Move to Jagran APP

डोगरा इतिहास को फिर से जानने और परिभाषित करने की जरूरत

जागरण संवाददाता, जम्मू : जम्मू-कश्मीर कला, संस्कृति एवं भाषा अकादमी की ओर से आयोजित दो दिवस

By JagranEdited By: Published: Sun, 23 Dec 2018 07:00 AM (IST)Updated: Sun, 23 Dec 2018 07:00 AM (IST)
डोगरा इतिहास को फिर से जानने और परिभाषित करने की जरूरत
डोगरा इतिहास को फिर से जानने और परिभाषित करने की जरूरत

जागरण संवाददाता, जम्मू : जम्मू-कश्मीर कला, संस्कृति एवं भाषा अकादमी की ओर से आयोजित दो दिवसीय अखिल भारतीय डोगरी लेखक कांफ्रेंस के पहले दिन वर्ष 2017 के डोगरी साहित्य को खंगाला गया। इस मौके पर कई पुस्तकों का भी विमोचन किया गया।

prime article banner

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि मेजर जनरल, सेवानिवृत्त गोवर्धन ¨सह जम्वाल ने डोगरी मान्यता दिवस पर अकादमी द्वारा दो दिवसीय राष्ट्रीय स्तर के डोगरी सम्मेलन की सराहना करते हुए कहा कि अकादमी के प्रयासों से लेखकों, बुद्धिजीवियों से डोगरी भाषा, संस्कृति के संरक्षण और संवर्धन की भावी योजना के बारे में चर्चा हो सकेगी। उन्होंने कहा कि युवाओं को डोगरी साहित्य से जोड़ने की जरूरत है। कुछ छिपे हुए ऐतिहासिक तथ्यों का खुलासा करते हुए उन्होंने कहा कि डोगरा इतिहास को फिर से जानने और फिर से परिभाषित करने की जरूरत है। युवाओं के सामने तथ्यों को सामने लाने का यह सही समय है। उन्होंने यह भी कहा कि युवाओं को इतिहास, डोगरी साहित्य, डोगरा लोक और व्यंजनों की जानकारी होनी ताकि यह चीजें डोगरा क्षेत्र के राजदूत का कार्य कर सकें।

अध्यक्षीय भाषण में संयोजक साहित्य अकादमी डोगरी सलाहकार बोर्ड दर्शन दर्शी ने सभी को डोगरी मान्यता दिवस पर सभी को बधाई दी।

उन्होंने तथ्यात्मक इतिहास को रेखांकित करने वाले ऐतिहासिक तथ्यों को फिर से परिभाषित करने के लिए मुख्य अतिथि की टिप्पणियों का समर्थन किया और लेखकों के इस संबंध में योगदान देने पर बल दिया। उन्होंने आगे कहा कि साहित्य स्थानीय बोलियों, संस्कृति को दर्शाता है और सामाजिक मुद्दों का प्रतिनिधित्व करता है।

कुंजी भाषण में प्रो. ललित मगोत्रा ने कहा कि वर्ष 2017 के साहित्य पर हो रहा सम्मेलन के विस्तृत आलोचनात्मक विश्लेषण भविष्य में संभावनाओं के विशेष संदर्भ के साथ संबंधित क्षेत्रों की प्रगति की कल्पना कर सकेगा। उन्होंने यह भी कहा कि साहित्य संबंधित क्षेत्र की मौजूदा स्थिति को चित्रित करता है और समकालीन विश्व साहित्य की तुलना में बेरोजगारी, जम्मू क्षेत्र के सीमावर्ती क्षेत्रों में स्थित आबादी और डोगरी साहित्य की चुनौतियों जैसे सामाजिक मुद्दों पर प्रकाश डालता है। उन्होंने पाठकों की कमी के बारे में भी संकेत दिया लेकिन डोगरी भाषा में रचनात्मक लेखकों और आलोचकों के रूप में युवाओं के विशेष उल्लेख के साथ साहित्य के उत्पादन पर अपनी संतुष्टि व्यक्त की। उन्होंने आगे स्कूलों में डोगरी भाषा, बाल साहित्य, सोशल मीडिया के उपयोग, कंप्यूटर और अंग्रेजी को डोगरी भाषा और साहित्य से जोड़ने पर जोर दिया।

