Jammu : नाबालिग के साथ दुष्कर्म और आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोपित को नहीं मिली जमानत
आरोपित के खिलाफ नाबालिग की मां के बयान के बाद दुष्कर्म और आत्महत्या के लिए उकसाने व पाक्सो एक्ट के तहत मामला दर्ज किया था। आरोपित के झांसे में आने वाली नाबालिग सोलह वर्ष की थी। लड़की ने अवसाद में आकर 27 जुलाई 2018 को जहर निगल लिया था।
जम्मू, जागरण संवाददाता : जम्मू-कश्मीर हाइकोर्ट के जस्टिस जावेद इकवान वानी ने नाबालिग को शादी झांसा देकर दुष्कर्म करने और उसे आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोपित को जमानत देने से इनकार कर दिया। आरोपित सेना में कार्यरत है और उसे पुलिस ने 18 अप्रैल, 2021 को गिरफ्तार किया था। आरोपित के खिलाफ नाबालिग की मां के बयान के बाद दुष्कर्म और आत्महत्या के लिए उकसाने व पाक्सो एक्ट के तहत मामला दर्ज किया था। आरोपित के झांसे में आने वाली नाबालिग सोलह वर्ष की थी।
लड़की ने अवसाद में आकर 27 जुलाई, 2018 को अपने अरनिया स्थित निवास पर ही जहर निगल लिया था। गंभीर हालत में उसे जीएमसी अस्पताल में उपचार के लिए ले जाया गया, लेकिन वहां उसने दम तोड़ दिया था। इस मामले में पुलिस ने केस दर्ज कर जांच शुरू कर दी थी। पुलिस में दर्ज मामले के अनुसार आरोपित नाबालिग को झांसा देकर दुष्कर्म करता रहा, लेकिन बाद में उसने कहीं और शादी कर ली। नाबालिग इस सदमे को सह नहीं पाई और उसने जहर निगल लिया था। पुलिस ने जब मामला दर्ज कर जांच शुरू की तो पता चला कि नाबालिग अपने साथ हुए धोखे के चलते तनाव में आ गई थी और उसने आत्महत्या कर ली।
आरोपित के सेना में होने के चलते उसे गिरफ्तार करने में भी पुलिस को मशक्कत करनी पड़ी थी। इस मामले में गिरफ्तार आरोपित ने जमानत अर्जी कोर्ट में दायर की थी, लेकिन पुलिस की ओर से पेश अडीशनल एडवोकेट जनरल असीम साहनी ने पक्ष रखा और जमानत अर्जी का विरोध जताया। वहीं दोनों पक्षों को सुनने के बाद जस्टिस वानी ने आरोपित को जमानत देने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि एक सोलह वर्ष की बच्ची की मौत हुई है। उसने अस्पताल जाते हुए अपनी मां को जहर निगलने के कारणों के बारे में बताया था अौर इसे अपनी डायरी में भी लिखकर रखा था। ऐसे में आरोपित आरोपों से इनकार नहीं कर सकता। अभी तक मिले सबूत भी आरोपित के खिलाफ हैं।