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Ban Toll Plaza Militant Attack : ट्रक चालक समीर समेत तीनों ओजीडब्ल्यू सात दिन की रिमांड पर

नगरोटा के बन टोल प्लाजा के निकट हुए आतंकवादी हमले के बाद जिंदा पकड़े गए तीन ओवरग्राउंड वर्करों (ओजीडब्ल्यू) को स्पेशल कोर्ट ने सात दिन की पुलिस रिमांड पर भेज दिया है।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Sun, 02 Feb 2020 11:28 AM (IST)Updated: Sun, 02 Feb 2020 11:28 AM (IST)
Ban Toll Plaza Militant Attack : ट्रक चालक समीर समेत तीनों ओजीडब्ल्यू सात दिन की रिमांड पर
Ban Toll Plaza Militant Attack : ट्रक चालक समीर समेत तीनों ओजीडब्ल्यू सात दिन की रिमांड पर

जम्मू, जागरण संवाददाता । जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग पर नगरोटा के बन टोल प्लाजा के निकट हुए आतंकवादी हमले के बाद जिंदा पकड़े गए तीन ओवरग्राउंड वर्करों (ओजीडब्ल्यू) को स्पेशल कोर्ट ने सात दिन की पुलिस रिमांड पर भेज दिया। आतंकवादी संगठन जैश के लिए ओजीडब्ल्यू के रूप में काम कर रहे तीनों आरोपितों को कड़े सुरक्षा प्रबंधों के बीच कोर्ट में पेश किया गया। इनमें सरताज अहमद मंटू पुत्र फिरदौस अहमद मंटू निवासी किसरीगाम, तहसील काकपोरा, जिला पुलवामा, आसिफ अहमद मलिक पुत्र बशीर अहमद मलिक निवासी काजीगुंड, तहसील काकपोरा, जिला पुलवामा और समीर अहमद डार पुत्र अब्दुल रशीद निवासी किसरीगाम, तहसील काकपोरा, जिला पुलवामा शामिल थे।

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एडिशनल पब्लिक प्रासीक्यूटर संजय कोहली ने कोर्ट में अर्जी दायर कर आरोपितों को 10 दिन के लिए रिमांड पर दिए जाने की पैरवी की। कोहली ने कहा कि मामले की जांच की जा रही है। मामले के तह तक जाने और इसे हल करने में अभी समय लगेगा। केस डायरी में कहा गया कि तीनों आरोपितों को 31 जनवरी को उस समय गिरफ्तार किया गया, जब उनके तीन साथियों ने नगरोटा के बन टोल प्लाजा के निकट सुरक्षाबलों पर ताबड़तोड़ गोलीबारी करते हुए भागने का प्रयास किया। सुरक्षाबलों ने तीन जैश ए मोहम्मद के आतंकवादियों को मार गिराया था, जबकि उनके तीन साथियों को सुरक्षा बलों ने गिरफ्तार कर लिया था।

पुलिस ने पकड़े गए तीन ओजीडब्ल्यू के खिलाफ हत्या का प्रयास, साजिश रचने, देशद्रोह और शस्त्र अधिनियम के तहत भारतीय दंड संहिता के तहत मुकदमा दर्ज किया है। एनआइए के विशेष जज सुभाष गुप्ता ने केस से जुड़े तमाम पहलुओं और जांच अधिकारी की दलीलों पर सुनवाई के बाद तीनों आरोपितों को सात दिन की पुलिस रिमांड पर भेज दिया। कोर्ट ने कहा कि आरोपितों की मेडिकल जांच करवाई जाए। अदालत ने उन्हें अपने अधिकारों के तहत कोर्ट में अपना पक्ष रखने के लिए वकील रखने के बारे में भी जानकारी दी।


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