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फारूक अब्दुल्ला बोले- यह राष्ट्र विरोधियों की जमात नहीं, लेकिन भाजपा विरोधी है

बैठक के बौद अलायंस के अध्यक्ष उपाध्यक्ष महासचिव और अन्य पदों पर नियुक्त नेताओं के नामों की घोषणा करने की संभावना है। यह भी कहा जा रहा है कि पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती और पीपुल्स कांफ्रेंस के अध्यक्ष सज्जाद गनी को भी महत्वपूर्ण पद दिए जाएंगे।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Sat, 24 Oct 2020 03:42 PM (IST)Updated: Sat, 24 Oct 2020 06:22 PM (IST)
फारूक अब्दुल्ला बोले- यह राष्ट्र विरोधियों की जमात नहीं, लेकिन भाजपा विरोधी है
भाजपा और अपनी पार्टी गुप्कार घोषणा का विरोध कर रही है।

श्रीनगर, जेएनएन: "पीपुल्स अलायंस फॉर गुपकार डिक्लेरेशन" ने डॉ. फारूक अब्दुल्ला को अपना अध्यक्ष और महबूबा मुफ्ती को उपाध्यक्ष घोषित किया है। यह निर्णय पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती के गुपकार रोड पर स्थित निवास पर आयोजित अलायंस में शामिल घाटी के शीर्ष नेताओं की दो घंटे तक चली बैठक में लिया गया। वहीं नया पद्भार संभालने के बाद पत्रकारों से बात करते हुए डॉ अब्दुल्ला ने एलायंस के उद्देश्य को उजागर करते हुए कहा कि यह राष्ट्र विरोधी जमात नहीं है। हमारा मकसद यह सुनिश्चित करना है कि जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के लोगों का अधिकार बहाल हो।

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वहीं अलायंस के प्रवक्ता की जिम्मेदारी संभालने वाले सज्जाद लोन ने अधिकारिक तौर पर पत्रकारों के समक्ष अलायंस के नवनियुक्त पदाधिकारियों के नामों की घोषणा की। उन्होंने बताया कि डॉ. फारूक अब्दुल्ला को संगठन का अध्यक्ष, महबूबा मुफ्ती को उपाध्यक्ष बनाया गया है। उनके अलावा एमवाई तारिगामी संयोजक जबकि हसनैन मसूदी इसके समन्वयक होंगे। उन्होंने आगे बताया कि बैठक में यह भी निर्णय लिया गया है कि अलायंस का प्रतिक जम्मू-कश्मीर का तत्कालीन ध्वज होगा।

लोन ने कहा कि अलायंस की अगली बैठक जम्मू में दो सप्ताह के भीतर होगी। उन्होंने यह भी कहा कि अलायंस की ओर से 17 नवंबर को एक सम्मेलन आयोजित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि उनका प्रयास रहेगा कि वह लोगों के बीच जाकर उन्हें राज्य के वास्तविक हालात से अवगत कराएंगे।

इस बीच, डॉ फारूक ने मीडियाकर्मियों से बात करते हुए कहा कि यह कहा जा रहा है कि नेताओं द्वारा गठित यह अलायंस राष्ट्र विरोधी है। यह अलायंस राष्ट्र विरोधी नहीं है, लेकिन भाजपा विरोधी है। उन्होंने कहा कि भाजपा ने लोगों को विभाजित करने का प्रयास किया है। अभी वह देश के संघीय ढांचे को तोड़ने का प्रयास कर रही है, लेकिन वह सफल नहीं होगा। हमारी यह लड़ाई धार्मिक नहीं है, बल्कि राष्ट्र की पहचान के लिए है।


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