Pampore Encounter: आत्मसमर्पण करने वाले आतंकी ने कही ये बात- सिर्फ झूठ और फरेब है आतंकवाद
खाबर सुल्तान ऐसा पहला आतंकी नहीं है जिसने सुरक्षाबलों के कहने पर आतंकवाद का रास्ता छोड़ा हो। इससे पहले भी स्थानीय आतंकी सुरक्षाबलों तथा परिजनों की अपील पर आतंकवाद का रास्ता का छोड़ मुख्यधारा में लौट आए हैं।सुरक्षाबलों ने ऑपरेशन मां चलाकर भी कई युवाओं को वापस लाया है।
श्रीनगर, राज्य ब्यूरो। 'आतंकवाद कुछ भी नहीं है, इसमें सिर्फ झूठ और फरेब है। युवाओं से झूठ बोलकर और उन्हें लालच देकर आतंकवाद में धकेला जा रहा है।' शुक्रवार को पुलवामा जिले के पांपोर में भीषण मुठभेड़ के दौरान सुरक्षाबलों के आगे हथियार डालने वाले आतंकी खाबर सुल्तान ने आतंकवाद की हकीकत सबके साथ रखी। खाबर ने न सिर्फ आतंकवाद से तौबा की बल्कि जिंदा पकड़ने पर सुरक्षाबलों का शुक्रिया अदा करते हुए कश्मीर के भटके युवाओं से भी मुख्यधारा में लौटने की अपील की।
पुलवामा जिले का पांपोर क्षेत्र जंग का मैदान बना था। एक घर के आसपास सुरक्षाबलों का घेरा और अंदर से आतंकी ताबड़तोड़ फायङ्क्षरग कर रहे थे। सुरक्षाबल भी गोली का जवाब गोली से देते हुए आतंकी ठिकाना बने घर के आसपास फंसे लोगों को सुरक्षित निकाल रहे थे। मुठभेड़ जारी थी और दो आतंकी व एक नागरिक की गोलाबारी में मौत हो चुकी थी। तभी सुरक्षाबलों को पता चला कि घर के अंदर अब केवल एक ही आतंकी बचा है और वह पांपोर का रहने वाला खाबर सुल्तान मीर पुत्र मोहम्मद सुल्तान मीर है।
काफी घबरा गया था खाबर :
फिर क्या था, सुरक्षाबलों ने उसे जिंदा पकडऩे के लिए अभियान शुरू किया। पुलिस के अधिकारियों ने लाउड स्पीकर पर आतंकी से आत्मसमर्पण करने को कहा। खाबर के दो साथी आतंकियों के शव उसके सामने पड़े थे और आसपास सुरक्षालों का कड़ा घेरा। बचने की कोई गुंजाइश नहीं थी। वह घबरा गया था। मौत उसके सामने थी। उसके पास दो ही रास्ते थे। पहला मौत और दूसरा आत्मसमर्पण कर नई जिंदगी की शुरुआत। खाबर ने दूसरा रास्ता चुना और वैसा करता गया जैसा पुलिस अधिकारी उसे करने के लिए कह रहे थे। खाबर से हथियार डाले और घर से बाहर बगीचे में आग गया। वीरवार शाम को शुरू हुई मुठभेड़ का 20 घंटे बाद सुखद अंत हुआ।
जिंदा बचने की चेहरे पर साफ झलक रही थी खुशी :
आतंकी खाबर ने आत्मसमर्पण किया तो उसके चेहरे पर सुरक्षाबलों की गोलीबारी से बचने की खुशी साफ दिख रही थी। खाबर ने कहा कि वह इसी साल सितंबर महीने में गुमराह होकर आतंकवाद की राह पर चल पड़ा था। आतंकियों ने उसे इस तरह से झूठ और फरेब में उलझाया था कि उसे समझ में ही नहीं आ रहा था कि वह क्या करे।
खाबर ने कहा, आज मैं सेना के जवानों और जम्मू-कश्मीर पुलिस का शुक्रगुजार हूं कि उन्होंने मुझे फिर से जिंदगी जीने का मौका दिया। उसने कश्मीर के भटके हुए अन्य युवाओं से भी अपील की कि वे झूठ और फरेब का रास्ता छोड़ मुख्यधारा में वापस लौट आएं।
अब तक कई आतंकी डाल चुके हथियार :
खाबर सुल्तान ऐसा पहला आतंकी नहीं है जिसने सुरक्षाबलों के कहने पर आतंकवाद का रास्ता छोड़ा हो। सुरक्षाबल कई बार मुठभेड़ स्थल पर आतंकियों के परिजनों को बुलाकर उनसे हथियार डालने की अपील करवा चुके हैं। इसके सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं।
मौजदा साल में भी कई आतंकियों ने हथियार डाले हैं। सुरक्षाबलों ने ऑपरेशन मां चलाकर भी कई युवाओं को मुख्यधारा में वापस लाया है। सैन्य अधिकारियों का कहना है कि उनका मकसद गुमराह हुए युवाओं को एक बार फिर से मुख्यधारा में वापस लाना है।
...यूं चला लाइव आत्मसमर्पण :
-पुलिस अधिकारी (लाउड स्पीकर पर) : बाहर निकलो, अगर पिस्तौल है तो उसे वहीं रख दो।
-आतंकी (घर में अंदर से) : ये (सुरक्षाबल) मुझे गोली तो नहीं मारेंगे।
-अधिकारी : नहीं-नहीं, मैं इधर ही हूं, आ जाओ बाहर।
-अधिकारी : मैं जिम्मेदारी लेता हूं, पिस्तौल उधर ही रख कर आ जाओ।
-आतंकी : हां... (हाथ ऊपर कर घर से बाहर निकलते हुए)
-अधिकारी : आ जाओ बाहर, कोई अंदर तो नहीं
-आतंकी : नहीं
-अधिकारी : कोई बात नहीं, बगीचे में आ जाओ
-आतंकी : क्या मैं अपने कपड़े उतारूं
-अधिकारी : पहले बाहर बगीचे में आ जाओ
-अधिकारी : आंगन में आ जाओ, डारो नहीं, ये सब अपने ही हैं, डरो मत...
-अधिकारी : जैकेट उतारो, तुम्हे गोली लगी है क्या?
-आतंकी : (घबराए हुए) आप कुछ करोगे तो नहीं
-अधिकारी : ना-ना, कोई कुछ नहीं करेगा, मैं भरोसा देता हूं।
-अधिकारी : अपना स्वेटर निकालो, शर्ट निकालो, तुम्हारे पास ग्रेनेड, पिस्तौल या कोई और चीज तो नहीं है।
-आतंकी : कुछ भी नहीं है। (तभी सुरक्षाबलों ने उसे सुरक्षित अपनी हिरासत में ले लिया)
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