बुलंद हौसलों से हजारों महिलाओं को बनाया आत्मनिर्भर
अगर इंसान में कुछ करने की चाहत हो तो बड़ी से बड़ी चुनौती भी बुलंद हौसलों के आगे नतमस्तक हो जाती है।
ऊधमपुर,विकास अबरोल। अगर इंसान में कुछ करने की चाहत हो तो बड़ी से बड़ी चुनौती भी बुलंद हौसलों के आगे नतमस्तक हो जाती है। ऊधमपुर के गांव स्याल सल्लन की रजनी शर्मा, लता और गीता की तिकड़ी ने कुछ ऐसा ही कर दिखाया है।
उन्होंने महिलाओं को न सिर्फ आत्मनिर्भर बनाया बल्कि ऐसा आत्मविश्वास भर दिया कि अब वे खुद को पुरूषों से कम नहीं आंकती हैं। अपने पतियों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर घर की आर्थिक स्थिति बेहतर बना चुकी हैं। रजनी ने वर्ष 2009 में नाबार्ड द्वारा बनाए गए सेल्फ हेल्प ग्रुप के अंतर्गत प्रशिक्षण लेकर साफ्ट टॉय और अन्य सजावटी सामान बनाने का हुनर सीखा। इसके बाद दिव्या नामक सेल्फ हेल्प ग्रुप बनाकर अपनी दो सहयोगियों लता और गीता के साथ गांव के आसपास की महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने का काम कर रही हैं। गांव की 10-10 महिलाओं का ग्रुप बनाकर उन्हें साफ्ट टॉय व वॉल हैं¨गग पॉट बनाना सीखा रही हैं।
पिछले एक दशक से करीब 2000 महिलाओं को आत्मनिर्भर बना चुकी हैं। पहले इन महिलाओं की आर्थिक स्थिति इतनी अच्छी नहीं थी, लेकिन हुनरमंद होने के बाद अब कटड़ा में बड़ी संख्या में साफ्ट टॉय सहित अन्य सामान की मांग बढ़ी है। अब तक हजारों की संख्या में उनके उत्पाद बिक चुके हैं। मुनाफे कम रखने की वजह से दुकानदार सीधा उनसे संपर्क कर उनका सामान खरीदकर ले जाते हैं, जिससे उनके दिल को काफी सुकून मिलता है। भले ही मुनाफा अधिक न हो, लेकिन इतनी तसल्ली रहती है कि धीरे-धीरे अब महिलाएं पुरुषों के कंधे से कंधा मिलाकर आत्मनिर्भर हो रही हैं।