केंद्र शासित प्रदेश बनने का दूसरा साल जम्मू कश्मीर में घूमा विकास का पहिया, भ्रष्टाचार पर नकेल
Development In Jammu Kashmir कश्मीर केंद्रित सरकारों के कार्यकाल में बनी लचर व्यवस्था को चुस्त दुरुस्त बनाना मोदी सरकार की दूसरे साल की अहम चुनौती था। ऐसे में एंटी क्रप्शन ब्यूरो को पारदर्शिता से काम की खुली छूट दी गई।
जम्मू, विवेक सिंह : केंद्र शासित प्रदेश बनने के दूसरे साल नये जम्मू कश्मीर की नींव विकास और भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासन से मजबूत की गई। विकास को तेजी देने की मुहिम की कमान जहां केंद्रीय मंत्रियों ने संभाली। वहीं, उपराज्यपाल प्रशासन ने दरबार मूव (छह माह सचिवालय श्रीनगर और छह माह जम्मू) बंद कर सरकारी कामकाज में पारदर्शिता, कार्यालयों में अनुशासन और सरकारी दफ्तरों में बैठकर देशविरोधी तत्वों का समर्थन करने वाले कर्मचारियों और अधिकारियों पर शिकंजा कसा।
केंद्र सरकार ने पांच अगस्त 2019 को जम्मू कश्मीर के पुनर्गठन का फैसला किया था। इस फैसले को 31 अक्टूबर को प्रभावी बनाया गया था। केंद्र शासित प्रदेश बनने का पहला वर्ष जहां सुरक्षा को पुख्ता बनाने पर केंद्रित रहा। वहीं दूसरे वर्ष सुरक्षा के साथ विकास को तेजी देने के लिए संतरी से लेकर मंत्री तक जम्मू कश्मीर में आए। केंद्र सरकार की आउटरीच मुहिम के दूसरे चरण में इस वर्ष सितंबर माह में अब तक केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह समेत 71 मंत्री दौरे कर प्रशासन को जवाबदेह बना चुके हैं। जिला प्रशासन के अधिकारियों को भी अपने-अपने जिलों में दौरे करने के निर्देश दिए गए हैं। पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए जम्मू कश्मीर में 75 ऐसे गांवों को चिन्हित किया गया, जहां पर्यटन की संभावना तलाश कर उन्हें विकसित किया जा रहा है।
कश्मीर केंद्रित सरकारों के कार्यकाल में बनी लचर व्यवस्था को चुस्त दुरुस्त बनाना मोदी सरकार की दूसरे साल की अहम चुनौती था। ऐसे में एंटी क्रप्शन ब्यूरो को पारदर्शिता से काम की खुली छूट दी गई। इसके बाद पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला, उनके वित्तमंत्री रहे अब्दुल रहीम राथर के बेटे हिलाल राथर समेत कई नेताओं के भ्रष्टाचार के मामलों पर कार्रवाई शुरू हुई।
धांधलियां रोकने के लिए हर छोटे बड़े प्रोजेक्ट की जियो टैगिंग से निगरानी की गई। इसके साथ विकास में जुटी एजेंसियों को प्रोजेक्ट पूरा करने के लक्ष्य देने के साथ पुराने फंड का हिसाब देने के बाद ही उन्हें नए फंड जारी किया गया।
अब रिश्वत देने वाला भी बराबर का दोषी : जितेंद्र सिंह
प्रधानमंत्री कार्यालय के राज्यमंत्री डा. जितेंद्र सिंह ने कहा कि भ्रष्टाचार की रोकथाम के लिए कानून को जम्मू कश्मीर में सख्ती से लागू किया गया। अब रिश्वत लेने वाले के साथ रिश्वत देने वाला भी बराबर का दोषी है। प्रदेश में बेहतर प्रशासनिक व्यवस्था बनाने के लिए उनके डिपार्टमेंट आफ पर्सनल एंड ट्रेङ्क्षनग विभाग की ओर से लगातार कार्रवाई की जा रही है। ई-गर्वनेंस को प्रभावी बनाकर सरकारी कार्यालयों में वर्क कल्चर बनाया जा रहा है।
पुनर्गठन के दूसरे साल में ये उठाए गए बड़े कदम
1. बंद हुआ दरबार, बनी ई-आफिस व्यवस्था : प्रशासन ने दशकों से चली आ रही दरबार मूव की प्रक्रिया को बंद किया गया। वित्तीय संकट का सामना करने वाले जम्मू कश्मीर में हर वर्ष दो बार होने वाले दरबार मूव पर अरबों रुपये खर्च होते थे। दरबार मूव को बंद करने से पहले जम्मू, श्रीनगर सचिवालयों में ई-आफिस व्यवस्था बनाई गई।
2. कार्यालयों में अनुशासन हुआ कायम : दो कमेटियां बनाई गईं, जो सरकारी कार्यालयों में छापे मार कर सुनिश्चित कर रही हैं कि कर्मचारी समय पर आ रहे हैं। अगस्त माह में अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई में 600 कार्यालयों में एक साथ छापे मार गैरहाजिर पाए गए 1177 अधिकारियों व कर्मचारियों का वेतन रोका गया।
3. लोगों के बीच पहुंचा प्रशासन : डिप्टी कमिश्नरों को हर सप्ताह लोगों के बीच जाकर उनके मसले हल करने के निर्देश दिए गए। यही नहीं, उन्हें मुख्य सचिव को अपने इन दौरों के नियमित फोटो भी भेजने के आदेश का पालन करना पड़ा।
4. नौकरी से निकाले देशविरोधी सोच वाले सरकारी कर्मी : प्रशासन ने सितंबर में छह कर्मचारियों को आतंकियों के साथ संपर्क रखने के मामलों में नौकरी से निकाल दिया। साथ ही सरकारी कर्मचारियों के चरित्र की सीआइडी से जांच करवाकर देश विरोधी तत्वों की पहचान की कार्रवाई शुरू हुई।
5. युवा अधिकारियों को किया गया तैयार : जम्मू कश्मीर में पारदर्शिता व विकास को तेजी देने के लिए युवा अधिकारियों को तैयार किया जा रहा है। जम्मू कश्मीर प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों को दिल्ली व देहरादून में ट्रेङ्क्षनग देकर प्रशिक्षित किया जा रहा है।
6. भ्रष्टचार पर साधा गया निशाना : एंटी करप्शन ब्यूरो ने प्रदेश के पुनर्गठन के बाद 150 से अधिकार भ्रष्टाचार के मामले दर्ज किए हैं। इनमें जम्मू कश्मीर बैंक में हुए अरबों के घोटाले भी शामिल हैं।