Amarnath Yatra 2021: इस बार नए रिकार्ड बना सकती है अमरनाथ यात्रा, सिर्फ 13.25 किमी ही चलना होगा पैदल
Amarnath Yatra 2021 वर्ष 2011 में 6.34 लाख श्रद्धालुओं ने बाबा बर्फानी के दर्शन किए जो कि अभी तक रिकार्ड है। हालांकि इसके बाद यात्रा में लगातार कमी आई। कभी खराब मौसम तो कभी कश्मीर के खराब हालात के कारण यात्रा पर असर पड़ा।
राज्य ब्यूरो, जम्मू: पिछले साल कोरोना संक्रमण से उपजे हालात के चलते बाबा अमरनाथ जी के दर्शन करने से वंचित रह गए श्रद्धालु इस बार जब यात्रा पर आएंगे तो यात्रा मार्ग पर सुविधाएं पाकर गदगद हो उठेंगे। यात्रा को आसान करने के लिए श्रद्धालुओं का खास ध्यान रखा जाएगा। जम्मू कश्मीर प्रशासन यात्रा को यादगार बनाने में जुटा है। स्वास्थ्य, संचार और सफाई पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।
लंगर के भी और अधिक अच्छे प्रबंध होंगे। पहली बार बैटरी कार की निश्शुल्क व्यवस्था कर बाबा बर्फानी और श्रद्धालुओं के बीच की दूरी को कम करने का प्रयास किया है। साथ ही प्रत्येक दिन भवन जाने वाले श्रद्धालुओं की संख्या को भी 25 फीसद बढ़ा दिया है। इससे यह उम्मीद है कि यात्रा नए रिकार्ड को भी छू सकती है। हालांकि, यह मौसम पर भी निर्भर करेगा। इस बार बाबा अमरनाथ जी की यात्रा 28 जून से शुरू हो रही है।
यह रक्षाबंधन के दिन 22 अगस्त तक चलेगी। यात्रा दोनों मार्गो बालटाल और पहलगाम मार्गो से होगी। यात्रा के लिए पंजीकरण एक अप्रैल से शुरू हो जाएंगे। श्री अमरनाथ श्राइन बोर्ड के एक सदस्य के अनुसार बोर्ड का पूरा प्रयास श्रद्धालुओं को अधिक से अधिक संख्या में बाबा बर्फानी के दर्शन के लिए लाना है। इसीलिए व्यापक स्तर पर प्रबंध किए जा रहे हैं। श्राइन बोर्ड के अधिकारियों को विश्वास है कि पिछले दो वर्षो में यात्रा करने से लाखों श्रद्धालु वंचित रहे हैं।
ऐसे में अगर मौसम ने साथ दिया तो इस साल यात्रा सभी रिकार्ड तोड़ सकती है। बाबा अमरनाथ जी की यात्रा में वर्ष 1989 में करीब 12 हजार ही श्रद्धालुओं ने दर्शन किए थे। इसके बाद श्रद्धालुओं की संख्या लगातार बढ़ती गई। तब 22 वर्षो में यह आंकड़ा छह लाख तक को पार कर गया। वर्ष 2011 में 6.34 लाख श्रद्धालुओं ने बाबा बर्फानी के दर्शन किए जो कि अभी तक रिकार्ड है। हालांकि, इसके बाद यात्रा में लगातार कमी आई। कभी खराब मौसम तो कभी कश्मीर के खराब हालात के कारण यात्रा पर असर पड़ा।
2016 में तो 2.20 लाख के पास ही आंकड़ा पहुंच सका। यह पिछले एक दशक में सबसे कम थी। पांच अगस्त, 2019 में जम्मू कश्मीर के पुनर्गठन और अनुच्छेद 370 को समाप्त करने के कारण यात्रा को समय से पहले ही खत्म कर दिया गया था।
वहीं, पिछले साल कोरोना संक्रमण के कारण यात्रा नहीं हो पाई थी। यह सुविधा लुभाएगी श्रद्धालुओं को जम्मू कश्मीर के केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद पहली बार बाबा अमरनाथ की यात्रा हो रही है। ऐसे में श्री अमरनाथ श्राइन बोर्ड और उपराज्यपाल प्रशासन यात्रा को सफल बनाने के लिए हर संभव कदम उठा रहा है। पहलगाम और बालटाल दोनों मार्गो से यात्रा होगी। बालटाल का मार्ग मात्र 16 किलोमीटर है। इस मार्ग से यात्रा कर एक दिन में पवित्र गुफा के दर्शन कर वापस लौटा जा सकता है।
इस बार अमरनाथ श्राइन बोर्ड ने इस दूरी को और कम कर दिया है। 16 किलोमीटर में से 2.75 किलोमीटर के हिस्से मे बैटरी कार चलेगी। यानी अब 13.25 किलोमीटर का सफर ही पैदल तय करना पड़ेगा। बैटरी कार की व्यवस्था बालटाल से दोमेल और दोमेल से बालटाल के बीच दोनों ओर से निश्शुल्क है। यही नहीं, दोनों मार्गो से इस बार प्रतिदिन 15 हजार के स्थान पर 20 हजार यात्रियों को जाने की इजाजत देने से भी अधिक यात्रा होने की उम्मीद है।
वर्ष कुल यात्रा
- 2011: 6,34,000
- 2012: 6,22,000
- 2013: 3,53,969
- 2014: 3,72,909
- 2015: 3,52,771
- 2016: 2,20,490
- 2017: 2,60,003
- 2018: 2,85,006
- 2019: 3,42,883