कठुआ कांड में हफ्तेभर में बदली तीन जांच टीमें, उठते रहे सवाल
रसाना मामले की सीबीआइ जांच की मांग तेज होने लगी है। शुक्रवार को कठुआ में उपमुख्यमंत्री डॉ. निर्मल सिंह को काला झंडा दिखाया गया।
जम्मू, अवधेश चौहान। कठुआ जिले के रसाना कांड की जांच टीमें बार-बार बदलने और फिर कश्मीर के एक दागी पुलिस अधिकारी को जांच में शामिल करना जम्मू संभाग के लोगों में अविश्र्वास का प्रमुख कारण बन गया है। बच्ची का शव बरामद होने के एक हफ्ते के भीतर ही तीसरी टीम को जांच सौंप दी गई, जिसपर सवाल उठ रहे हैं।
10 जनवरी से लापता आठ वर्षीय बच्ची का शव 17 जनवरी को रसाना गांव से संदिग्ध परिस्थितियों में मिला। इससे गुज्जर बक्करवाल समुदाय में रोष व्याप्त होने के साथ राजनीति भी गर्माने लगी। रसाना अचानक राजनीतिक अखाड़ा बनना शुरू हो गया। इस दौरान विधानसभा सत्र भी चल रहा था। विधानसभा में पुलिस की जांच पर सवाल उठे। बच्ची का शव बरामद होने के चौथे दिन 21 जनवरी को गुज्जर समुदाय के लोग सड़कों पर आ गए और उन्होंने जम्मू-पठानकोट राजमार्ग पर स्थित मोर्या चौक अवरुद्ध कर दिया। करीब तीन घंटे तक राजमार्ग बंद रहा और इस दौरान पथराव में पुलिस और कुछ लोग घायल हो गए।
पुलिस पर दबाव बढ़ने लगा। सरकार ने आनन-फानन मामले की जांच कर रहे थाना प्रभारी हीरानगर सुरेश गौतम और सब इंस्पेक्टर आनंद दत्ता को निलंबित कर दिया। इसकी बकायदा घोषणा विधानसभा में की गई। उन पर आरोप लगा कि मामले में ढील बरतने के कारण बच्ची की बरामदगी में देर हो गई। सरकार ने साथ ही डीएसपी बार्डर रघुवीर सिंह के नेतृत्व में पुलिस की स्पेशल इंवेस्टीगेशन टीम (एसआइटी) का गठन कर दिया।
एसआइटी मामले की छानबीन कर ही रही थी कि प्रदर्शनों के बीच यह मांग भी उठने लगी कि हाईकोर्ट के किसी पूर्व जज से इसकी जांच करवाई जाए, लेकिन सरकार ने क्राइम ब्रांच के एसएसपी रमेश कुमार जाला के नेतृत्व में नई टीम गठित कर दी, जिसमें एएसपी आदिल सहित पांच सदस्य शामिल हैं। इस बीच, संसदीय मामलों के मंत्री अब्दुल रहमान वीरी, खाद्य आपूर्ति मंत्री चौधरी जुल्फिकार सहित कई नेता रसाना पहुंचना शुरू हो गए। मामला गर्माते देख मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने जांच की समय सीमा तय कर दी।
बार-बार जांच टीम को बदले जाने और आरोपित सांझी राम व उनके भांजे सहित गांव के लोगों को पूछताछ के लिए हिरासत में लेने से जम्मू संभाग में सवाल उठने शुरू हो गए कि सरकार को अपनी ही जांच टीम पर भरोसा क्यों नहीं है। लोगों में गुस्सा इसलिए भी बढ़ा कि पांच सदस्यीय क्राइम ब्रांच की टीम में चार सदस्य कश्मीर से हैं, जबकि क्राइम ब्रांच जम्मू में भी है। नाराजगी इसकी भी थी कि क्राइम ब्रांच की टीम में जिस अधिकारी को शामिल किया गया, वह दागी है और एक साल तक जेल में रह चुका है। इसके बाद जम्मू और कश्मीर दोनों ही संभागों के लोगों में सोशल मीडिया पर लड़ाई शुरू हो गई।
हर तरफ से उठी दुष्कर्मियों को फांसी की मांग
कठुआ के रसाना कांड के बाद राज्य में दुष्कर्मियों के लिए मौत की सजा की मांग लगातार बढ़ती जा रही है। नेशनल कांफ्रेंस और पीपुल्स डेमोक्रेटिक फ्रंट सहित कई राजनीतिक दलों ने इस सिलसिले में कानून बनाने के लिए यथाशीघ्र राज्य विधानमंडल का विशेष सत्र बुलाने की मांग की है। नेशनल कांफ्रेंस के महासचिव अली मोहम्मद सागर ने कहा कि राज्य में बीते कुछ सालों से महिलाओं के प्रति अपराधों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। रसाना कांड ने तो हम सभी को हिलाकर रख दिया है।
