घाटी में सुरक्षाबलों के दबाव से किश्तवाड़ को गढ़ बना रहे आतंकी
नवीन नवाज जम्मू दक्षिण कश्मीर में शुक्रवार को पांच आतंकियों की मौत के साथ ही इस साल मारे
नवीन नवाज, जम्मू
दक्षिण कश्मीर में शुक्रवार को पांच आतंकियों की मौत के साथ ही इस साल मारे गए आतंकियों की तादाद 101 हो गई। दूसरी तरफ, शुक्रवार को ही किश्तवाड़ में आतंकियों के हमले में दो एसपीओ गंभीर रूप से घायल हो गए। हमले के बाद आतंकी भाग निकले। यह घटना बता रही है कि कश्मीर में सुरक्षाबलों के बढ़ते दबाव से हताश आतंकी अपने लिए जम्मू संभाग के उन इलाकों को जो कभी आतंकवाद का गढ़ रहे हैं और कश्मीर से सटे हैं, अपने लिए नया ठिकाना बना चुके हैं। यह सुरक्षाबलों की विफलता को भी इंगित करती है और बता रही है कि कश्मीर से सटा किश्तवाड़ अब वादी की राह पर चल पड़ा है।
किश्तवाड़ के ऊपरी क्षेत्र अप्पन में जो कि माडवा घाटी का हिस्सा है और कश्मीर से सटा है, में शुक्रवार दोपहर को हुई यह घटना बेशक किसी को हैरान न करे, लेकिन जिस तरह से बीते एक डेढ़ माह के दौरान सु़रक्षाबल इस इलाके में या फिर किश्तवाड़ के अन्य हिस्सों में आतंकियों के खिलाफ अभियान चला रहे हैं, उसे देखते हुए यह हैरान करने वाली है। आतंकियों ने जिस तरीके से सुबह सात बजे के करीब यह हमला किया, उससे साफ है कि न सिर्फ उनके पास सुरक्षाबलों की मूवमेंट की पूरी खबर थी बल्कि वह पूरी तरह प्रशिक्षित भी थे। हमलावरों की तादाद भी दो नहीं हो सकती, उनकी तादाद कम से कम पांच होनी चाहिए या उससे ज्यादा। अगर यह बात सही है तो संकट को समझा जा सकता है।
वर्ष 2005 तक कितश्वाड़ आतंकी हिसा के लिए अक्सर सुर्खियां बटोरता रहा है। उसके बाद करीब आठ साल तक यह लगभग शांत ही रहा। इसका यह मतलब कतई नहीं था कि यहां आतंकी खत्म हो चुके थे। आतंकी थे, लेकिन उनकी तादाद दहाई की संख्या से नीचे चली गई थी और वह कभी कभार ही नीचे आते थे। वह किसी वारदात को अंजाम देने से बचते थे। लेकिन शांत हो चुके किश्तवाड़ की आबोहवा में बीते पांच साल से बदलाव आने लगा। राज्य पुलिस के आंकड़ों के मुताबिक ही बीते पांच साल में एक दर्जन से ज्यादा लोग किश्तवाड़ में जिहादी गतिविधियों के सिलसिले में पकड़े गए हैं। इसी साल पांच से ज्यादा आतंकी और उनके ओवरग्राउंड वर्कर पकड़े गए हैं। इनमें मोहम्मद अब्दुल्ला गुज्जर, तौसीफ अहमद, निसार गनई के नाम उल्लेखनीय हैं, जो जम्मू संभाग में मोस्ट वांटेड आतंकियों में सबसे ऊपर मोहम्मद अमीन जहांगीर के साथ जुड़े हुए थे। जहांगीर इस क्षेत्र का सबसे पुराना सक्रिय आतंकी है। असम के कमरुदीन के आतंकी बनने की कहानी भी किश्तवाड़ में ही शुरू हुई थी।
गत नवंबर माह के दौरान आतंकियों ने किश्तवाड़ में अपनी उपस्थिति का अहसास दिलाते हुए भाजपा नेता अनिल परिहार व उनके भाई की हत्या कर दी। इससे पूरा सुरक्षा तंत्र हिल गया। परिहार बंधुओं की हत्या की गुत्थी सुलझी भी नहीं थी कि कुछ दिनों बाद जिला उपायुक्त किश्तवाड़ के अंगरक्षक से आतंकियों ने एके-47 राइफल व अन्य सामान छीन लिया। बीते माह की शुरुआत में आतंकियों ने आरएसएस नेता चंद्रकांत शर्मा व उनके अंगरक्षक की दिन दहाड़े हत्या कर दी। पुलिस और प्रशासन ने इन हत्याओं में लिप्त आतंकियों की निशानदेही करने का दावा किया। आतंकियों की तस्वीरों वाले पोस्टर भी जारी किए, इनाम भी घोषित किया गया, लेकिन नतीजा कुछ नहीं निकला। अलबत्ता, यह जरूर कहा जाता रहा कि आतंकी माडवा दच्छन में छिपे है या फिर कश्मीर भाग गए हैं। शुक्रवार को आतंकियों ने सुरक्षाबलों के काफिले पर पर हमला कर अपने दुस्साहस का परिचय दिया है। इस इलाके में आतंकियों की मौजूदगी इस बात की भी पुष्टि करती है कि उन्हें स्थानीय तौर पर मदद देने वाले मौजूद हैं।
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