Jammu Kashmir: एडवोकेट शरन ठाकुर सर्वोच्च न्यालय में उत्तर प्रदेश सरकार का एएजी के तौर पर करेंगे प्रतिनिधित्व
वर्ष 1975 में ठाकुर हाईकोर्ट जज से रिटार्यमेंट लेने के बाद राजनीति में आ गए।उन्हें राज्य सरकार में स्टेट कैबेनिट मंत्री बनाया गया।वे 1975 से लेकर 1982 तक राज्य मंत्रिमंडल में वित्त योजना कानून खाद्य आपूर्ति एंव टांसपोर्ट मंत्री रहे।
जम्मू, अवधेश चौहान: जम्मू संभाग के दूरदराज पहाड़ी जिले रामबन के बतरू गांव से लॉ की शिक्षा पाने वाले डीडी ठाकुर की तीसरी पीढ़ी ने देश की न्यायिक प्रणाली में अहम योगदान दिया है। जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रहे डीडी ठाकुर जम्मू-कश्मीर के उप मुख्यमंत्री भी रहे। उनके बड़े बेटे तीरथ सिंह ठाकुर सर्वोच्च न्यायलय के चीफ जस्टिस रहे। उनका छोटा बेटा धीरज सिंह ठाकुर जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट के जस्टिस हैं। बेटी अरूणा ठाकुर जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट में वरिष्ठ एडवोकेट है। फख्र की बात यह है डीडी ठाकुर के पोते व तीरथ सिंह का बड़ा बेटा शरन ठाकुर उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ सरकार की ओर से सर्वोच्च न्यायलय में अतिरिक्त महाअधिवक्ता के तौर पर प्रतिनिधित्व करेंगे।
शरन सबसे कम उम्र के अधिवक्ता हैं, जिन्हें उत्तर प्रदेश सरकार ने यह पद्भार सौंपा है। बैंगलुरू लॉ विश्वविद्यालय से कानून की डिग्री पास करने के बाद ठाकुर ने लंदन के वारविक विश्वविद्यालय से एलएलएम डिग्री प्राप्त की। हाल ही में सर्वोच्च न्यायलय में एश्वर्य भट्टी काे भारत सरकार काद एडीशनल सोलिसिटर जनरल बनाए जाने से रिक्त हुए पद पर शरन ठाकुर को उनके पद पर लगाया गया है। ठाकुर की इस नियुक्ति के साथ ही उत्तर प्रदेश सरकार के सर्वोच्च न्यायलय में दो अतिरिक्त महा अधिवक्ता हो गए है।
न्यायिक व्यवस्था में योगदान दे रही ठाकुर परिवार की तीसरी पीढ़ी: देश की नयायिक प्रणाली को ठाकुर परिवार की तीसरी पीढ़ी योगदान दे रही है। शरन ठाकुर के दादा जम्मू संभाग के पहाड़ी जिले रामबन के बतरू गांव में 9 दिसंबर वर्ष 1929 में पैदा हुए। ठाकुर अपने पिछड़े क्षेत्र परिस्तान, पोगल और गुगलीधार में गरीब लोगों के सामाजिक एवं आर्थिक विकास के लिए काम किया। देश के बंटवारे के समय जब पाकिस्तान ने वर्ष 1947 में जम्मू-कश्मीर में कबायली हमला किया तो डीडी ठाकुर उस समय श्रीनगर के प्रताप कालेज में सैकेंड इयर के स्टूडेंट थे। उन्होंने 120 किलोमीटर का पैदल सफर तय किया और अपने गांव बतरू पहुंचे।अपनी लॉ की प्रेक्टिस ठाकुर ने रामबन जिले से शुरू की। वर्ष 1973 में ठाकुर जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट के जस्टिस बने।
वर्ष 1975 में ठाकुर हाईकोर्ट जज से रिटार्यमेंट लेने के बाद राजनीति में आ गए।उन्हें राज्य सरकार में स्टेट कैबेनिट मंत्री बनाया गया।वे 1975 से लेकर 1982 तक राज्य मंत्रिमंडल में वित्त, योजना, कानून, खाद्य आपूर्ति एंव टांसपोर्ट मंत्री रहे। उन्होंने परमिट राज और डीलर राज के विरोध में आवाज बुलंद की । ठाकुर 1984 से लेकर 1986 तक जम्मू कश्मीर सरकार में उप मुख्यमंत्री भी रहे। अप्रैल 1990 में ठाकुर असम के राज्यपाल भी रहे।