नए कश्मीर की नींव रख रही सेना, आतंकवाद से लड़ने के साथ करियर काउंसलिंग कैंप लगा बदली जा रही युवाओं की सोच
जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने और केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद से कश्मीर घाटी में स्थानीय युवाओं की आतंकी संगठनों में भर्ती में कमी आई है।
श्रीनगर, नवीन नवाज। घाटी में लगातार सामान्य हो रहे हालात के बीच सेना आतंकवाद का मुंहतोड़ जवाब देने के साथ नए कश्मीर की नींव भी रख रही है। स्थानीय बच्चों और युवाओं के समग्र विकास के साथ मुख्यधारा में शामिल कर उनमें राष्ट्रवाद की अलख जगाने के लिए सेना ने एक विशेष कार्ययोजना बनाई है। इस कार्ययोजना का खाका स्थानीय लोगों की मदद से ही तैयार किया गया है। शिक्षा, रंगमंच, कौशल विकास, प्लेसमेट, नशा उन्मूलन और खेल समेत कई क्षेत्रों में युवाओं को आगे ले जाने के लिए कश्मीर के विभिन्न जिलों में करियर काउंसलिंग कैंप लगाए जा रहे हैं। परिणाम भी सामने आ रहे हैं। बड़ी संख्या में लोग आतंकियों के फरमान को ठेंगा दिखाकर अपने बच्चों को सेना के कार्यक्रमों में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं। बदलाव का आलम यह है कि विभिन्न सुरक्षा शिविरों में स्थानीय लोग भी अपनी तरफ से कैंप लगाने के लिए सहयोग का प्रस्ताव लेकर पहुंच रहे हैं। कहते हैं, अब कश्मीर की नई पौध (युवा पीढ़ी) को खराब करने का दुश्मन को मौका नहीं देंगे।
जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने और केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद से कश्मीर घाटी में स्थानीय युवाओं की आतंकी संगठनों में भर्ती में कमी आई है। आतंकियों के समर्थन में रैलियां बंद हो चुकी हैं। मारे जाने वाले आतंकियों के जनाजों में नजर आने वाली भीड़ अब चंद लोगों की मौजूदगी तक सिमट चुकी है। अब सैन्य शिविरों के बाहर पथराव करने वाली या नारेबाजी करने वाली भीड़ भी नजर नहीं आती।
ऐसे खुल गया सिलाई सेंटर : समाज सेवी सलीम रेशी ने कहा कि यहां सेना की भूमिका देखकर आप हैरान रह जाएंगे। बीते दिनों मैं कुलगाम गया था। वहां कुछ आतंकवाद पीडि़त महिलाओं ने अपनी बेबसी बताई, उनके पास रोजगार का कोई साधन नहीं था। मैंने कहा कि क्या आप सिलाई कढ़ाई करोगी तो उन्होंने कहा हां। मैंने इस विषय में निकटवर्ती सैन्य शिविर के एक अधिकारी से बातचीत की, उसने इन महिलाओं के घर के पास ही एक सिलाई सेंटर खुलवाने में मदद की। आज यह महिलाएं अपने पैरों पर खड़ी हैं। छह महिलाओं से शुरू हुए इस सेंटर में आज एक दर्जन लड़कियां भी टेलङ्क्षरग सीख रही हैं।
मिल गया पुणे का टिकट : सेना के सहयोग से पुणे फिल्म इंस्टीट्यूट में पहुंचने वाले यावर ने कहा कि मैं शुरू से ही फिल्म निर्माण में करियर बनाना चाहता था। लेकिन पुणे पहुंचना मेरे लिए मुश्किल था। एक दिन मुझे पता चला कि हैदरबेग, पट्टन स्थित सैन्य शिविर में मौजूद अधिकारियों ने पुणे से कुछ लोगों को बुलाया है। इन लोगों ने एक सप्ताह का कैंप लगाया था, मैंने वहां दाखिला लिया। इस बीच मैंने ग्रेजुएशन की और पुणे का टिकट भी ले लिया।
पत्थरबाजी करने वाले हाथों में बल्ला : एक महिला समाजसेवी ने अपना नाम न छापने पर कहा कि डाउन-टाउन में आप सेना द्वारा किसी खेल प्रतियोगिता के आयोजन के बारे में सोच सकते हैं, शायद नहीं। लेकिन ऐसा हो चुका है। सेना ने यहां क्रिकेट प्रतियोगिता का आयोजन किया और पत्थरबाजी करने वाले हाथ बैट लेकर मैदान में पहुंच गए। यहां माहौल बहुत बदला है और इसका श्रेय आप सुरक्षाबलों को दे सकते हैं। उन्होंने कहा कि नशा उन्मूलन पर बीते दिनों उत्तरी कश्मीर के बारामुला, कुपवाड़ा में सेना ने करीब एक पखवाड़े का कार्यक्रम चलाया। इसमें देश विदेश के नामी काउंसलर आए थे, कई नशेडियों के पुनर्वास की व्यवस्था भी की गई।
250 युवाओं ने विभिन्न कंपनियों में रोजगार पाया : उत्तरी कश्मीर में सेना की किलो फोर्स में ब्रिगेडियर रैंक के एक अधिकारी ने कहा कि हम स्थानीय सिविल सोसाइटी, पंच-सरपंचों, जिला प्रशासनिक अधिकारियों और समाज सेवी संगठनों के साथ लगातार संवाद करते हैं। हम यह पता लगाने का प्रयास करते हैं कि लोगों की क्या अपेक्षाएं हैं, जिहादी क्यों बच्चों को बरगलाने में कामयाब रहते हैं। इसी आधार पर हम करियर काउंसलिंग की व्यवस्था करते हैं। यहां रोजगार मेले के जरिए करीब 250 लड़के लड़कियों ने विभिन्न कंपनियों में रोजगार पाया है। इसके अलावा हम विभिन्न इलाकों में कौशल विकास के कार्यक्रम भी संचालित कर रहे हैं। इसमें देश-विदेश के विशेषज्ञ बुलाए जा रहे हैं।
नौजवानों को गुमराह होने से बचाना है मकसद : चिनार कोर मुख्यालय के कोर कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल केजेएस ढिल्लो ने कहा कि हमारा मकसद कश्मीर में शांति, खुशहाली, सुरक्षा और विश्वास का माहौल बनाते हुए स्थानीय युवाओं को राष्ट्र निर्माण की गतिविधियों में लगाना है। हमने यहां कई अभिभावकों से बातचीत की है, वह अपने बच्चों के भविष्य को लेकर, जिहादी तत्वों की साजिशों से बहुत परेशान हैं। इसलिए हमारे पास जो संसाधन हैं, उनका स्थानीय लोगों की बेहतरी के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं। कश्मीर के बच्चे जानें कि देश-दुनिया में क्या हो रहा है, इसलिए उन्हें देश के विभिन्न हिस्सों की यात्रा पर भेजा जाता है। गुडविल स्कूल भी स्थापित किए हैं ताकि उन्हें सही शिक्षा मिल सके। हमने यहां सुपर 30 की तर्ज पर उनके लिए हर जिले में कोङ्क्षचग की व्यवस्था भी की है। उन्होंने कहा आतंकवाद को पूरी तरह समाप्त करने के लिए जरूरी है कि जिहादी तत्वों को यहां नौजवानों को गुमराह करने का कोई मौका नहीं मिले।