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कोरोना की मार से जम्मू कश्मीर में लगातार दो शैक्षणिक सत्र बर्बाद

राज्य ब्यूरो जम्मू कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों को देखते हुए स्कूलों के अगले दो-तीन माह

By JagranEdited By: Published: Sat, 04 Dec 2021 06:39 PM (IST)Updated: Sat, 04 Dec 2021 06:39 PM (IST)
कोरोना की मार से जम्मू कश्मीर में लगातार दो शैक्षणिक सत्र बर्बाद
कोरोना की मार से जम्मू कश्मीर में लगातार दो शैक्षणिक सत्र बर्बाद

राज्य ब्यूरो, जम्मू : कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों को देखते हुए स्कूलों के अगले दो-तीन माह खुलने की संभावना नहीं है। दूसरा शैक्षणिक सत्र समाप्त होने में चार माह ही शेष बचे हैं। संक्रमण के मामले निरंतर बढ़ने से जिला स्तर पर माइक्रो कंटेनमेंट जोन बनाए जा रहे है। ऐसे हालात में स्कूलों के खुलने की उम्मीद नहीं है। सरकार बच्चों को लेकर कोई जोखिम उठाने के लिए तैयार नहीं है।

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कश्मीर और जम्मू संभाग के विटर जोन में सर्दी की छुट्टियां घोषित कर दी गई है। उपराज्यपाल प्रशासन ने सिर्फ 10वीं व 12वीं कक्षा के विद्यार्थियों को ही कोरोना की रोकथाम के लिए निर्देशों का पालन सुनिश्चित बनाकर स्कूल भेजने की अनुमति दी है। अन्य सभी कक्षाएं व परीक्षाएं आनलाइन चल रही है। सरकार कोरोना के ओमिक्रान वायरस को लेकर सतर्क है और सावधानी के तौर पर प्रभावी कदम उठाए हैं, उससे साफ है कि संक्रमण का खतरा कम नहीं हुआ है। अगले तीन-चार माह सावधानी बरतनी ही होगी। जम्मू कश्मीर में इस समय उच्च शिक्षण संस्थान ही खुले हैं और अब उनको भी बंद किए जाने की आशंका है।

स्टाफ और विद्यार्थियों के सौ प्रतिशत टीकाकरण के साथ 50 प्रतिशत क्षमता के साथ उच्च शिक्षण संस्थान खोले गए हैं। इनमें सीनियर को ही बुलाया गया है। श्रीमाता वैष्णो देवी विश्वविद्यालय, कटड़ा में इस शैक्षणिकसत्र में कक्षाएं आनलाइन चल रही हैं। सीनियर ही कैंपस में पढ़ाई कर रहे है। ऐसे में अभी तक जम्मू विश्वविद्यालय इस वर्ष के अगस्त सत्र की दाखिला प्रक्रिया पूरी नहीं कर पाया है। विश्वविद्यालय के 40 से अधिक पोस्ट ग्रेजुएट कोर्स में दाखिले के लिए आवेदन किए जा चुके हैं। अभी मेरिट सूचि जारी होने का इंतजार है। एक माह इस प्रक्रिया में लगेगा। ऐसे में अगस्त-सितंबर 2021 का शैक्षणिक सत्र जनवरी-फरवरी 2022 में लगेगा।

जम्मू विश्वविद्यालय के मनोविज्ञान विभाग के प्रो. चंद्र शेखर का कहना है कि कोरोना से सबसे अधिक बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हुई है। आनलाइन पढ़ाई कभी भी क्लास रूम शिक्षण का स्थान नहीं ले सकती। स्कूल बंद रहने का असर बच्चों की मानसिक स्थिति पर पड़ा है। बच्चे लिखना, पढ़ना भूल रहे हैं। आलसी हो गए है। सिस्टम बिगड़ चुका है। कोरोना का जोखिम भी उठाया नहीं जा सकता। फिलहाल कोई रास्ता निकलता नजर नहीं आ रहा है क्योंकि सुरक्षा सबसे अहम है।


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