उन्होंने कहा कि दुष्कर्म में लिप्त लोगों के लिए फांसी की सजा को यकीनी बनाने के लिए मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती को जल्द से जल्द राज्य विधानमंडल का सत्र बुलाना चाहिए। इस सत्र में वह फांसी की सजा का कानून पेश करें और उसे पास करने में हम पूरा सहयोग देंगे।पीपुल्स डेमोक्रेटिक फ्रंट के चेयरमैन और खानसाहब क्षेत्र के विधायक हकीम मोहम्मद यासीन ने कहा कि नाबालिगों के साथ दुष्कर्म करने वालों को मौत की सजा मिलनी चाहिए। अभी रसाना कांड हुआ है, खुदा न करे कल किसी और जगह ऐसा अपराध हो।
मुख्यमंत्री ने रसाना कांड के दोषियों को कठोर दंड का यकीन दिलाया है, लेकिन दोषियों को फांसी की सजा मिले, इसके लिए संबंधित कानून में इसका प्रावधान बहुत जरूरी है और यह तभी संभव है जब राज्य विधानसभा में इस तरह का कोई विधेयक पारित हो। इसलिए राज्य सरकार को जल्द विधानसभा का एक विशेष सत्र बुलाना चाहिए।कांग्रेस नेता गुलाम नबी मोंगा ने कहा कि रसाना कांड दोबारा न हो, इसलिए एक सख्त कानून जरूरी है। रसाना कांड में लिप्त अपराधियों को फांसी की सजा हर तरफ से हो रही है। राज्य सरकार को विधानसभा का सत्र बुलाकर फांसी की सजा यकीनी बनाने वाला कानून पारित कराना चाहिए।
कानून मंत्री अब्दुल हक खान ने दुष्कर्मियों के लिए फांसी की सजा की मांग पर कहा कि कानून विभाग ने इस संदर्भ में आवश्यक विधेयक पर काम शुरू कर दिया है। इस कानून पर सभी संबंधित पक्षों की राय और बहस जरूरी है। कानून बनाने का विधेयक राज्य विधानसभा में लाया जाए या नहीं, यह राज्य कैबिनेट तय करेगी। फांसी की सजा के प्रावधान की मांग को सरकार मंजूर करती है या नहीं, इस बारे में मैं अभी कुछ नहीं कह सकता। अलबत्ता इसपर विचार जरूर हो रहा है।
वकीलों ने बाधित नहीं की कोर्ट की कार्यवाही
जेएंडके हाईकोर्ट बार एसोसिएशन जम्मू ने स्पष्ट किया है कि वकीलों ने कभी भी रसाना कांड में कोर्ट की कार्यवाही को बाधित नहीं किया। एसोसिएशन ने बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआइ) की टीम के सामने इसके पुख्ता प्रमाण भी पेश किए। बार एसोसिएशन जम्मू ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि उन्हें क्राइम ब्रांच की जांच पर विश्वास नहीं है और इस मामले की सच्चाई सामने लाने के लिए सीबीआइ जांच करवाई जानी चाहिए।
कठुआ के रसाना हत्याकांड की जांच और इस पूरे प्रकरण में वकीलों की भूमिका की समीक्षा करने के लिए बार काउंसिल ऑफ इंडिया की पांच सदस्यीय टीम कठुआ के बाद जानीपुर स्थित हाईकोर्ट परिसर में पहुंची। इस टीम में शामिल हाईकोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस तरूण अग्रवाल की अध्यक्षता में गठित इस कमेटी में बार काउंसिल ऑफ इंडिया के सह-चेयरमैन एस प्रभाकरण व रमेशचन्द्रा, बार काउंसिल ऑफ उत्तराखंड की प्रमुख रजिया बेग तथा पटना हाईकोर्ट के वकील नरेश दीक्षित ने बार एसोसिएशन के सदस्यों से मुलाकात की। बार एसोसिएशन के पूरे जनरल हाउस के सामने टीम ने बार एसोसिएशन का पक्ष सुना। एसोसिएशन के प्रधान सीनियर एडवोकेट बीएस सलाथिया ने बीसीआइ टीम के सामने जारी आंदोलन में एसोसिएशन के जनरल हाउस द्वारा समय-समय पर लिए गए निर्णयों की प्रमाणित कापी भी पेश की।
उन्होंने कहा कि जब आंदोलन शुरू हुआ था, तब बार ने चार मुद्दे लिए थे। इनमें रो¨हग्याओं को जम्मू से बाहर निकालने, जनजातीय विभाग के निर्देशों को वापस लेने, नौशहरा को जिले का दर्जा देने तथा रसाना कांड की सीबीआइ जांच करवाने की मांग शामिल थी। इन मांगों का जम्मू की सिविल सोसायटी ने समर्थन किया और ग्यारह अप्रैल को जम्मू संपूर्ण व शांतिपूर्ण बंद रहा, लेकिन तब तक रसाना कांड में क्राइम ब्रांच चार्जशीट पेश कर चुकी थी और नौशहरा के लोगों ने भी अपना आंदोलन स्थगित कर दिया था। लिहाजा उन्होंने अपने दो मुख्य मुद्दों को लेकर बंद का आह्वान किया। कठुआ में वकीलों द्वारा क्राइम ब्रांच की टीम को रसाना कांड की चार्जशीट दायर करने से रोकने पर सलाथिया ने कहा कि इसका जवाब कठुआ एसोसिएशन ही बेहतर दे सकती है।बार की छवि बिगाड़ने का प्रयास करने वालों को बख्शा नहीं जाएगी :जेएंडके हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के प्रधान सीनियर एडवोकेट बीएस सलाथिया ने कहा कि रसाना कांड पर अपनी रोटियां सेंकने के लिए कुछ लोगों ने बार एसोसिएशन की छवि बिगाड़ने का प्रयास किया है, जिन्हें बख्शा नहीं जाएगा।
