जम्मू-कश्मीर के एमए स्टेडियम में मिलीं खून से सनी हजारों सीरिंज
मौलाना आजाद स्टेडियम के इंडोर कांप्लेक्स में खून से सनी हजारों सीरिंज के मिलने से सनसनी फैल गई है। नशे के लिए इस्तेमाल होने का भी अंदेशा है।
जम्मू, जागरण संवाददाता। मौलाना आजाद स्टेडियम के इंडोर कांप्लेक्स में खून से सनी हजारों सीरिंज के मिलने से सनसनी फैल गई है। नशे के लिए इस्तेमाल होने का भी अंदेशा है। जम्मू-कश्मीर स्टेट स्पोर्ट्स काउंसिल की कार्यप्रणाली पर प्रश्नचिन्ह खड़ा हो रहा है। मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच के निर्देश दे दिए गए हैं।
शहर के बीचो-बीच स्थित मौलाना आजाद स्टेडियम में हर रोज हजारों खिलाड़ी अभ्यास करने जाते हैं। यहां खून से सनी सीरिंज का मिलना कई सवालों को जन्म दे रहा है। एमए इंडोर कांप्लेक्स में जम्मू कश्मीर स्टेट स्पोर्ट्स काउंसिल के जम्मू संभाग के खेल अधिकारी और मैनेजर का कार्यालय भी है। इसके बावजूद परिसर के भीतर वाशरूम और इमारत के पीछे खाली जगह पर सैकड़ों सीरिंज मिलना अच्छा संकेत नहीं है।
अभी तक यह पता नहीं चल पाया है कि इन सीरिंज का इस्तेमाल बाहरी कोई नशेड़ी, खिलाड़ी या स्पोर्ट्स काउंसिल के कर्मचारी करते आ रहे हैं। स्टेडियम परिसर के भीतर पाई जाने वाली इन सीरिंज का इस्तेमाल ज्यादातर मधुमेह रोगियों द्वारा किया जाता है। नशे की लत वाले युवक इन सीरिंजों का इस्तेमाल गलत कामों के लिए भी कर सकते हैं।
स्टेमिना बढ़ाने के लिए भी प्रयोग संभव
विश्वसनीय सूत्रों की मानें तो कुछ खिलाड़ी अभ्यास के दौरान स्टेमिना बढ़ाने के लिए इन सीरिंजों के सहारे स्टेरॉयड लेते हैं। हालांकि इसकी अभी पुष्टि नहीं हुई है। फिर भी खेल के इतने बड़े संस्थान में खून से सनी सीरिंजों का पाया जाना खिलाड़ियों खासकर उनके अभिभावकों के लिए चिंता का विषय है। मौलाना आजाद स्टेडियम में रोज हजारों खिलाड़ी अलग-अलग खेलों का अभ्यास करने आते हैं। ऐसे में इस जगह पर स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव डालने वाली वस्तुएं मिलना चिंता का विषय है।
स्पोर्ट्स ऑफिसर करेंगे जांच
जम्मू-कश्मीर स्टेट स्पोर्ट्स काउंसिल के सचिव वाहिद उर रहमान पारा ने इस मामले पर गहरी चिंता जताई है। उन्होंने काउंसिल के चीफ स्पोर्ट्स ऑफिसर अब्दुल क्यूम को मामले की जांच के आदेश दिए हैं। उन्होंने कहा कि खेल के मैदान में ऐसी चीजें पाया जाना बर्दाश्त के लायक नहीं है। मामले की निष्पक्ष जांच की जाएगी। केंद्र सरकार ने गत 12 जून को राज्य में जिला स्तर पर खेल गतिविधियों के लिए 14.30 करोड़ रुपये जारी किए हैं। ऐसे में खेल संस्थानों में नशे की चीजें मिलना अच्छी बात नहीं है।