कठुआ केस: कंजक के साथ कोई ऐसे बर्बरतापूर्ण हरकत कैसे कर सकता है
मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने बुधवार को कहा कि एक कंजक के साथ कोई कैसे बर्बरतापूर्ण हरकत कर सकता है।
जम्मू, राज्य ब्यूरो। मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने बुधवार को कहा कि एक कंजक के साथ कोई कैसे बर्बरतापूर्ण हरकत कर सकता है। रसाना में एक निर्मम वारदात उस धरती पर हुई है जिसमें बच्चियों को दुर्गा की तरह पूजा जाता है। जम्मू में त्रिकुटा पहाड़िया श्री माता वैष्णो देवी की पहचान हैं और ऐसी धरती पर समाज में बच्ची के साथ ऐसा व्यवहार क्यों किया गया।
श्री माता वैष्णो देवी विश्वविद्यालय कटड़ा के छठे दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने बच्ची से दुष्कर्म व हत्या के मामले को खतरनाक बताया।उन्होंने कहा कि पिछड़े व गरीब वर्ग की बच्ची के साथ हुई इस घटना ने समाज को हिलाकर रख दिया है। जब हम मूल्यों की बात करते हैं तो मैं महसूस करती हूं यह कठिन दौर में है।
इधर, जम्मू में हरि निवास के प्रांगण में शाम को राष्ट्रपति के सम्मान में आयोजित स्वागत समारोह में महबूबा ने कहा कि रसाना मामले को राजनीतिक रंग देकर कुछ तत्व गड़बड़ी पैदा कर रहे हैं, लेकिन उनकी सरकार नाबालिग पीड़ित को न्याय दिलाने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। जब भी पीड़ित का मासूम चेहरा उनके सामने आता है तो उनका कलेजा मुंह को आ जाता है। महबूबा ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी रसाना घटना को शर्मनाक करार देते हुए दोषियों को सजा दिलाने की बात कही है। जम्मू के लोगों की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि पीड़ित को न्याय दिलाने की मांग को लेकर जिस तरह महिलाओं और बच्चों समेत समाज का हर वर्ग उठ खड़ा हुआ है, यह देखकर उन्हें काफी राहत महसूस होती है।
जम्मू की धरती, में गुज्जर, पहाड़ी, पंडित, मुसलमान समेत हर मजहब के लोगों के लिए जगह है और बिना किसी खौफ के सभी मिलजुल कर रहते है, ऐसी मिसाल आज के समय में कहीं नहीं मिलती। इससे पूर्व उन्होंने देश की प्रथम महिला सविता कोविंद को शाल ओढ़ाकर उनका स्वागत किया।
मुख्यमंत्री माने न मानें होकर रहेगी सीबीआइ जांच
रसाना मामले से उपजे हालात में इस्तीफा देने वाले पूर्व वनमंत्री लाल सिंह के बाद पूर्व उद्योग मंत्री चंद्र प्रकाश गंगा भी सीबीआइ जांच की मांग व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती के रवैये के खिलाफ खुलकर सामने आ गए हैं। गंगा ने मुख्यमंत्री को निशाना बनाते हुए कहा कि वह चाहे या न चाहें रसाना मामले में सीबीआइ जांच होकर रहेगी। गंगा ने कहा कि उन्हें रसाना मामले में अपराध शाखा की रिपोर्ट पर बिल्कुल यकीन नहीं है।
इस मामले में रची गई साजिश सीबीआइ जांच से जल्द सामने आ जाएगी। इस मामले में कई सच छिपा कर रखे गए हैं। गंगा ने स्पष्ट किया कि पार्टी ने उन्हें अपराध शाखा की रिपोर्ट को लेकर नाराज लोगों को शांत करने के लिए ही रसाना भेजा गया था।
