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Jammu Kashmir: कश्मीर में मंदिरों के संरक्षण के लिए बिल लाने की मांग

घाटी में आतंकवाद की आग ने कश्मीरी पंडितों को वहां से पलायन करने के लिए मजबूर कर दिया था। इसके बाद से बड़ी संख्या में कश्मीरी पंडित जम्मू ऊधमपुर व देश के दूसरे राज्यों में रह रहे हैं। घाटी में कश्मीरी पंडितों के घर जला दिए गए

By Edited By: Published: Mon, 25 Jan 2021 05:07 AM (IST)Updated: Mon, 25 Jan 2021 07:09 AM (IST)
Jammu Kashmir: कश्मीर में मंदिरों के संरक्षण के लिए बिल लाने की मांग
कश्मीरी पंडित चाहते हैं कि सरकार घाटी में मंदिरों के संरक्षण के लिए बिल लाए।

जम्मू, जागरण संवाददाता : घाटी में आतंकवाद की आग ने कश्मीरी पंडितों को वहां से पलायन करने के लिए मजबूर कर दिया था। इसके बाद से बड़ी संख्या में कश्मीरी पंडित जम्मू, ऊधमपुर व देश के दूसरे राज्यों में रह रहे हैं। आतंकवाद के दौर में घाटी में कश्मीरी पंडितों के घर जला दिए गए, उनकी जमीनों पर कब्जा कर लिया गया।

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इतना ही नहीं, कश्मीरी पंडितों के कई प्राचीन मंदिरों को भी नुकसान पहुंचाया गया। अब कश्मीरी पंडित चाहते हैं कि सरकार घाटी में मंदिरों के संरक्षण के लिए बिल लाए। इसके लिए कश्मीरी पंडित अब एकजुट होने लगे हैं। जगह-जगह बैठकें भी होने लगी हैं। पंडित प्रेमनाथ भट्ट मेमोरियल से मिली जानकारी के मुताबिक, कश्मीर घाटी में 1400 मंदिर और अन्य धर्मस्थल हैं। देखरेख नहीं होने से इनमें से अधिकांश मंदिरों व धर्मस्थलों की हालत खराब हो गई है। कई मंदिर खंडहर बनने की कगार पर पहुंच गए हैं।

पंडित प्रेमनाथ भट्ट मेमोरियल के वरिष्ठ सदस्य शादीलाल कौल का कहना है कि कश्मीर में कई प्राचीन मंदिर हैं। ऐसे में यदि इनका सरकार ने संरक्षण नहीं किया तो ये इतिहास बन जाएंगे। जगटी टेनामेंट कमेटी के प्रधान शादीलाल पंडिता का कहना है कि कश्मीर के मंदिर हमारी पहचान हैं। अगर इन मंदिरों की सुरक्षा के लिए केंद्र सरकार ने कदम नहीं उठाए तो कश्मीरी पंडित आंदोलन भी शुरू कर सकते हैं। वहीं, कश्मीरी पंडित आरएल भट्ट ने बताया कि आतंकवाद के दौर में दहशतगर्दों ने मंदिरों को भी बहुत नुकसान पहुंचाया। कश्मीरी पंडितों के घाटी से जाने के बाद अब उनकी देखभाल करने वाला कोई नहीं है। ऐसे में अब वे अपनी चमक खो रहे हैं। इसलिए केंद्र की मोदी सरकार को घाटी के मंदिरों के संरक्षण के लिए जल्द कानून बनाना चाहिए।


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