इस बार रक्षाबंधन पर चीन में बनी डोर से नहीं उड़ाई जाएगी पतंग
जागरण संवाददाता जम्मू चीन निर्मित प्लास्टिक मांझे गट्टू पर प्रशासनिक प्रतिबंध के बावजूद हर साल
जागरण संवाददाता, जम्मू: चीन निर्मित प्लास्टिक मांझे गट्टू पर प्रशासनिक प्रतिबंध के बावजूद हर साल रक्षाबंधन व जन्माष्टमी पर पतंगबाजी गट्टू से अछूती नहीं रहती थी। गट्टू के घातक परिणामों के चलते प्रशासन ने जागरूकता भी लाई और सख्ती भी बरती लेकिन इसके बावजूद पतंगबाजी के सीजन में इसकी चोरी-छिपे बिक्री जारी रही लेकिन इस बार पूर्वी लद्दाख में चीन ने जो विश्वासघात किया, उसे लेकर स्थानीय पतंगबाजी के बाजार में भी चीन के खिलाफ आक्रोश झलक रहा है। भारतीय सैनिकों की शहादत से गुस्साएं लोग इस बार न तो गट्टू की मांग कर रहे हैं और न ही इसकी कहीं चोरी-छिपे बिक्री होती दिख रही है।
गट्टू चूंकि प्लास्टिक के दागे से तैयार होता है, लिहाजा यह साधारण मांझे पर हमेशा भारी पड़ता है। यहीं कारण है कि पिछले कुछ सालों से जम्मू में इसकी मांग काफी बढ़ी थी। दो साल पूर्व तक तो हर बच्चा व युवा गट्टू से पतंग उड़ा रहा था। इससे मांझा तैयार करने वाले स्थानीय कारीगरों को भी काफी नुकसान झेलना पड़ा लेकिन इस साल चीनी सामान के बहिष्कार के बीच गट्टू की मांग भी कम हुई है जिससे बाजार एक बार फिर पुराने स्वदेशी मांझे से सजे नजर आ रहे हैं।
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प्लास्टिक धागे से तैयार होता है गट्टू
आमतौर पर मांझा सूती धागे से तैयार किया जाता है, लेकिन ये चाइनीज डोर प्लास्टिक की होती है, जो आसानी से नहीं कटती। शुरुआत में प्लास्टिक दागे का इस्तेमाल जूते-चपलों की सिलाई में किया जाता था लेकिन धीरे-धीरे से इसने मांझे का रूप ले लिया। प्लास्टिक के इस दागे को शीशे के पाउंडर के साथ तैयार किया जाता है और यहीं कारण है कि सूती दागे की तुलना में यह काफी तेज व मजबूत हो जाता है। इस कारण पिछले कुछ सालों में पतंगबाजी में इसका अधिक इस्तेमाल होने लगा।
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जिले में चाइनीज गट्टू की बिक्री पर है रोक
गट्टू चूंकि इंसानी जान के अलावा पशु-पक्षियों व पर्यावरण के लिए भी घातक साबित हो रहा था, इसलिए दो साल पूर्व जम्मू जिला प्रशासन ने इसकी बिक्री, खरीद व भंडारण पर रोक लगा दी गई। इसके बावजूद शहर में इसकी चोरी-छिपे बिक्री होती रही। पहले यह पंजाब से लाया जाता था लेकिन पंजाब में भी इसकी बिक्री बंद होने के बाद दिल्ली से आमद शुरू हुई। जम्मू में रक्षाबंधन व जन्माष्टमी पर लाखों रुपये का गट्टू चोरी-छिपे बिकता रहा है।