रसाना मामले पर कश्मीर में हिंसा, 30 से ज्यादा घायल
रसाना मामले की पीड़िता के लिए न्याय की मांग को लेकर बुधवार को दूसरे दिन भी कश्मीर में अनंतनाग से लेकर हंदवाड़ा तक छात्र-छात्राओं ने जमकर हिंसा की। नारेबाजी कर रहे छात्रों ने कश्मीर की आजादी और आतंकी कमांडर जाकिर मूसा के नारे लगाते हुए कई जगह पाकिस्तानी झंडे और आतंकियों के पोस्टर भी लहराए। विद्यार्थियों पर काबू पाने के लिए पुलिस को भी बल प्रयोग करना पड़ा, जिसमें एक डीएसपी और एक इंस्पेक्टर समेत 30 से ज्यादा लोग घायल हो गए। दो घायलों की हालत चिंताजनक बनी हुई है।
पुलवामा व बांडीपोर के सुंबल में पुलिसकर्मियों को अपनी जान बचाने के लिए हवा में गोल भी चलानी पड़ी। हिंसक प्रदर्शनों की शुरुआत सुबह अनंतनाग से हुई। कॉलेज और स्कूलों के छात्रों ने कक्षाओं का बहिष्कार करते हुए रसाना कांड पर जुलूस निकाला। इस दौरान छात्रों ने पुलिस को देखते ही पथराव शुरू कर दिया। हालात पर काबू पाने के लिए पुलिस को भी लाठियां, आंसूगैस और पैलेटगन का सहारा लेना पड़ा। कुलगाम में कॉलेज छात्रों ने जुलूस निकाला। इस्लामिक यूनीर्विसटी अवंतीपोर के छात्रों को जब पुलिस ने राष्ट्रीय राजमार्ग पर जाने से रोका तो वह हिंसा पर उतर आए। इसी दौरान त्राल डिग्री कॉलेज और पुलवामा में भी छात्रों व अन्य लोगों की पुलिस के साथ हिंसक झड़पें हुई। श्रीनगर के बेमिना डिग्री कॉलेज, गांधी कॉलेज और हवल कॉलेज में प्रदर्शनकारी छात्रों व पुलिस के बीच झड़पों का दौर चला।
सोपोर, बारामुला और हंदवाड़ा में भी दोपहर तक छात्रों व पुलिसकर्मियों के बीच हिंसक झड़पें हुई। सबसे ज्यादा छात्र हिंसा अनंतनाग में ही हुई। यहां 15 छात्र-छात्राओं समेत 17 लोग जख्मी हैं। पुलिस इंस्पेक्टर और डीएसपी अवंतीपोर में इस्लामिक विवि के हिंसक छात्रों को शांत करने के प्रयास में जख्मी हुए। लालचौक और उसके साथ सटे प्रेस एन्कलेव में दोपहर बाद तक छात्रों, वकीलों, व्यापारियों और सिविल सोसाइटी के प्रतिनिधियों के जुलूसों का सिलसिला चलता रहा। हालात को देखते हुए प्रशासन ने कई स्कूलों में छुट्टी कर दी। पूरी वादी में शायद ही कोई ऐसा कॉलेज, विश्वविद्यालय या हायर सेकेंडरी स्कूल था, जहां रसाना कांड के दोषियों के लिए फांसी की सजा की मांग नहीं गूंजी। लॉ कॉलेज कश्मीर के छात्रों ने जुलूस निकालने के अलावा रसाना पीड़िता के हक में हस्ताक्षर अभियान भी चलाया। छात्रों और पुलिस के बीच हुई हिंसक झड़पों का असर स्थानीय जनजीवन पर भी नजर आया।
आमरण अनशन पर बैठी महिला की हालत बिगड़ी