स्वागत भाषण में जम्मू-कश्मीर कला, संस्कृति एवं भाषा अकादमी के सचिव डॉ. अजीज आजिनी ने डोगरा संस्कृति एवं साहित्य के उत्थान के लिए निरंतर सामूहिक प्रयास करने पर बल दिया। उन्होंने सम्मेलन के उद्देश्यों पर भी प्रकाश डाला। उद्घाटन सत्र का संचालन डॉ. रतन बसोत्रा ने किया जबकि धन्यवाद डॉ. अर¨वद्र ¨सह अमन ने किया।

पहले पत्रवाचन सत्र में डॉ. ओम गोस्वामी ने वर्ष 2017 में डोगरी साहित्य को स्थानीय संस्थाओं के योगदान पर पेपर पढ़ा। मोहन ¨सह ने वर्ष 2017 के डोगरी नाटक साहित्य पर पेपर पढ़ा। दोनों ही पेपरों पर अच्छी चर्चा हुई। उपस्थित श्रोताओं, साहित्यकारों की ओर से लेख से पत्र से जुडे़ कई सवाल पूछे गए।

इस सत्र में नर¨सह देव जम्वाल, ध्यान ¨सह, छत्रपाल पैनलिस्ट थे। सभी ने विस्तार से संस्थाओं के योगदान एवं नाटक साहित्य पर बात करते हुए पेपरों की सराहना की। पेपरों में जरूरी बदलावों के भी सुझाव दिये गए। दूसरे पत्र वाचन सत्र में जगदीप दुबे ने वर्ष 2017 में डोगरी काव्य पर पेपर पढ़ा। इस सत्र में डा. ज्ञानेश्वर, डा. निर्मल विनोद, इंद्रजीत केसर अध्यक्षीय मंडल में मौजूद थे। कहानी गोष्ठी में शिव देव ¨सह सुशील, राज राही, सुनीता भडवाल, राजेश्वर ¨सह राजू, सरोज बाला ने अपनी कहानियां पढ़ी। इसमें देशबंधु डोगरा नूतन, प्रो. चम्पा शर्मा, प्रो. अर्चना केसर पैनलिस्ट थे।

कहानी गोष्ठी के उपरांत डोगरी संगीत के कार्यक्रम ने उपस्थिति का मन मोह लिया। दूसरे और तीसरे सत्र का संचालन रीता रानी, सहायक संपादक और यशपाल निर्मल ने किया। लोक संगीत कार्यक्रम में जिन गायकों ने अपने गीत गाए, उनमें उपमा शर्मा, सोनाली डोगरा, सुरेंद्र मन्हास और बाबू राम, सरस भारती और पार्टी ने लोक नृत्य प्रस्तुत किया। बांसुरी पर राकेश आनंद, तबला पर साहिल आनंद और ¨सथ पर चंदन कुमार ने संगत की। पूरा कार्यक्रम डॉ. रतन बसोत्रा जबकि सांस्कृतिक कार्यक्रम बिशन दास, सहायक सांस्कृतिक अधिकारी की देखरेख में आयोजित किया गया।

-----------

डोगरी अंग्रेजी डिक्शनरी का विमोचन दो दिवसीय डोगरी लेखक कांफ्रेंस के पहले दिन अकादमी के सहयोग से प्रकाशित किताबों के अलावा डोगरी शीराजा, डोगरी अंग्रेजी डिक्शनरी

का विमोचन किया गया। एसएस सागर के पंजाबी कहानी संग्रह यात्री के प्रो. अर्चना केसर द्वारा अनुवादित पुस्तक का भी विमोचन किया गया। इसके अलावा नरेश कुमार उदास के कहानी संग्रह का कुलदीप राज शर्मा द्वारा अनुवादित संग्रह मां ग्रा नी छोड़ना चाहंदी आदि का विमोचन किया गया।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.