कश्मीर की आबोहवा में बदलाव का असर लोगों की सोच पर भी नजर आ रहा है
मौसम बदला और पहाड़ों पर जमी बर्फ पिघलने लगी। कश्मीर की आबोहवा में बदलाव साफ महसूस होता है। इस बदलाव का असर लोगों की सोच पर भी नजर आ रहा है।
जम्मू कश्मीर, नवीन नवाज। मौसम बदला और पहाड़ों पर जमी बर्फ पिघलने लगी। कश्मीर की आबोहवा में बदलाव साफ महसूस होता है। इस बदलाव का असर लोगों की सोच पर भी नजर आ रहा है। बदलाव का असर सियासी प्रतिबद्धता और सियासत के प्रति बदलते नजरिये में भी दिख रहा है और भारतीय जनता पार्टी और अन्य राष्ट्रीय दलों के प्रति नजरिये में भी। कश्मीर के सियासी दल कुछ भी नजरिया रखें लेकिन अब आमजन हर विवादित मुद्दे पर दिल खोलकर बात करने को तैयार है।
हाल ही में भाजपा की रैलियों में नाचते समर्थक, वुनवुन गाती लड़कियों और फिल्मी धुनों पर थिरकते युवाओं की भीड़ ने साबित कर दिया कि कश्मीर में भाजपा न केवल जगह बनाने में सफल हो रही है बल्कि लोगों में पार्टी के प्रति स्वीकार्यता बढ़ी है। अब उनके कार्यक्रमों में भाग लेने वाले कार्यकर्ता चेहरा छिपाने की आवश्यकता नहीं महसूस करते। यह बदलाव विशेषज्ञों को भी हैरान करने वाला है। कश्मीर मामलों के विशेषज्ञ मकबूल वीरे ने कहा कि हम तो हैरान होते हैं, अब भाजपा की रैली को देखकर।
अनंतनाग हो या कुलगाम, भाजपा की रैली में लोग सड़कों पर नाच रहे हैं तो कुछ तो बात होगी। पार्टी कितने वोट लेगी, मैं यह नहीं कह सकता। लेकिन इसने जगह बना ली है। कश्मीर तो एक मुस्लिम बहुल प्रदेश है। यहां भाजपा से जुड़ने वाले सारे मुस्लिम ही हैं। भाजपा अब सत्ता में आई है, लेकिन अनंतनाग में भाजपा के कुछ कार्यकर्ता तो 1996 के दौर से सक्रिय हैं और इनमें भाजपा उम्मीदवार सोफी युसुफ भी हैं।
उन्होंने कहा कि देवसर में पार्टी की महिला मोर्चा की अध्यक्ष विजया रहाटकर की रैली में स्थानीय महिलाओं की मौजूदगी देखकर हैरान था। यह इलाका नेशनल कांफ्रेंस और कांग्रेस का मजबूत गढ़ है।
पत्रकार सनम तस्सदुक ने कहा कि दक्षिण कश्मीर में कुछ समय पहले तक लोग मुख्यधारा के किसी राजनीतिक दल का नाम तक लेना पसंद नहीं करते थे, उसकी रैलियों पर पत्थर चलते थे। ऐसे में जिस भाजपा को मुसलमानों का दुश्मन बताया जाता है, उसकी दक्षिण कश्मीर में खुलेआम रैली हैरान करती है। मैं तो हैरान हूं कि भाजपा के उम्मीवार की रैली में यहां लोग ‘भारत माता की जय’ के नारे लगा रहे थे। औरतें खुलेआम रैली में सड़क पर नाच रही थी। मैं हैरान हूं कि यह बदलाव कैसे आया।
आज भी कश्मीर में सामान्य तौर पर भाजपा के साथ जुड़ना अच्छा नहीं माना जाता। अनंतनाग के हायर सेकेंडरी स्कूल में राजनीति शास्त्र के लेक्चरर परवेज मलिक ने कहा कि भाजपा के साथ जुड़े लोगों में अधिकांश युवा ही हैं। धारा 370 को लेकर कश्मीर से बाहर भाजपा कुछ भी कहे, लेकिन जिस तरह से उसने बीते पांच सालों में इस मुद्दे पर रवैया अपनाया है, उससे भी कहीं न कहीं आम कश्मीरी अवाम को बेहतर संदेश गया है। इसके अलावा सोशल मीडिया का भी खूब असर है। बहुत से कश्मीरी बच्चे बाहर पढ़ने जाते हैं। उन्होंने भी अन्य राज्यों में बेहतर माहौल देखा है।
गोधरा की बात छोड़ दी जाए तो गुजरात मॉडल चर्चा का विषय रहा है। आम कश्मीरी नौजवान मुख्यधारा से जुड़ना चाहता है और वह कहीं न कहीं राष्ट्रवाद से प्रभावित भी है। वह अलगाववादियों के प्रति भाजपा द्वारा अपनाई गई स्पष्ट नीति से भी प्रभावित है। धारा-370 और धारा-35 ए पर बेशक आज भी आम कश्मीरी भावुक
है, लेकिन वह विकास चाहता है, रोटी कपड़ा और मकान चाहता है।
डल झील में हाऊस बोट के मालिक हिलाल अहमद ने कहा कि हमने करीब दस दिन पहले सुना था कि अनंतनाग में भाजपा की रैली खुलेआम निकली, हमें यकीन नहीं आया। लेकिन दो दिन पहले शनिवार को झील में भाजपा की महिला कार्यकर्ता शिकारों में बैठ हम लोगों से वोट की अपील करने आईं।
भाजपा के प्रवक्ता अल्ताफ ठाकुर ने कहा कि गत दिनों जब यहां एक रैली थी तो कई भाजपा कार्यकर्ताओं ने मीडिया के सामने अपने चेहरे छिपाए तो बहुत से लोगों ने बहुत कुछ कहा। उस समय हमने कहा था कि यही लोग सबके सामने होंगे। आज यही हो रहा हैै