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Jammu: श्रद्धा का महासावन : श्री अमरनाथ जी गुफा में माता पार्वती को सुनाई थी अमर कथा, अमर हुए कबूतर

हर वर्ष हिम के आलय हिमालय में अमरनाथ कैलाश और मानसरोवर तीर्थस्थलों में लाखों श्रद्धालु पहुंचते हैं। सैकड़ों किलोमीटर की पैदल यात्रा करते हैं। आषाढ़ पूर्णिमा से श्रावण मास तक की पूर्णिमा के बीच अमरनाथ की यात्रा भक्तों को खुद से जुडे रहस्यों के कारण और प्रासंगिक लगती है।

By Vikas AbrolEdited By: Published: Fri, 20 Aug 2021 06:05 PM (IST)Updated: Fri, 20 Aug 2021 06:05 PM (IST)
Jammu: श्रद्धा का महासावन : श्री अमरनाथ जी गुफा में माता पार्वती को सुनाई थी अमर कथा, अमर हुए कबूतर
अमरनाथ की गुफा ही वह स्थान है जहां भगवान शिव ने पार्वती को अमर होने के गुप्त रहस्य बतलाए थे।

जम्मू, जागरण संवाददाता। एक बार देवी पार्वती ने देवों के देव महादेव से पूछा। ऐसा क्यों है कि आप अजर हैं। अमर हैं लेकिन मुझे हर जन्म के बाद नए स्वरूप में आकर, फिर से बरसों तप के बाद आपको प्राप्त करना होता है। जब मुझे आपको पाना है तो मेरी तपस्या और इतनी कठिन परीक्षा क्यों, आपके कंठ में पडी़ नरमुंड माला और अमर होने के रहस्य क्या हैं। महादेव ने पहले तो देवी पार्वती के उन सवालों का जवाब देना उचित नहीं समझा लेकिन पत्नीहठ के कारण कुछ गूढ़ रहस्य उन्हें बताने पडे़। शिव महापुराण में मृत्यु से लेकर अजर-अमर तक के कई प्रसंग हैं। जिनमें एक साधना से जुडी अमरकथा बडी रोचक है। जिसे भक्तजन अमरत्व की कथा के रूप में जानते हैं।

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हर वर्ष हिम के आलय, हिमालय में अमरनाथ, कैलाश और मानसरोवर तीर्थस्थलों में लाखों श्रद्धालु पहुंचते हैं। सैकड़ों किलोमीटर की पैदल यात्रा करते हैं। शिव के प्रिय अधिकमास, अथवा आषाढ़ पूर्णिमा से श्रावण मास तक की पूर्णिमा के बीच अमरनाथ की यात्रा भक्तों को खुद से जुडे रहस्यों के कारण और प्रासंगिक लगती है।

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, अमरनाथ की गुफा ही वह स्थान है जहां भगवान शिव ने पार्वती को अमर होने के गुप्त रहस्य बतलाए थे। उस दौरान वहां उन दो दिव्य ज्योतियों के अलावा तीसरा कोई प्राणी नहीं था। न महादेव का नंदी और नहीं उनका नाग, न सिर पर गंगा और न ही गणपति, कार्तिकेय।सभी को पीछे छोड़ पार्वती संग एक गुफा में महादेव ने प्रवेश किया। कोइ तीसरा प्राणी, यानी कोई व्यक्ति, पशु या पक्षी गुफा के अंदर घुस कथा को न सुन सके इसलिए उन्होंने चारों ओर अग्नि प्रज्जवलित कर दी। फिर महादेव ने जीवन के गूढ़ रहस्य की कथा शुरू कर दी। कथा सुनते-सुनते देवी पार्वती को नींद आ गई। वह सो गई और महादेव को यह पता नहीं चला। वह सुनाते रहे। यह कथा इस समय दो सफेद कबूतर सुन रहे थे और बीच-बीच में गूं-गूं की आवाज निकाल रहे थे। महादेव को लगा कि पार्वती उन्हें सुन रही हैं और बीच-बीच में हुंकार भर रही हैं। चूंकि वैसे भी भोले अपने में मग्न थे तो सुनाने के अलावा ध्यान कबूतरों पर नहीं गया।

इस पर महादेव ने उन्हें वर दिया कि तुम सदैव इस स्थान पर शिव व पार्वती के प्रतीक चिह्न में निवास करोगे। अंतत: कबूतर का यह जोड़ा अमर हो गया और यह गुफा अमरकथा की साक्षी हो गई। इस तरह इस स्थान का नाम अमरनाथ पड़ा।

मान्यता है कि आज भी इन दो कबूतरों के दर्शन भक्तों को होते हैं। अमरनाथ गुफा में यह भी प्रकृति का ही चमत्कार है कि शिव की पूजा वाले विशेष दिनों में बर्फ के शिवलिंग अपना आकार ले लेते हैं। यहां मौजूद शिवलिंग किसी आश्चर्य से कम नहीं है। पवित्र गुफा में एक ओर मां पार्वती और श्रीगणेश के भी अलग से बर्फ से निर्मित प्रतिरूपों के भी दर्शन किए जा सकते हैं।

- पंडित राजेश शास्त्री। 


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