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जम्मू-कश्मीर में नशे की धुन में धुंधला रहा युवाओं का भविष्य, 40 फीसद युवा नशे के आदी

समाज सेवी संगठन टीम जम्मू के चेयरमैन जोरावर सिंह जम्वाल का कहना है कि तीन महीने में नशे की लत के कारण सौ युवाओं की मौत हो चुकी है।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Tue, 21 May 2019 02:19 PM (IST)Updated: Tue, 21 May 2019 02:19 PM (IST)
जम्मू-कश्मीर में नशे की धुन में धुंधला रहा युवाओं का भविष्य, 40 फीसद युवा नशे के आदी
जम्मू-कश्मीर में नशे की धुन में धुंधला रहा युवाओं का भविष्य, 40 फीसद युवा नशे के आदी

जम्मू, दिनेश महाजन। जम्मू कश्मीर में मादक पदार्थो और नशीली दवाइयों की बढ़ती तस्करी चिंता का विषय बनी हुई है। नशे के इस दलदल में सबसे अधिक बेरोजगार युवा धंसते जा रहे हैं। नशे का सेवन युवाओं के भविष्य को बर्बाद कर रहा है। नशे की लत पूरा करने के लिए युवा आपराधिक गतिविधियों में भी शामिल हो रहे हैं। यहां तक कि वह तस्करों की कठपुतली बनते जा रहे हैं। पुलिस और समाजसेवी संगठनों की मानें तो राज्य में 40 फीसद युवा नशे की गिरफ्त में हैं।

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सामाजिक संगठन और राजनीतिक दल नशे के कारोबार पर अंकुश लगाने की मांग तो करते हैं, लेकिन इनकी रोकथाम के लिए कोई ठोस पहल नहीं हो रही है। कुछ समय पहले कुछ विधायकों ने मादक पदार्थो की तस्करी पर अंकुश लगाने के लिए कठोर कानून बनाने का मुद्दा उठाया था, लेकिन नतीजा सिफर निकला। हालात यह है कि राज्य में पर्याप्त ड्रग डी-एडिक्शन सेंटर तक नहीं बनाए गए, जहां युवाओं को नशे से बाहर लाया जा सके। नशे के आदी हो चुके युवा गुमनामी की मौत मर रहे हैं। सरकार की बेरुखी के बीच कुछ समाजसेवी संगठन डी-एडिक्शन सेंटर चला रहे हैं। इन सेंटरों में ड्रग्स के दुष्प्रभाव के बारे में बताया जाता है।

तीन माह में सौ युवकों की नशे से मौत: समाज सेवी संगठन टीम जम्मू के चेयरमैन जोरावर सिंह जम्वाल का कहना है कि तीन महीने में नशे की लत के कारण सौ युवाओं की मौत हो चुकी है। यह बात उनके संगठन की जांच के दौरान सामने आई है। संभाग के किसी भी जिले में संदिग्ध मौत की घटना सामने आती है तो उनके सदस्य अस्पताल में पहुंचकर मौत के कारणों की जांच करते हैं। वह पुलिस अधिकारियों और मरने वालों के परिजनों से भी बात करते हैं। वर्ष 2018 में तीन सौ से अधिक युवाओं की नशे के सेवन से मौत हो गई थी।

पिछले साल 1291 लोगों को दबोचा गया: वर्ष 2018 में जम्मू कश्मीर पुलिस ने 1291 लोगों को दबोचा था। उनके कब्जे से 28 किलो हेरोइन, 362 किलो चरस, 19,873 किलो भुक्की बरामद हुई थी। पुलिस ने 56 तस्करों पर पब्लिक सेफ्टी एक्ट लगाया था। इस साल मादक पदार्थो की तस्करी के 26 हजार मामले दर्ज किए गए हैं, जो वर्ष 2017 की तुलना में काफी अधिक हैं।

कानून की खामियों का बड़े पैमाने पर लाभ उठा रहे तस्कर : यदि किसी व्यक्ति को सौ ग्राम हेरोइन के साथ पकड़ा जाता है तो उसे कानून के तहत तस्करी का आरोपित माना जाता है। अगर कोई इससे कम मात्र में हेरोइन के साथ पकड़ा जाता है तो उसे आरोपित मानने की बजाय मादक पदार्थ का सेवन करने वाला माना जाता है। कानून के इसी पहलू का लाभ उठाकर तस्कर अब 10-20 ग्राम हेरोइन लेकर निकलते हैं। यदि कम मात्र में हेरोइन बरामद होती है तो अदालत से उन्हें आसानी से राहत मिल जाती है।

सीमापार से भेजी जा रही नशे की खेप: पड़ोसी देश पाकिस्तान आतंकियों की घुसपैठ कराने के साथ मादक पदार्थो को जम्मू कश्मीर में भेजकर यहां की युवा पीढ़ी को तबाह करने पर तुला है। सुरक्षाबलों ने कई बार पाकिस्तान से सटी अंतरराष्ट्रीय सीमा से इस ओर आई नशे की भारी खेप को बरामद किया है और उनके नेटवर्क को भी ध्वस्त किया है। आतंकवाद से अधिक घातक नशे का कारोबार है। - एमके सिन्हा, आइजीपी, जम्मू 

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