सलाथिया ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि आज बीसीआइ टीम को सच्चाई का एहसास हो गया है। रसाना कांड में पीडि़त परिवार की वकील दीपिका ¨सह राजावत पर निशाना साधते हुए सलाथिया ने कहा कि उन्होंने सुर्खियों में आने के लिए गलत प्रचार किया। दीपिका ने आरोप लगाया था कि वकीलों ने उन्हें कोर्ट में पेश नहीं होने दिया। पूरे प्रकरण के दौरान हाईकोर्ट में दो बार उनके केस की सुनवाई हुई और दोनों बार वह कोर्ट में पेश रहीं। इसके प्रमाण उन्होंने बीसीआइ टीम को सौंप दिए हैं।
सीबीआइ जांच की मांग तेज
रसाना मामले की सीबीआइ जांच की मांग तेज होने लगी है। शुक्रवार को कठुआ में उपमुख्यमंत्री डॉ. निर्मल सिंह को काला झंडा दिखाया गया। ऊधमपुर में विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल ने प्रदर्शन कर सीबीआइ जांच की मांग उठाई। जम्मू में सोशल वेलफेयर एसोसिएशन के अलावा ऊधमपुर में भी कैंडल मार्च निकाला गया। कठुआ के बिलावर में रसाना मामले की सीबीआइ जांच और न्याय की मांग को लेकर फिंतर में मकवाल के पूर्व सरपंच अजीत सिंह ने उपमुख्यमंत्री डॉ. निर्मल सिंह को काला झंडा दिखाया।
उसे पुलिस ने फौरन हिरासत में ले लिया। फिंतर में उपमुख्यमंत्री जैसे ही कार्यक्रम में भाग लेकर निकलने लगे तो मकवाल के पूर्व सरपंच वी वांट जस्टिस, वी वांट सीबीआइ इंक्वायरी के नारे लगाने लगे। उपमुख्यमंत्री के सामने काला झंडा लेकर नारेबाजी की गई। उपमुख्यमत्री ने एडीसी बिलावर को पूर्व सरपंच को फौरन छोड़ने के लिए कहा। उन्होंने कहा कि यह उनकी भावना है। जिसे वह प्रकट कर रहे हैं, उसे कोई कुछ भी न कहे। पुलिस ने पूर्व सरपंच अजीत सिंह को मुचलका भर कर छोड़ दिया। जम्मू में सोशल वेल्फेयर एसोसिएशन की ओर से सतवारी ब्लॉक के भौर कैंप, चट्ठा फार्म तथा आसपास क्षेत्र के लोगों ने मार्च निकाला। एसोसिएशन के प्रधान सुशील सूदन ने कहा कि जब तक इस मामले के सही आरोपितों का पता नहीं लगाया जाता तब तक पीडि़ता को न्याय नहीं मिल सकता है। यह तभी संभव है जब सीबीआइ से जांच करवाई जाए।
ऊधमपुर में बजरंग दल के जिला प्रधान संजय सूदन ने कहा कि हम भी चाहते हैं कि मासूम बच्ची को इंसाफ मिले, लेकिन जो तथ्य सामने आ रहे हैं, उससे साफ लगता है कि साजिश के तहत ¨हदुओं को बदनाम किया जा रहा है। विहिप नेताओं ने कहा कि यह मसला गंभीर होता जा रहा है। इसलिए सीबीआइ से जांच जरूरी है। नेशनल पैंथर्स पार्टी के चेयरमैन हर्षदेव सिंह ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि जम्मू केंद्रित मुद्दों पर पीडीपी के समक्ष आत्मसमर्पण करने वाले भाजपा के नेता कश्मीरी नेतृत्व के निर्देश पर रंग बदल रहे है।
भाजपा के नेता असमंजस वाले बयान दे रहे हैं। ऊधमपुर में ह्यूमन राइटस एंटी करपशन संस्था की ओर से रवि शर्मा, मंजीत व अंकित सेनसन की अध्यक्षता में कैंडल मार्च निकाला गया। संस्था के सदस्य रवि शर्मा व अंकित सेनसन का कहना था कि हम चाहते है कि मासूम बच्ची को इंसाफ मिल सके। ऊधमपुर में लोक जन शक्ति पार्टी के राष्ट्रीय उप उप्रधान सुनील कंबोज के नेतृत्व में कार्यकर्ताओं व युवाओं ने टायर जलाकर पीडीपी के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किया।