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Kashmiri Pandits : घाटी वापसी के लिए सरकार पहले कश्मीरी हिंदुओं से बातचीत तो करे

पनुन कश्मीर के प्रधान विरेंद्र रैना का कहना है कि घाटी में अलग से कश्मीरी हिंदू लाेगो के लिए जगह सुनिश्चित की जानी चाहिए जोकि पूरी तरह से सुरक्षित हो। अब कश्मीरी पंडित बिखर कर नही एकजुट होकर ही कश्मीर घाटी में रह सकेंगे।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Sat, 28 May 2022 01:32 PM (IST)Updated: Sat, 28 May 2022 01:32 PM (IST)
Kashmiri Pandits : घाटी वापसी के लिए सरकार पहले कश्मीरी हिंदुओं से बातचीत तो करे
कश्मीरी हिंदुओं से बातचीत की जानी चाहिए और घाटी में अलग से जगह सुनिश्चित की जानी चाहिए।

जम्मू, जागरण संवाददाता : 1990 में जब घाटी में आतंकियों के हमले बढ़ गए और वहां हालात खराब हो गए तो कश्मीरी हिंदुओं को विस्थापन के मजबूर होना पड़ा। यह लोग अपना सब कुछ वहां छोड़ कर जम्मू या देश के अन्य राज्यों में चले गए। 32 साल का समय गुजर गया मगर इन लोगों की आज तक घर वापसी नही हो पाई। इसको लेकर इन विस्थापितों में निराशा है।

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कश्मीरी हिंदुओं का कहना है कि वे घाटी जाने को तैयार है मगर यह वापसी उनकी मर्जी के मुताबिक होगी। अब वे अपने अपने गांव में नही जा पाएंगे, क्योंकि अकेले अकेले रह पाना संभव नही। कश्मीरी हिंदू समाज चाहता है कि उनको घाटी में कहीं एक ही जगह बसाया जाए। सरकार को कई बार ज्ञापन दिए जा चुके हैं, अब अगला कदम सरकार का है।

पनुन कश्मीर के प्रधान विरेंद्र रैना का कहना है कि घाटी में अलग से कश्मीरी हिंदू लाेगो के लिए जगह सुनिश्चित की जानी चाहिए जोकि पूरी तरह से सुरक्षित हो। अब कश्मीरी पंडित बिखर कर नही एकजुट होकर ही कश्मीर घाटी में रह सकेंगे। सात लाख कश्मीरी हिंदू आज दर बदर है और वह घाटी वापसी चाहता है। लेकिन सरकार आज तक कोई नीति ही नही बना पाई। कब तक कश्मीरी हिंदुओं को विस्थापित बनकर रहना पड़ेगा। आखिर कोई पहल तो शुरू करनी चाहिए। सरकार कम से कम कश्मीरी हिंदुओं के प्रतिनिधियों से बातचीत तो करे क्योंकि घाटी वापसी कश्मीरी हिंदुओं की इच्छा के अनुसार ही होगा।

वहीं आल इंडिया कश्मीरी समाज के महासचिव संजय कुमार गंजू ने कहा कि इन हालात में तो कोई भी घाटी वापिस नही जाना चाहेगा। लेकिन एक न एक दिन तो वापिस जाना ही है। मगर सरकार कोई पहल तो करे। घटी में आतंक सिर चढ़कर बोल रहा है। पहले इस आतंक का पूरी तरह से सफाया तो करे सरकार। वहीं दूसरी ओर कश्मीरी हिंदुओं से बातचीत की जानी चाहिए और घाटी में अलग से जगह सुनिश्चित की जानी चाहिए।

ललिता पंडिता का कहना है कि अपनी मिट्टी से दूर रहकर कोई खुश नही रहता। एक न एक दिन हमें अपने क्षेत्र में जाना ही है। लेकिन कब यह अभी तक पता नही चल पा रहा। सरकार को कश्मीरी हिंदुओं के बारे में भी सोचना चाहिए।


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