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लद्दाख में पुस्तक 'यशोदा' की धूम, जानें क्यों स्टूडेंट एजुकेशन मूवमेंट की महिला डेलिगेट ने पुस्तक को बताया प्रेरणादायी

जिन योजनाओं को अमली जामा पहनाने में विफल हो रही हैं उनको करीब 50 वर्ष पहले ही निडर एवं निर्भय होकर समाज में अपनी दमदार उपस्थिति बनाते हुए यशोदा ने महिला सशक्तिकरण के कई आयामों को जीवंत किया।

By Vikas AbrolEdited By: Published: Sat, 29 Jan 2022 04:11 PM (IST)Updated: Sat, 29 Jan 2022 04:11 PM (IST)
लद्दाख में पुस्तक 'यशोदा' की धूम, जानें क्यों स्टूडेंट एजुकेशन मूवमेंट की महिला डेलिगेट ने पुस्तक को बताया प्रेरणादायी
इन महिला डेलीगेट ने लद्दाख की पारंपरिक वस्त्र में खड़े होकर पुस्तक को अपने हाथ में लेकर तस्वीरें भी खिंचवाई।

जम्मू, जेएनएन। पुष्पांजलि प्रकाशन नई दिल्ली ने लेखक मनोज कुमार राव की पुस्तक यशोदा एक स्वयंप्रभा स्त्री की वास्तविक कहानी को प्रकाशित किया है। लेखक ने इस पुस्तक के माध्यम से यह दर्शाया है कि आज भी महिला सशक्तिकरण के मामले में केंद्र और राज्य की सरकारें हैं, जिन योजनाओं को अमली जामा पहनाने में विफल हो रही हैं, उनको करीब 50 वर्ष पहले ही निडर एवं निर्भय होकर समाज में अपनी दमदार उपस्थिति बनाते हुए यशोदा ने महिला सशक्तिकरण के कई आयामों को जीवंत किया।

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पूरी कथानक वास्तविक कहानी पर आश्रित है। बाल्यकाल में अपने दो भाइयों को दौड़ में पराजित करने वाली यशोदा के अंदर अपने वजूद को चरितार्थ करने का ऐसा बीजारोपण हुआ कि उसने शादी के बाद अधेड़ उम्र में जिला परिषद के चुनाव में 14 पुरुषों को पछाड़कर अनारक्षित क्षेत्र से जीतने वाली पहली महिला बनी। मुखिया पिता की इस बेटी ने कहीं स्त्री शिक्षा के लिए संघर्ष किया तो कहीं स्वच्छता और अन्य दलित वर्ग के लोगों को जागृत किया। महिला बंध्याकरण के लिए उसने 50 साल पहले ही स्वयं का बंध्याकरण करवा कर उस समय मुसहर महिलाओं को प्रेरित किया था जिसके परिणाम स्वरूप उसके टोले की दर्जनों मुसहर महिलाओं ने भी बंध्याकरण करवाया। जातिवाद के भेदभाव को दूर करने के लिए उसने बचपन में ही प्रयास किया था जिसको वह जीवन पर्यंत निभाती रही। प्रत्येक अध्याय महिला सशक्तिकरण के संदेशों से लबरेज है। इस पुस्तक को पश्चिमी चंपारण जिले वासियों के अलावा राज्य के कई ख्याति लब्ध हस्तियों ने भी सराहा है जिसमें आइएएस अधिकारी, समाजसेवी पद्मश्री विजेता, बिहार राजभाषा आयोग की अध्यक्ष, वरिया चिकित्सक, मुंबई के व्यवसायी, बॉलीवुड के कई डायरेक्टर सहित नेपाल में कार्यरत अभियंता तथा फाइनेंस कंपनी के वाइस प्रेसिडेंट के अलावा कई गणमान्य हस्तियों के नाम शामिल हैं।

लद्दाख की स्टूडेंट एजुकेशन मूवमेंट और सेंटर फॉर स्किल एंड रिसर्च की महिला डेलिगेशन ने इस पुस्तक की सराहना करते हुए इसे महिला सशक्तिकरण की दिशा में मील का पत्थर बताया है। करीब 50 वर्ष पहले बिहार राज्य के पश्चिमी चंपारण जिले की संघर्षशील महिला यशोदा के किरदार को आज की महिला के लिए भी प्रेरक बताया है। लद्दाख की महिलाओं ने इस पुस्तक को सोशल मीडिया और ऑनलाइन मार्केटिंग के माध्यम से उपलब्ध कराया और अंग्रेजी माध्यम में अनुवाद कर इसे पढ़ा और प्रेरणा ली। इन महिला डेलीगेट ने लद्दाख की पारंपरिक वस्त्र में खड़े होकर पुस्तक को अपने हाथ में लेकर तस्वीरें भी खिंचवाई और कहा कि भारतीय महिलाओं के लिए यह पुस्तक पढ़ना अत्यंत उपयोगी है ताकि वे इससे ज्ञान अर्जन कर अपने आप को मानसिक रूप से और मजबूत बना सके। यशोदा एक स्वयंप्रभा स्त्री की कहानी नामक शीर्षक से इसे लेखक मनोज कुमार राव द्वारा 14 अध्याय के माध्यम से प्रस्तुत किया गया है।  


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