मई को बर्खास्त किया था।
बर्खास्त किए गए नायब तहसीलदार का नाम नजीर अहमद वानी है और वह पुलवामा-2 तहसील में नियुक्त थे जबकि बर्खास्त असिस्टेंट प्रोफेसर का नाम डा अब्दुल बारल नाईक है। जिला कुलगाम के चिड्डर गांव का रहने वाले अब्दुल रहमान नाईक जिला उधमपुर में महिला राजकीय महाविद्यालय में कार्यरत था। उसे पुलिस ने 6 मार्च 2021 को उधमपुर से ही गिरफ्तार किया था। पीएचडी अब्दुल नाईक के खिलाफ कोयमू कुलगाम पुलिस स्टेशन में वर्ष 2018 और 2019 के दौरान कई मामले दर्ज किए गए। उसे कुलगाम में शब्बीर नाईक और डाक्टर के नाम से भी पुकारा जाता रहा है। उस पर युवाओं को आतंकी गतिविधियों के लिए उकसाने और राष्ट्रद्राेही गतिविधियों में सलिंप्तता के आरोेप हैं।
नजीर अहमद वानी और अब्दुल नाईक को भारतीय संविधान की धारा 311 की उपधारा दो के तहत बर्खास्त किया गया है। उपराज्यपाल मनोज सिन्हा की तरफ से महाप्रशासनिक विभाग द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि उपराज्यपाल इस बात से संतुष्ट हैं कि नायब तहसीलदार नजीर अहमद वानी और असिस्टेंट प्राेफेसर अब्दुन नाईक के खिलाफ संविधान की धारा 311 की उपधारा दो के तहत जांच की जरुरत नहीं है। उनकी गतिविधियां राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा हैं। इसलिए उनकी सेवाओं को तत्काल प्रभाव से समाप्त किया जाता है।
यह वही नायब तहसीलदार नजीर अहमद वानी है, जिसके शापिंग काम्प्लेक्स और मकान में आतंकी ठिकाना होने की सूचना को दैनिक जागरण ने 23 मई 2020 ने प्रकाशित किया था। वायलू पुलवामा के रहने वाले नजीर अहमद वानी की दुकान के नीचे आतंकियों का भूमिगत ठिकाना था। पुलिस ने इस ठिकाने को धवस्त किया था। नजीर अहमद वानी का एक भाई हिजबुल मुजाहिदीन का कमांडर था जो 1996 में सुरक्षाबलों के हाथों मारा गया था। उसका एक अन्य करीबी रिश्तेदार लियाकत भी हिज्ब का आतंकी था जो 2018 में मारा गया था। नजीर वानी की दुकान में आतंकी ठिकाना मिलने के बाद पुलिस ने उसे व उसके बेटे के खिलाफ मामला दर्ज करते हुए दोनों को हिरासत में भी लिया था। पुलिस कार्रवाई से चंद दिन पहले नजीर अहमद वानी ने जिला मैजिस्ट्रेट पुलवामा को एक पत्र लिखकर पुलिस के खिलाफ शिकायत भी की थी, जिसमें उसनेे दावा किया था कि पुलिसकर्मियों ने उसके सरकारी वाहन चालक को पीटा है।
जम्मू कश्मीर सरकार ने सरकारी तंत्र में बैठे आतंकियों व अलगाववादियों के समर्थकों व राष्टद्रोही तत्वों केा चिन्हित करने और उनके मामलों की जांच कर, उनकी सेवाएं समाप्त करने संबंधी रिपोर्ट तैयार करने के लिए 21 अप्रैल को अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक सीआइडी जम्मू कश्मीर के नेतृत्व में एक विशेष कार्यबल गठित किया है। प्रदेश सरकार ने विभिन्न सरकारी विभागों में करीब 500 अधिकारियों व कर्मियों के खिलाफ जांच शुरु कर रखी है जो प्रत्यक्ष-परोक्ष रुप से राष्ट्रविराेधी तत्वों के साथ शामिल हैं।