Move to Jagran APP

Fake Gun Licence Case : चार साल में राज्य में चार लाख से अधिक लाइसेंस बांटे

इससे पूर्व 24 फरवरी को सीबीआइ ने दलाल राहुल ग्रोवर को गिरफ्तार किया था। वह हथियार विक्रेताओं और जम्मू कश्मीर के कार्यरत जिलाधिकारियों के बीच एक दलाल की भूमिका निभाता था।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Tue, 03 Mar 2020 11:28 AM (IST)Updated: Tue, 03 Mar 2020 11:28 AM (IST)
Fake Gun Licence Case : चार साल में राज्य में चार लाख से अधिक लाइसेंस बांटे
Fake Gun Licence Case : चार साल में राज्य में चार लाख से अधिक लाइसेंस बांटे

श्रीनगर, राज्य ब्यूरो : फर्जी गन लाइसेंस मामले में गिरफ्तार कुपवाड़ा के दो पूर्व जिला मजिस्ट्रेट को श्रीनगर की सीबीआइ अदालत ने सोमवार को 10 दिन के रिमांड पर जांच एजेंसी को सौंपा है। इन दोनों को सीबीआइ टीम ने गिरफ्तार किया था। इस बीच, सूत्रों के अनुसार आइएएस रैंक के तीन अन्य अधिकारी और करीब एक दर्जन हथियार विक्रेता सीबीआइ के राडार पर हैं। इन्हें अगले दो-तीन दिन में पूछताछ के लिए तलब किया जा सकता है और जल्द गिरफ्तारी भी संभव है।

loksabha election banner

वर्ष 2010 बैच के जम्मू कश्मीर कैडर के आइएएस अधिकारी राजीव रंजन और पूर्व केएएस इतरत हुसैन वर्ष 2012 से 2016 तक अलग-अलग समय पर कुपवाड़ा में जिलाधीश के पद पर तैनात रहे हैं। बताया जा रहा है कि इस अवधि के दौरान जम्मू कश्मीर में चार लाख के करीब गन लाइसेंस जारी किए गए। इनमें से ज्यादातर राज्य के बाहर के लोगों को जारी किए गए। इतरत हुसैन सेवानिवृत्त हो चुके हैं। सीबीआइ ने 17 मई 2018 को मामले की जांच संभाली थी। इससे पहले कश्मीर विजिलेंस जांच कर रही थी।

दलाल ग्रोवर भी है रिमांड पर

इससे पूर्व 24 फरवरी को सीबीआइ ने दलाल राहुल ग्रोवर को गिरफ्तार किया था। वह हथियार विक्रेताओं और जम्मू कश्मीर के कार्यरत जिलाधिकारियों के बीच एक दलाल की भूमिका निभाता था। उसे एटीएस राजस्थान ने वर्ष 2017 में ऑपरेशन जुबैदा के तहत गिरफ्तार किया गया था, लेकिन वह जमानत पर रिहा हो गया। एटीएस राजस्थान ने ग्रोवर से 565 लाइसेंस बरामद किए थे। इनमें से 93 उन लोगों के नाम पर जारी किए गए थे जिन्होंने कभी भी जम्मू-कश्मीर में नौकरी नहीं की थी। ग्रोवर फिलहाल 5 मार्च तक रिमांड पर है। 

मात्र 10 फीसद लाइसेंस जम्मू कश्मीर के लोगों को

विवादित अवधि के दौरान कश्मीर के कुपवाड़ा, बारामुला, शोपियां और पुलवामा तथा जम्मू के उधमपुर, किश्तवाड़, डोडा व राजौरी में अधिकतर लाइसेंस जारी हुए। जांच में सामने आया कि डोडा, रामबन और उधमपुर जिलों में 1,43,013 बंदूक लाइसेंसों में से 1,32,321 राज्य से बाहर के निवासियों को दिए गए। पूरे राज्य के लिए 4,29,301 लाइसेंस जारी हुए। इनमें से मात्र 10 फीसद राज्य के निवासियों को जारी किए गए। आरोप था कि करीब दो लाख से ज्यादा लाइसेंस फर्जी हैं। इनमें से 3,367 सैन्य कर्मियों के नाम पर जारी किए गए।

राजीव रंजन का भाई था लपेटे में

मामला वर्ष 2017 में राजस्थान पुलिस की एटीएस की जांच से सुर्खियों में आया। एटीएस राजस्थान ने 52 लोगों को गिरफ्तार किया और इनमें कुपवाड़ा के पूर्व जिलाधीश राजीव रंजन का भाई ज्योति रंजन भी था। आरोप है कि ज्योति रंजन के खाते में 50 लाख रुपये आए। जांच आगे बढ़ी तो इसमें कई वरिष्ठ नौकरशाह, हथियार विक्रेता और दलालों के नाम सामने आए। राजस्थान सरकार ने भी जांच सीबीआइ को सौंप दी थी।

कुपवाड़ा में रजिस्टर भी नहीं संभाला

चौंका देने वाली है कि अधिकारियों ने कुपवाड़ा से जारी लाइसेंसों की फाइल या रजिस्टर का रखरखाव ही नहीं किया और ज्यादातर गन लाइसेंस फर्जी दस्तावेजों के आधार पर राज्य से बाहर के लोगों को जारी किए गए। इनमें पूर्व सैनिकों और अर्धसैनिक बलों के नाम पर भी गड़बड़ी हुई।

सीबीआइ ने की थी छापेमारी

30 दिसंबर 2019 को सीबीआइ ने इस मामले में श्रीनगर और जम्मू में 17 जगहों पर छापेमारी की थी। इसके अलावा गुडग़ांव, मोहाली और नोएडा में भी दबिश दी गई। इनमें राजीव रंजन के अलावा जम्मू ऊर्जा वितरण निगम की प्रबंध निदेशक यशा मुदगल, सेवानिवृत्त जिला उपायुक्त फकीर चंद भगत, जावेद खान, फारूक खान और इतरत रफीकी शामिल हैं। फकीर चंद भगत फिलहाल सियासत में दांव आजमा रहे हैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.