रसाना मामले की सीबीआइ जांच की मांग को लेकर कूटा में आमरण अनशन जारी रहा। इस दौरान पिछले चार दिन से अनशन पर बैठी तोषी देवी पत्नी सुरेंद्र कुमार की तबीयत बिगड़ गई। मौके पर मौजूद डॉक्टर ने जांच कर उसे उपजिला अस्पताल हीरानगर में रेफर कर दिया। तोषी देवी के स्थान पर अब अशोक कुमार पुत्र दया राम निवासी रसाना ने आमरण शुरू कर दिया है। वहीं त्रिशला देवी पत्नी रामसरण वार्ड नंबर 13, (कठुआ) 16 अप्रैल से लगातार अनशन पर बैठी हुई हैं। प्रत्येक दिन की तरह अन्य लोगों ने भी कूटा में धरना दिया और सीबीआइ से जांच करवाने की मांग के समर्थन में नारेबाजी की। इस अवसर पर ¨हदू एकता मंच के राज खजूरिया, मास्टर चमन लाल, योगेश ¨सह, कांत कुमार, मास्टर देव राज आदि ने कहा कि जब तक सीबीआइ को जांच नहीं सौंपी जाती वह अपना संघर्ष जारी रखेंगे, ताकि पीड़ित परिवार को इंसाफ मिल सके और सच्चाई सभी के सामने आए।
सीबीआइ जांच के बिना पीड़िता को न्याय मिलना संभव नहीं
रसाना कांड की जांच सीबीआइ को सौंपे जाने की मांग पीड़िता के समुदाय के लोगों के बार-बार कहने पर सबसे पहले पैंथर्स पार्टी ने उठाई थी। यह बातें पार्टी के राज्य प्रधान बलवंत मनकोटिया ने रामनगर विधानसभा क्षेत्र के रांग गांव में आयोजित जनसभा को संबोधित करते हुए कहीं। मनकोटिया ने कहा कि पीड़िता के समुदाय के लोग जब उनके पास इस केस को सीबीआइ को सौंपने की मांग को लेकर आए, तब पैंथर्स पार्टी उनके साथ उनकी इस मांग को लेकर चट्टान की तरह खड़ी हो गई। उन्होंने कहा कि कठुआ में गुज्जर-बक्करवाल समुदाय के लोगों ने पहली बार सीबीआइ जांच की मांग पर नेशनल हाईवे पर पैंथर्स पार्टी के जिला इकाई के साथ धरना-प्रदर्शन किया था, जिसकी अगुवाई पार्टी की कठुआ जिला इकाई के अध्यक्ष रोबिन शर्मा ने की थी। तब पार्टी के सौ कार्यकर्ता दिनभर पीड़िता को न्याय दिलाने के लिए मामले की जांच सीबीआइ से कराने की मांग को लेकर धरने पर बैठे रहे।
कठुआ केस पर बात करनेे में घिन आती है
कठुआ केस पर बात भी नहीं करना चाहते अमिताभ बच्चन, कहा-"घिन आती है" सोशल मीडिया के जरिये भी सितारों ने लगातार इस तरह के घटनाओं की निंदा की है और दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा दिलाने की अपील की है । अमिताभ बच्चन ने जम्मू कश्मीर के कठुआ मर्डर किये जाने की जघन्य घटना को बेहद घृणित बताते हुए कहा है कि इस बारे में तो बात करने से ही घिन आती है।
अभी मुंबई में इवेंट के दौरान आलिया से जब पूछा गया कि क्या वह कठुआ मर्डर मामले से वाकिफ हैं तो उन्होंने कहा कि “मैं बिल्कुल इस पर अपनी बात रखना चाहूंगी। मैं इस पर काफी समय से पढ़ रही हूं और जितना ज्यादा पढ़ रही हूं डिप्रेस महसूस कर रही हूं। एक लड़की होने के नाते भी और इस देश की नागरिक होने के नाते भी बहुत दुखी हूं और यही चाहती हूं कि जस्टिस मिले। जो हुआ है वह खौफनाक है। भयानक है। ऐसा दर्द है जो कि भुलाया नहीं का सकता है। यह बहुत शर्मनाक है। गुस्सा सिर्फ बॉलीवुड के लोगों में नहीं है पूरे देश के लोगों में है और होना भी चाहिए”।
कठुआ और उन्नाव की घटनाओं के बाद देश भर में गुस्सा है और न्याय के लिए फिल्मी सितारे सड़क पर भी उतर चुके हैं। सोशल मीडिया के जरिये भी सितारों ने लगातार इस तरह के घटनाओं की निंदा की है और दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा दिलाने की अपील की है ।