Jammu : मढ़ में परवान चढ़ रही गन्ने की पारंपरिक खेती, कोविड के दौर में शिथिल पड़ गई थी खेती
ऐसे में उम्मीद है कि फिर से 2000 से 2500 कनाल भूमि पर गन्ना सज सकेगा जोकि कोविड के दौर में 1200 कनाल पर पहुंच गया था। इस बार कोविड के मामले नही होने से लोग गन्ने का जूस पी रहे हैं और गन्ने की खपत होने लगी है।
जम्मू, जागरण संवाददाता : कोरोना काल के दौरान शिथिल पड़ चुकी मढ़ क्षेत्र में गन्ने की पारंपरिक खेती फिर परवान चढ़ेगी। इस सीजन जमकर गन्ने का जूस बिकने से स्थानीय गन्ना उच्चतम दाम पर बिका। 150 रुपये में बिकने वाली 13 गन्ने की गट्ठी 300 से 400 रुपये में बिकी। इससे उत्साहित हुए किसान अब स्थानीय क्षेत्र में बढ़चढ़ कर गन्ना लगाने के क्रम में जुट गया है।
ऐसे में उम्मीद है कि फिर से 2000 से 2500 कनाल भूमि पर गन्ना सज सकेगा जोकि कोविड के दौर में 1200 कनाल पर पहुंच गया था। इस बार कोविड के मामले नही होने से लोग गन्ने का जूस पी रहे हैं और गन्ने की खपत होने लगी है। मढ़ ब्लाक के किसान खुश हैं और अगली फसल लगाने के काम में जुटे हुए हैं। कोरोना के कारण पिछले दो बरसों में यह किसान गन्ने की खेती से अपने हाथ खींचने लगे थे।
5 पंचायतों में ही लगता है गन्ना : दरअसल जम्मू संभाग में मढ़ क्षेत्र ही ऐसा है जहां की पांच पंचायतों में गन्ने की पारंपरिक खेती होती आ रही है। दशकों से चन्नू चक, राजपुरा, कल्याणपुरा, काहना चक, हल्का पंचायतों के डेढ़ दर्जन गांवों में किसान गन्ना लगाते हैं। इसलिए जम्मू में जब गन्ने की बात आती है तो मढ़ का गन्ना सबको याद आता है। खासकर पंजौर, कल्याणपुर, शामा चक, झिडी आदि क्षेत्र तो गन्ने की खेती के लिए पहचाने जाते हैं।
बहुत खास है मढ़ का गन्ना : यहां लगने वाला गन्ना अपनी खासियत के कारण मशहूर है। यह नरम होता है और मिठास से भरपूर। बाहरी राज्यों से आने वाले गन्ने की जगह लोग इस स्थानीय गन्ने को लेना चाहते हैं। गन्ने की रेहड़ियों पर भी मढ़ के गन्ने की मांग रहती है। यहां के लगने वाले झिड़ी मेले में भी स्थानीय गन्ना खूब बिकता है। लोग सौगात के तौर पर यहां का गन्ना ले जाते हैं।
क्या कहते हैं किसान : शामाचक के समाज सेवी व किसान दर्शन मेहरा ने कहा कि मढ़ के लोग गन्ने की पारंपरिक खेती कर एक पुरानी रिवायत को भी निभाते आ रहे हैं। कोविड के दौर में इस खेती पर असर पड़ा। अब किसान इस संकट से निकल रहे हैं। आगे भी सरकार से गुजारिश है कि इस पारंपरिक खेती को सहारा दे। किसान अश्विनी कुमार ने बताया कि मढ़ का गन्ना जम्मू क्षेत्र के हर हिस्से में जाता है। यहां लगने वाले मेलों से हमारे क्षेत्र के इस गन्ने की खास मांग रहती है। किसान बिट्टू राम ने बताया कि मढ़ की पांचों पंचायतों को सरकार गन्ना उत्पादक क्षेत्र घोषित करे। वहीं किसान दर्शन लंगेह ने कहा कि झिड़ी मेला यहीं लगता है , इसलिए गन्ना लगाने की परंपरा हमारी आस्था से भी जुड़ी है। इसे बरकरार रखने के लिए सरकार का पूरा समर्थन चाहिए।