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पाडर की पहाडिय़ों में बसी मां मचैल की यात्रा इस वर्ष 25 जुलाई से शुरू हो रही है पवित्र यात्रा

पाडर की पहाडिय़ों में बसी मां मचैल की यात्रा इस वर्ष 25 जुलाई से शुरू हो रही है। किश्तवाड़ प्रशासन और मंडलायुक्त जम्मू की देख-रेख में इस बार यात्रा हो रही है।

By Preeti jhaEdited By: Published: Wed, 24 Jul 2019 08:36 AM (IST)Updated: Wed, 24 Jul 2019 08:36 AM (IST)
पाडर की पहाडिय़ों में बसी मां मचैल की यात्रा इस वर्ष 25 जुलाई से शुरू हो रही है  पवित्र यात्रा
पाडर की पहाडिय़ों में बसी मां मचैल की यात्रा इस वर्ष 25 जुलाई से शुरू हो रही है पवित्र यात्रा

किश्तवाड़,बलवीर सिंह जम्वाल। पाडर की पहाडिय़ों में बसी मां मचैल की यात्रा इस वर्ष कल यानी 25 जुलाई से शुरू हो रही है। किश्तवाड़ प्रशासन और मंडलायुक्त जम्मू की देख-रेख में इस बार यात्रा हो रही है। इसके लिए तैयारियां जोरों पर हैं। यात्रा संचालित करने वाली संस्था के सदस्यों में गत वर्ष आपसी मतभेद पैदा हो गए थे, जिस कारण काफी विवाद हुआ था। मामला हाईकोर्ट में पहुंचा। जिसके बाद फैसला होने तक हाईकोर्ट ने यात्रा की देखरेख का जिम्मा मंडलायुक्त जम्मू और डीसी किश्तवाड़ को सौंपा।

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पिछले 35 वर्ष से चल रही यात्रा को लेकर इस वर्ष भी भक्तों में काफी उत्साह है। दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, गुजरात और हिमाचल से लाखों की संख्या में श्रद्धालु मां रणचंडी के भक्त आशीर्वाद लेने के लिए मचैल पहुंचते हैं।

मचैल यात्रा के दौरान जम्मू से भी छड़ी यात्रा निकलती है, लेकिन इस वर्ष अभी तक यह फैसला नहीं हो पाया है छड़ी जाएगी या नहीं। गत वर्ष 22 अगस्त को हुए विवाद के बाद अब संस्था के संस्थापक ठाकुर कुलवीर ने साफ किया है कि उनकी तरफ से छड़ी नहीं जाएगी।

उधर, यात्रा के दौरान ठाठरी, प्रेम नगर, शालीमार, किश्तवाड़ जलना, सरकूट मंदिर, गलहार, गुलाबगढ़, अठोली, कुंडेल, चशोती, हमोरी दर्शन गेट, और मचेल दरबार में भी कई लंगर लगाए जा रहे हैं। इसके अलावा किश्तवाड़ के सरकूट मंदिर में यात्रियों के ठहरने की व्यवस्था मंदिर की धर्मशाला में की गई है। यहां लंगर की भी व्यवस्था होगी।

गत वर्ष संचालकों में हो गई थी हाथापाई

वर्ष 2018 में 22 अगस्त को जैसी ही छड़ी मचैल माता के दरबार में पहुंची तो वहां पर संस्था के दो घुटों में आपसी विवाद के बाद झपड़ हो गई थी। कुछ लोगों को मामूली चोटें भी आई थीं। पुलिस को बल प्रयोग कर मामले को ठंडा करना पड़ा था। उसी वक्त से पवित्र छड़ी यात्रा की त्रिशूल मचैल माता के मंदिर में ही रखी गई है। अभी तक विवाद कोर्ट में चल रहा है, जिस कारण यात्रा में पवित्र छड़ी के जाने की संभावना नहीं है।

दो कंपनियां देंगी हेलीकॉप्टर सेवाएं

यात्रा के दौरान इस वर्ष दो कंपनियां हेलीकॉप्टर सेवाएं भी देंगी। गुलाबगढ़ से मचैल के लिए 2270 रुपये एकतरफा किराया है। मगर यह किराया सिर्फ 80 किलोग्राम के वजन के लिए निर्धारित है। अगर किसी व्यक्ति का वजन 80 किलो से ज्यादा है तो उसे 150 रुपये प्रति किलोग्राम के हिसाब से अतिरिक्त चुकाने होंगे। इस बात को लेकर यात्रियों में रोष भी देखने को मिल रहा है। उनका कहना है कि अगर दो वर्ष से ज्यादा उम्र के बच्चे का किराया पूरा है तो 80 किलोग्राम से ज्यादा वजन वाले व्यक्ति से अतिरिक्त किराया क्योंकि वसूला जा रहा है।

 डीसी किश्तवाड़ अंग्रेज सिंह राणा-

इस बार मचैल यात्रा की देखरेख प्रशासन कर रहा है। 24 को जगराता होगा और 25 को सुबह हवन यज्ञ के साथ मंदिर दर्शन के लिए खोल दिया जाएगा। मंदिर के सारे बंदोबस्त किए गए हैं। यात्रा के दौरान सरकारी कर्मचारी तैनात रहेंगे। लंगरों की इजाजत दे दी है। यात्रियों की सुविधा का भी ध्यान रखा जाएगा। इसके अलावा शिकायत

एसएसपी किश्तवाड़ नासिर खान-

यात्रा मार्ग पर ठाठरी से लेकर मचेल तक पुलिस तैनात रहेगी। इसके साथ सीआरपीएफ, आइटीबीपी व सेना के जवान भी सहयोग करेंगे। मार्ग पर नाके लगाए गए हैं। शाम छह बजे किश्तवाड़ से किसी भी यात्री को आगे जाने की इजाजत नहीं होगी। पूरे रास्ते में एसडीआरएफ की टीम भी तैनात रहेगी।

सीएमओ किश्तवाड़ डॉ. अब्दुल मजीद मलिक- 

मात्रा मार्ग पर अलग-अलग जगह नौ डॉक्टर तैनात किए गए हैं। इसके अलावा प्राइमरी हेल्थ सेंटर और सब सेंटर का स्टाफ भी है। चार एंबुलेंस अलग-अलग जगह तैनात रहेंगी, ताकि आपात स्थिति में श्रद्धालु को सुविधा मिल सके। बीएमओ किश्तवाड़ और बीएमओ पाडर को स्वास्थ्य विभाग की ओर से यात्रा नोडल अफसर बनाया गया है। 


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