स्मृति दिवस पर शहीद रवि पाल को दी श्रद्धांजलि
संवाद सहयोगी, रामगढ़ : उड़ी सैन्य शिविर पर दो वर्ष पूर्व हुए आतंकी हमले में शहीद हवलदा
संवाद सहयोगी, रामगढ़ : उड़ी सैन्य शिविर पर दो वर्ष पूर्व हुए आतंकी हमले में शहीद हवलदार रवि पाल पुत्र स्व. बाबू राम निवासी सारवा के स्मृति दिवस पर उन्हें श्रद्धांजलि अपिर्तत की गई। सैन्य अधिकारियों, राजनीतिज्ञों एवं प्रशासनिक अधिकारियों ने शहीद रवि पाल को श्रद्धासुमन अर्पित किया।
शहीद रवि पाल के पैतृक गांव सारवा में आयोजित किए गए दूसरे स्मृति दिवस पर भाजपा विधायक चंद्र प्रकाश गंगा मुख्यातिथि के तौर पर उपस्थित थे। उन्होंने गांव सारवा में बनाए गए शहीद रवि पाल के स्मारक स्थल का लोकार्पण भी किया। जनसभा में अपने संबोधन में विधायक गंगा ने शहीदों के सम्मान में अपने विचार भी रखे। उन्होंने कहा कि मातृभूमि की रक्षा करते हुए वीरगति प्राप्त करने वाले वीर जवानों की शहादत पर पूरे भारतवर्ष को गर्व है। गंगा ने कहा कि 18 सितंबर 2016 को उड़ी क्षेत्र में सेना की दस डोगरा रेजिमेंट पर हुआ आतंकी हमला देश के दुश्मनों की गहरी साजिश का परिणाम था। इस हमले में हमारे कई जवान शहीद हुए, जिनकी शहादत का आज हम सभी लोग सम्मान कर रहे हैं।
वहीं, समारोह में उपस्थित हुए पूर्व राज्यमंत्री स. मंजीत ¨सह, पीडीपी के वरिष्ठ नेता विजय चौधरी बावा, पैंथर्स पार्टी के प्रांतीय प्रधान राजेश पड़गोत्रा, सैन्य अधिकारी कर्नल राजीव कुमार, कर्नल अजीत कुमार, प्रशासनिक अधिकारी पंकज मंगोत्रा, शहीद के पारिवारिक सदस्य माता मौलाबी देवी, पत्नी गीता देवी, बेटे वंश, सुधांशु सहित पूर्व पंचायत प्रतिनिधि राम पाल शर्मा, मोहन लाल शर्मा, केशव दत्त शर्मा सहित अन्य ने शहीद रवि पाल को श्रद्धांजलि दी। शहीद के स्मृति दिवस पर गार्ड ऑफ ऑनर की रस्म 15 राजपूताना रेजीमेंट के जवानों ने दी। स्थानीय निजी स्कूल मांटेसरी के बच्चों ने अपनी प्रस्तुतियां पेश कर शहीदों की शहादत की गाथाओं को दोहराया। इस मौके पर दस डोगरा रेजीमेंट के हवलदार बलदेव राज, हवलदार माल्या दत्ता, अशोक कुमार, जो¨गद्र कुमार, राज कुमार, तेज राम, तारा चंद, मोहन लाल, दीपक कुमार, ओम प्रकाश, कस्तूरी लाल, आशुतोष शर्मा व गणमान्य लोगों ने शहीद रवि पाल को श्रद्धांजलि देकर उनकी शहादत को नमन किया।
------ बुजुर्ग मां की श्रद्धांजलि ने छेड़े दुखों के तार
संवाद सहयोगी, रामगढ़ : हर मां-बाप का एक ही सपना होता है कि अपने पुत्रों के हाथों उनके अंतिम संस्कार की रस्में पूरी हों, ताकि उनको मोक्ष प्राप्त हो सके, लेकिन जब मां-बाप द्वारा अपने हाथों से पुत्रों के अंतिम संस्कार की रस्मों को अदा करना पड़ जाए, तो उन पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ता है। कुछ इसी तरह के दुख को बुढ़ापे के दिनों में अपने कमजोर कंधों पर उठाए जिंदगी के दिन बिता रही शहीद रवि पाल की मां मौलाबी देवी का दुख किसी नासूर से कम नहीं समझा जा सकता। मंगलवार को शहीद हवलदार रवि पाल के दूसरे स्मृति दिवस के मौके पर बुजुर्ग मां ने भी अपने हाथों में फूल लेकर अपने शहीद बेटे को श्रद्धांजलि दी। बूढ़ी और कमजोर हो चुकी शहीद की मां की आंखों से बेटे के वियोग का गम सैलाब बनकर छलकता रहा। हर कोई उनके दुख और आंखों से छलकते दुखों के सैलाब से आहत हुआ नजर आया। वहीं, बुजुर्ग मां बार-बार अपने शहीद बेटे की प्रतिमा को देखती और अपनी आंखों से उमड़ते सैलाब को आंचल से पोंछने लगती। इस दुखद दृश्य को देखकर समारोह में उपस्थित लोगों की आंखें भी नम हो गईं। शहीद की मां को समारोह के अतिथियों ने संभाल कर उठाया और मंच पर विराजमान कर हौसला दिया।