Jammu Kashmir: जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने कहा- 4जी इंटरनेट राज्य शांति के लिए बड़ा खतरा
प्रदेश में 4जी इंटरनेट सेवा की बहाली से शरारती और राष्ट्रविरोधी तत्वों को अपनी साजिशों को अमलीजामा पहनाने व आतंकी गतिविधियों को आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी।
श्रीनगर, राज्य ब्यूरो। आतंकी और सरहद पार बैठे उनके सरगना सोशल मीडिया पर फर्जी खबरे डालकर जम्मू कश्मीर में हालात बिगाड़ने और लोगों को भड़काने का काम कर रहे हैं। यदि जम्मू-कश्मीर में 4जी स्पीड के साथ इंटरनेट सेवा शुरू होती है तो इसमें वृद्धि होगी। इसमें राज्य में अभी तक बने शांति के माहौल को नुकसान पहुंचा सकता है। यह तर्क केंद्र शासित जम्मू कश्मीर प्रदेश प्रशासन ने 4जी इंटरनेट सेवाओं को फिलहाल बंद रखे जाने के अपने फैसले को सही ठहराने का प्रयास करते हुए सुप्रीम कोर्ट में दिया है।
सुप्रीम कोर्ट में फाउंडेशन फॉर मीडिया प्रोफेशनल्स द्वारा जम्मू कश्मीर में 4जी इंटरनेट सेवाओं को बहाल करने संबंधी दायर याचिका पर अपना पक्ष रखते हुए प्रदेश प्रशासन ने कहाकि इस बात की पहले से ही आशंका थी कि जम्मू कश्मीर में आतंकी हिंसा को फैलाने, कानून व्यवस्था का संकट पैदा करने के लिए इंटरनेट के जरिए फर्जी वीडियो, तस्वीरें और भड़काऊ सामग्री को प्रचार किया जाएगा। इसके अलावा आतंकी संगठन व उनके आका राष्ट्रीय एकता व अखंडता को नुकसान पहुंचाने के लिए अपनी गतिविधियों को जारी रखने में इंटरनेट का पूरा लाभ उठाएंगे।
प्रदेश प्रशासन ने न्यायालय में दायर अपने हल्फनामे में बताया है कि द रजिस्टेंस फ्रंट टीआरएफ और तहरीक-ए-मिल्लत-ए-इस्लामी जैसे संगठन इंटरनेट के जरिए चलने वाली विभिन्न प्रकार की सोशल मीडिया की साइटों का इस्तेमाल कर ही हैं। वे इसके जरिए स्थानीय युवकों को आतंकी संगठनों में भर्ती होने का आह्वान भी कर रही हैं। यही नहीं घाटी में सक्रिय आतकियों का मनोबल भी सोशल मीडिया के जरिए बढ़ाया जा रहा है। प्रदेश् प्रशासन ने दावा किया है कि 2जी इंटरनेट सेवा के जरिए जहां आम लोगों को इंटरनेट की सुविधा मिल जाती है, वहीं शरारती तत्वों द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले एप्स और सोशल मीडिया पर किसी हद तक पाबंदी रहती है। प्रदेश में 4जी इंटरनेट सेवा की बहाली से शरारती और राष्ट्रविरोधी तत्वों को अपनी साजिशों को अमलीजामा पहनाने व आतंकी गतिविधियों को आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी। वे जम्मू कश्मीर में हालात बिगाड़ने और कानून व्यवस्था का संकट पैदा करने के लिए सोशल मीडिया व अन्य ऑनलाइन मंचों पर भड़काऊ सामग्री को तेजी से प्रेषित कर सकते हैं।
सुप्रीम कोर्ट में दायर अपने हल्फनामे में प्रदेश प्रशासन ने दावा किया है कि जम्मू कश्मीर में 25 अप्रैल तक हुई 108 आतंकी घटनाओं में से 99 कश्मीर घाटी में हुई हैं। जम्मू प्रांत में सिर्फ नौ आतंकी घटनाएं हुई। इस दौरान विभिन्न आतंकी हमलों में 30 नागरिक मारे गए जबकि 114 नागरिक जख्मी हुए। जम्मू कश्मीर में हालात बिगाड़ने के लिए सक्रिय तत्वों ने सुप्रीम कोर्ट को भी नहीं बख्शा।
बीते दिनों इन तत्वों ने सुप्रीम कोर्ट में इसी विषय में हुई सुनवाई का एक फर्जी आदेश जारी कर सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया था। इसमें कहा गया था कि जम्मू कश्मीर प्रशासन को 24 घंटे में 4जी इंटरनेट सेवा बहाल करने संबधी मामले की 24 घंटे में समीक्षा करने को कहा गया है। धोखाधड़ी, अदालत का फर्जी रिकार्ड तैयार करने और उसका इस्तेमाल करने संबंधी मामले साइबर पुलिस स्टेशन श्रीनगर में दर्ज किए गए हैं। हल्फनामे में यह भी बताया गया है कि कोविड-19 से संबधित मामलों, मौतों पर ही नहीं हुर्रियत नेता सईद अली शाह गिलानी, जेकेएलएफ चेयरमैन मोहम्मद यासीन मलिक की सेहत को लेकर भी बीते दिनों झूठी खबरें और अफवाएं फैलायी गई हैं। आतंकी मकबूल बट और अफजल गुरु की बरसी पर हड़ताल, 26 जनवरी को काला दिवस बनाने जैसी झूठी अपीलों को भी सोशल मीडिया पर शरारती तत्वों ने फैलाते हुए जम्मू ककश्मीर में हालात बिगाड़ने का प्रयास किया है।