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गिरीश कार्नाड लिखे एवं निर्देशित बिखरे बिम्ब के साथ संपन्न हुआ रंगमंच का कुंभ

गिरीश कार्नाड के लिखे एवं निर्देशित नाटक 'बिखरे बिम्ब' के मंचन के साथ अभिनव थियेटर में आयोजित 11 दिवसीय आठवें थियेटर ओलंपिक्स का जम्मू में समापन हुआ।

By Preeti jhaEdited By: Published: Mon, 02 Apr 2018 11:04 AM (IST)Updated: Mon, 02 Apr 2018 11:04 AM (IST)
गिरीश कार्नाड लिखे एवं निर्देशित बिखरे बिम्ब के साथ संपन्न हुआ रंगमंच का कुंभ
गिरीश कार्नाड लिखे एवं निर्देशित बिखरे बिम्ब के साथ संपन्न हुआ रंगमंच का कुंभ

जम्मू, अशोक शर्मा। गिरीश कार्नाड के लिखे एवं निर्देशित नाटक 'बिखरे बिम्ब' के मंचन के साथ अभिनव थियेटर में आयोजित 11 दिवसीय आठवें थियेटर ओलंपिक्स का जम्मू में समापन हुआ। नाटक में अकेली अरुंधति दर्शकों को घंटाभर बांधे रखने और संवाद बनाए रखने में सफल रहीं।

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रंगशंकरा शंकरा बंगलुरु की ओर से मंचित नाटक में औरत अपने बिम्ब के साथ बात करती है। अंदरुनी बातें जो किसी से हो नहीं सकती वह नाटक में होती हैं और फिर दो बहनों की कहानी उभरती है। मंजुला नायक नामक स्त्री बिखरे बिम्ब नाटक का नाम 'द वेस्ट लैंड की पंक्ति ए हीप ऑफ ब्रोकन इमेजेस' की याद दिलाती है। नाटक की मुख्य पात्र मंजुला नायक नाटक की मुख्य पात्र मंजुला नायक 'अरुंधति' एक बहुत सफल कन्नड़ लघु कहानी लेखक नहीं है।

अचानक, वह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अंग्रेजी में एक उपन्यास लिख कर बहुत प्रसिद्ध अमीर लेखिका बन जाती है। जब मिडिया उससे सवाल करता है कि उसने कन्नड़ भाषा को छोड़ कर अंग्रेजी भाषा में क्यों लिखा। यह अपनी भाषा के साथ गद्दारी है। दूसरा सवाल यह कि वह खुद पूर्ण रूप से स्वस्थ है पर उसने कैसे एक बिस्तर पर पड़ी बीमार औरत के बारे में इतनी बारीकी से लिखा है। मंजुला बताती है कि उसने यह पीड़ा अपनी बहन की जो बहुत बीमार रहीं वह अपने अंदर तक महसूस की है। इसी वजह से वह उसको लिख पाई और रहा सवाल कि अंग्रेजी में क्यों लिखा तो वह खुद बा खुद उसी भाषा में लिखती गई। उसको भी नहीं पता कि किस तरह वह इतनी सहजता से इसको लिखती गई। अपने सवालों का जवाब देकर वह जाने लगती है तो तभी उसके अंदर की आवाज उस से कुछ सवाल पूछती है।

अपने से टेलीविजन के माध्यम से रूबरू का अभिनय अरुंधति ने बखूबी निभाया। नाटक के अंत में वह जान पाती है कि यह शोहरत तो उसने पा ली पर अपना घर और अपना पति वह खो चुकी है। इस समाज की अपनी एक कहानी होती है, जिसे हम जानते हैं, अनुभव करते हैं, लेकिन कभी उसके बारे में गहराई से नहीं सोचते कि ऐसा क्यों है? गिरीश कार्नाड अपने नाटकों के माध्यम से सामाजिक रूढि़यों को बड़ी बारीकी से उठाते हैं और अंत में हमारे सामने एक सवालिया निशान छोड़ जाते हैं।

इस नाटक में भी उन्होंने ऐसा ही किया है। नाटक के समापन खचाखच भरे अभिनव थियेटर के दर्शकों ने खडे़ होकर कलाकारों का अभिवादन किया। ट्रांसपोर्ट कमिश्नर सौगात बिसवास ने अरुंधति और टीम को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया। धन्यवाद प्रस्ताव एनएसडी के अब्दुल लतीफ खटाना ने किया। दर्शकों और सहयोगी दल को सफल आयोजन का श्रेय दिया। पदमश्री बलवंत ठाकुर ने अरुंधति नाग, पद्मावति राव और दल के दूसरे सदस्यों से चर्चा की। 


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