Kashmir : खीर-भवानी मंदिर का पानी हुआ लाल, कश्मीरी हिंदू बोले- यह अच्छा संकेत नहीं
आतंकी संगठन लश्कर-ए-इस्लाम ने यह धमकी भी दी है कश्मीरी हिंदू घाटी छोड़कर चले जाएं नहीं तो उन्हें भी मार दिया जाएगा। इन खराब हालात में मां खीर भवानी के कुंड का रंग बदलना घाटी में रह रहे कश्मीरी हिंदुओं को चिंता में डाल दिया है।।
श्रीनगर, जेएनएन : मध्य कश्मीर के गंदरबल के तुलामुला में स्थित कश्मीरी पंडितों की कुलदेवी मां खीर-भवानी (मां रागन्या देवी) मंदिर में पिछले कई दिनों से पानी का रंग लाल हो रहा है। घाटी में रहने वाले कश्मीरी हिंदू, जहां तक कि कश्मीरी मुस्लिम भी इसे अच्छा संकेत नहीं मान रहे हैं। यही नहीं पानी का रंग बदलता देख वे काफी दहशत में भी हैं। उनका कहना है कि खीर भवानी मंदिर में स्थित कुंड के पानी का रंग बदलना यहां के हालात को लेकर अच्छा संकेत नहीं है।
जगटी में रहने वाले कश्मीरी हिंदू अजय भट ने कहा कि 1990 में जब खीर भवानी मंदिर में स्थित कुंड में पानी का रंग काला हो गया था। घाटी में हिंदुओं पर संकट आ गया और उन्हें कश्मीर छोड़ने को मजबूर होना पड़ा। एक बार फिर पानी ने रंग बदला है। अब पता नहीं कश्मीरी हिंदुओं पर क्या बड़ा संकट आएगा। भट्ट ने कुंड के पानी के रंग बदलने की धारणा के बारे में विस्तारपूर्वक बताया कि ऐसा अगर पानी हरा या नीला हो तो इसे अच्छे दिनों का संकेत माना जाता है। और अगर यह काला या लाल हो जाए तो इसे आपदा के संकेत के रूप में देखा जाता है।
स्थानीय लोगों से मिली जानकारी के अनुसार पानी के रंग में बदलाव काफी दिनों से हो रहा था। शुरूआत में यह हल्का लाल था परंतु अब यह गहरा लाल हो गया है। लाल रंग किसी प्रलय या फिर रक्तपात का संकेत माना जा रहा है। विपिन पंडिता ने कहा कि खीर भवानी मंदिर का पानी लाल होना यह किसी बड़ी परेशानी से कम नहीं है।
वहीं गांदरबल में ही रहने वाले राकेश कोल ने बताया कि जब से यह संकेत मिला है तब से ही कई कश्मीरी हिंदू प्रतिदिन खीर भवानी मंदिर में आकर मां भवानी की पूजा कर रहे हैं। मां से यह प्रार्थना कर रहे हैं कि घाटी में सब ठीक रहे। कोई आपदा हमें नुकसान न पहुंचाएं। कश्मीर में सबकुछ ठीक रहे और यहां रहने वाले लोग शांति व भाईचारे के साथ रहें। मां सब ठीक करे।
आपको बता दें कि कश्मीर के जिला बड़गाम गत सप्ताह वीरवार को आतंकियों ने तहसीलदार कार्यालय में घुसकर एक कश्मीरी हिंदू कर्मचारी राहुल भट की हत्या कर दी थी। राहुल की हत्या के बाद से ही कश्मीर में धरना-प्रदर्शनों का सिलसिला जारी है। इस बीच कश्मीर घाटी में रह रहे हिंदुओं को आतंकी संगठन लश्कर-ए-इस्लाम ने यह धमकी भी दी है कि वे घाटी छोड़कर चले जाएं नहीं तो उन्हें भी मार दिया जाएगा। इन खराब हालात में मां खीर भवानी के कुंड का रंग बदलना घाटी में रह रहे कश्मीरी हिंदुओं के लिए चिंता का करण बना हुआ है।
पहले भी रंग बदल चुका है कुंड का पानी : कश्मीरी हिंदू विनय कोल ने बताया कि यह मंदिर दिव्य शक्तियों से परिपूर्ण है। मां खीर भवानी का यह पानी का कुंड चमत्कारी है। जब भी कश्मीर के ऊपर काले बादल छाने लगते हैं तब कुंड के पानी का रंग काला या लाल हो जाता है। 1990 में जब कश्मीरी पंडितों पर संकट आया तब कुंड का पानी काला हो गया था। यही नहीं जब 2014 में कश्मीर घाटी में भयंकर बाढ़ आई उस दौरान भी कुंड का पानी काला हो गया था। यही नहीं जब कारगिल युद्ध छिड़ा तब इस कुंड का पानी लाल रंग में बदल गया था। कश्मीर के कुछ लोग बताते हैं कि 5 अगस्त 2019 में जब केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाया उस दौरान कुंड का पानी हरा हो गया था। ऐसी मान्यता है कि जब इस कुंड का पानी हरा या नीला हो जाता है तब यह खुशहाली का संकेत है।
रावण से नाराज होकर कश्मीर आई थी मां रागन्या देवी : प्रचलित कथाओं के अनुसार रागन्या देवी की पूजा लंका नरेश रावण किया करता था। मां रागन्या रावण की कुलदेवी थी। उसकी करतूतों से दुखी होकर ही देवी ने हनुमान को उन्हें लंका से ले जाकर कश्मीर में स्थापित करने को कहा था। कहा जाता है कि यहां जलकुंड की खोज आषाढ़ मास की सप्तमी को हुई थी और जेठ के महीने में शुक्ल पक्ष की अष्टमी को हर साल देवी खीर भवानी का सालाना महोत्सव मनाया जाता है। खीर भवानी को नाम के अनुरूप खीर का ही प्रसाद चढ़ाया जाता है।
1912 में हुआ मंदिर का निर्माण : चिनार के विशाल पेड़ों और अगल-बगल बहती कई जलधाराओं से घिरे इस मंदिर के मौजूदा स्वरूप का निर्माण जम्मू-कश्मीर के महाराजा प्रताप सिंह ने 1912 में करवाया था। बाद में महाराजा हरि सिंह ने इसका जीर्णोद्धार करवाया। मंदिर परिसर में एक षठकोणीय कुंड है, जिसके बीच में बने संगमरमर के मंदिर में देवी की प्रतिमा स्थापित है। इस कुंड के पानी का रंग समय-समय पर बदलता रहता है और इन बदलते रंगों के साथ कई मिथक जुड़े हैं।