पुणे से लौटे बारामुला के युवाआें में एनडीए का हिस्सा बनकर देश सेवा की चाहत
अपने बेटे को लेने आए सुलेमान बट नामक एक व्यक्ति ने कहा कि मेरे लिए अपने बेटे को मुंबई भेजना संभव नहीं था। वह कभी जम्मू से आगे नहीं गया था।
श्रीनगर, राज्य ब्यूरो। सर, बहुत मजा आया। हमने इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट देखा। हमने बजाज स्कूटर का प्लांट भी देखा, लेकिन मुझे सबसे ज्यादा मजा नेशनल डिफेंस एकेडमी (एनडीए) में आया है। मसर्रत हुसैन ने महाराष्ट्र के दौरे के अपने अनुभव सुनाते हुए कहा।
मसर्रत उन 15 लड़कों में शामिल है, जिन्हें उत्तरी कश्मीर में नियंत्रण रेखा (एलओसी) से सटे जिला बारामुला के विभिन्न हिस्सों से चुनकर सेना ने पुणे भेजा था। यह सभी लोग सोमवार को वापस लौटे हैं। हैदरबेग स्थित सैन्य मुख्यालय में सेना की किलो फोर्स में डिप्टी जनरल ऑफिसर कमांडिंग ब्रिगेडियर विनोद ने पुणे से लौटे इन छात्रों का स्वागत किया। मसर्रत के साथ अनवर ने कहा कि अगर मैं इस टूर का हिस्सा नहीं बनता तो कभी नहीं पता चलता कि दुनिया कहां पहुंच गई है। हम लोग यहां कितने पीछे खड़े हैं। वहां जाकर मैंने देखा कि लोग कैसे आगे बढ़ रहे हैं और हम यहां बिजली-सड़क के लिए तरसते हैं। मेरा बड़ा भाई यहां एक गैराज चलाता है। बाईक ठीक करता है। उसने शायद ही कभी मोटरसाइकिल तैयार होते देखा हो, मैंने देखा है। मुझे फिल्म इंस्टीट्यूट अच्छा लगा है। ग्रेजुएशन के बाद मैं उसी इंस्टीट्यूट में जाना चाहूंगा।
बच्चों का भविष्य संवारना भी मकसद : ब्रिगेडियर
ब्रिगेडियर विनोद ने कहा कि सेना यहां आम अवाम के लिए ही है। हमारा मकसद सिर्फ आतंकवाद पर काबू पाना नहीं है बल्कि अपने बच्चों का भविष्य संवारना भी है। यह बच्चे हमारे अपने हैं। आतंकवाद के कारण यह बहुत से अवसरों से वंचित हो जाते हैं। हम चाहते हैं कि यह किसी से पीछे नहीं रहे। इसलिए आतंकियों के मंसूबों को नाकाम बनाने के साथ युवाओं के भविष्य को संवारने की जिम्मेदारी निभाने के लिए हमने एक कैपेसिटी बिङ्क्षल्डग टूर की व्यवस्था की थी। यह सभी बच्चे एक अध्यापक और एक प्रशासकीय अधिकारी और पांच आयोजक कर्मियों संग 13 नवंबर को गए थे। पुणे में यह एनडीए में गए।
बच्चों ने दर्शनीय स्थलों को देखा
बच्चों ने सेंट मैरी चर्च, मक्का मस्जिद, राष्ट्रीय युद्ध स्मारक स्थल, बिशप स्कूल, श्रीमंत दगदुशेठ हलवाई, गणपति मंदिर, बजाज आटो लिमिटेड के छनकन प्लांट की सैर भी की है। वहां इन लोगों ने संबधित कैडेटो, इंजीनियरों, प्रशिक्षुओं व अन्य लोगों से बातचीत कर उनकी गतिविधियों को जानने का प्रयास किया है। आप अगर इनसे बात करेंगे तो आपको पता चलेगा कि यह पहले क्या सोचते थे और आज क्या सोच रहे हैं। हम स्थानीय लोगों की मदद से विभिन्न इलाकों में स्थित स्कूल प्रबंधकों और छात्रों से बातचीत के आधार पर ही इस तरह के कार्यक्रम आयोजित करते हैं।
एनडीए में मेरा बेटा कामयाब रहा तो अफसर बनकर आएगा : सुलेमान
अपने बेटे को लेने आए सुलेमान बट नामक एक व्यक्ति ने कहा कि मेरे लिए अपने बेटे को मुंबई भेजना संभव नहीं था। वह कभी जम्मू से आगे नहीं गया था। मैं चाहता था कि वह बाहर जाए और देखे कि क्या-क्या हो रहा है ताकि वह अपनी ङ्क्षजदगी को बेहतर बनाने के लिए कुछ समझ सके। मैंने अभी उससे ज्यादा बातचीत नहीं की है, लेकिन उसने यह जरूर कहा कि वह अब एनडीए का हिस्सा बनना चाहता है। मुझे एनडीए के बारे में ज्यादा नहीं पता, लेकिन मेजर साहब ने बताया कि वहां 12वीं कक्षा के आधार पर बच्चों को दाखिला मिल सकता है और अगर मेरा बेटा कामयाब रहता है तो वह अफसर बनकर आएगा।