भाइयों की कलाई पर राखी बांधने के लिए बहनों ने की खरीददारी, रक्षासूत्र बांधने के लिए पूरा दिन है शुभ Jammu News
इस बार रक्षाबंधन 15 अगस्त की छुट्टी के दिन आ रहा है लिहाजा आसमान का सतरंगी होना तय है। सुबह सूरज निकलने से पहले ही पतंगें आसमान में तन जाएंगी।
जम्मू, जेएनएन। रक्षाबंधन का त्यौहार पास आ रहा है। जिसके साथ त्यौहार को लेकर तैयारियां भी शुरू हो गई है। श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाने वाला रक्षाबंधन का यह पवित्र त्यौहार इस बार 15 अगस्त को है। पर्व के मद्देनजर बाजारों में दुकानें सज चुकी है और बहनों ने भाइयों के लिए रक्षा सूत्रा खरीदना शुरू कर दिए हैं। भाई की रक्षा के लिए बांधे जाने वाला सूत का धागा रक्षाबंधन कहलाता है।
पुराने शहर के पक्का डंगा, मोती बाजार, पुरानी मंडी, चौक चबूतरा, ओल्ड हास्पिटल रोड, नई बस्ती, गांधी नगर, लास्ट मोड़ आदि में रंग-बिरंगी राखियों से सजी दुकानें रौनक बिखेर रही हैं। बहनें भी अपने भाइयों के लिए बेहतर से बेहतर राखी खरीदने की इच्छा के साथ शो-केस में सजाई गई राखियां टटोलती नजर आईं। श्रवण शुक्ल पूर्णिमा को भाई बहन के प्रेम व स्नेह का प्रतीक पर्व रक्षाबंधन पर बहनों द्वारा भाइयों की कलाई में राखी बांधने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। इसके क्रम में बहनें राखी बांधकर रक्षा का वचन लेती हैं। दूरदराज रहने वाले भाइयों को डाक व कोरियर कंपनियों द्वारा राखी भेजने का क्रम भी प्रारंभ हो गया है।
बाबा कैलख देवस्थान के महंत व ज्योतिषाचार्य रोहित शास्त्री ने बताया कि राखी बांधने के मुहूर्त को लेकर हर साल असमंजस रहता है क्योंकि इसी दिन भद्रा भी रहती है। परंतु इस साल शुभ बात यह है कि राखी के दिन भद्रा नहीं है। बहनें सूर्य अस्त से पहले कभी भी अपने भाइयों को राखी बांध सकती हैं।
राखी बांधने की विधि के बारे में बताते हुये कहा कि बहन सबसे पहले भाई को तिलक कर उसकी आरती करे। उसके ऊपर अक्षत अर्पण करें। उसके बाद राखी भाई की दाहिनी कलाई पर बांधे। इस पूरी प्रक्रिया तक भाई और बहन दोनों को उपवास रखना चाहिए। तत्पश्चात बहन भाई को मिठाई खिलाए और भाई बहन के पैर छूकर आशीर्वाद ले। इस प्रकार भाई आजीवन अपनी बहन की सुरक्षा के लिए दृढ़ संकल्पित हो जाता है। इसके बाद भाई बहनों को उपहार दें।
रक्षाबंधन 15 अगस्त को, आसमान का सतरंगी होना तय
इस बार रक्षाबंधन 15 अगस्त की छुट्टी के दिन आ रहा है, लिहाजा आसमान का सतरंगी होना तय है। सुबह सूरज निकलने से पहले ही पतंगें आसमान में तन जाएंगी। पतंग उड़ाने में न बच्चे पीछे रहेंगे, न युवा और न बूढ़े। बुजुर्ग नातियों की चरखी पकड़कर अपना शौक पूरा करेंगे तो युवाओं के टोलियां प्रतियोगिता में पेच लड़ाएगी। आसमान से बरस रही गर्मी व उमस के बीच लोगों का हौंसला भी उड़ान भरेगा। अपनी परंपरा को कायम रखते हुए पतंगबाजी के दीवाने इस उमस भरी गर्मी में भी छतों पर ही तने रहेंगे और ये काटा..वो मारा... की आवाजें गर्मी को मात देती रहेंगी।
आसमान में रंग-बिरंगी पतंगों में पेच लड़ाने की बच्चों व युवाओं ने तैयारी पूरी कर ली। पतंगबाजी के इस मौके का पूरा लुत्फ उठाने के लिए पतंग-डोर की जमकर खरीदारी हो रही है। आज ईद की छुट्टी होने के कारण आज भी आसमान में पतंगे उड़ती नजर आईं। रक्षाबंधन के त्योहार को चार चांद लगाने वाली पतंगबाजी के लिए पुराने शहर के पक्का-डंगा व गांधीनगर के अप्सरा रोड समेत शहर के दूसरे इलाकों में बच्चों व युवाओं ने खूब पतंगें खरीदी। पुराने शहर के पक्का डंगा बाजार में हर साल लाखों रुपये का पतंगबाजी सीजन लगता है। यहां अच्छा-खासा काम देखा गया।
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