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टेरर फंडिंग के जरिए आतंकवाद को दी जा रही ऑक्‍सीजन, आकाओं के बच्‍चे महफूज

रूपयों का लालच देकर कश्‍मीरी युवाओं को आतंकवाद में धकेल रहे आतंकवादी संगठन।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Wed, 03 Oct 2018 03:32 PM (IST)Updated: Wed, 03 Oct 2018 04:18 PM (IST)
टेरर फंडिंग के जरिए आतंकवाद को दी जा रही ऑक्‍सीजन, आकाओं के बच्‍चे महफूज
टेरर फंडिंग के जरिए आतंकवाद को दी जा रही ऑक्‍सीजन, आकाओं के बच्‍चे महफूज

जम्‍मू, (जागरण संवाददाता)। खाड़ी देशों और पाकिस्तान से हो रही टेरर फंडिंग कश्मीर में आतंकवाद को लगातार आक्सीजन देने का काम कर रही है। मोटी कमाई के लालच में जहां कई व्यापारी आतंकियों के लिए हवाला नेटवर्क का हिस्सा बन रहे हैं, वहीं सुरक्षाबलों के लिए भी यह एक बड़ी चुनौती बन गए हैं। इसके अलावा आतंकी संगठनों में स्थानीय युवकों की भर्ती के पीछे एक बड़ा कारण यही पैसा है। इसके साथ ही आतंकी संगठनों ने कश्मीर में अपनी गतिविधियों को आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी अब पुराने कमांडरों के बजाय नए कमांडरों को सौंपी है। इसके साथ ही दक्षिण कश्मीर और उत्त्तरी कश्मीर पर विशेष रुप से इन आतंकी संगठनों का ध्‍यान केंद्रित है। दक्षिण कश्मीर के यारीपोरा, कुलगाम, रेड़वनी, खुड़वनी, कोहमू, पुलवामा, राजपोरा, काकपोरा निहामा, त्राल, अवंतीपोर, शोपियां, जेनपोरा, केल्लर, हेफ-श्रीमाल, पिंजुपोरा  तो उत्तरी कश्मीर में पल्हालन से लेकर कुपवाड़ा तक हिज्ब, जैश, लश्कर व अल-बदर के आतंकी सक्रिय हैं।

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1990 से हो रही टेरर फंडिंग
कश्मीर में टेरर फंडिग का मामला बेशक बीते साल से लगातार सुर्खियां बटोर रहा रहा है। लेकिन कश्मीर में आतंकी हिंसा शुरु होने के साथ ही हवाला के जरिए टेरर फंडिंग का खेल 1990 से जारी है। कई बार सुरक्षा और ख़ुफिया एजेंसियों ने इस नेटवर्क से जुड़े कई लोगों को पकड़ा। लेकिन कोई भी मामला ज्यादा आगे नहीं बढ़ा। अलबत्ता वर्ष 2016 में कश्मीर में आतंकी बुरहान की मौत के बाद हुए हिंसक प्रदर्शनों के बाद हवाला कारोबार पर सुरक्षा एजेंसियों ने पुन: अपनी नजर  टेढ़ी की और छानबीन शुरु की। बीते एक साल के दौरान एनआईए ने कश्मीर और जम्मू के अलावा दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान व पंजाब में कश्मीर में टेररफंडिंग के सिलसिले में छापेमारी की है। शब्बीर शाह, नईम खान और बिटटा कराटे के अलावा कटटरपंथी सईद अली शाह गलानी के दामाद अल्ताफ फंतोश समेत करीब एक दर्जन कश्मीर के प्रमुख अलगाववादी इसी सिलसिले में बीते एक साल से तिहाड़ में बंद हैं। हवाला कारोबार में सिर्फ कश्मीर के अलगाववादी और कई व्यापारी ही नहीं बल्कि पंजाब व दिल्ली के भी कई कारोबारी भी लिप्त हैं। 

अब तक 12 लोग हुए गिरफ्तार
टेरर फंडिंग के तार देश में ढूंढ रही नेशनल इन्‍वेस्‍टीगेशन एजेंसी (एनआईए) ने टेरर फंडिंग के मामले में अब तक जम्‍मू-कश्‍मीर सहित दिल्‍ली, पंजाब में 25 से अधिक छापेमारी की है। यही नहीं इस मामले में संलिप्‍त पाए जाने पर 12 लोगों को गिरफ्तार भी किया है। इनमें घाटी से अलगाववादी संगठनों के नेताओं सहित दिल्‍ली, पंजाब के बड़े-बड़े व्‍यापारी शामिल हैं। अभी भी इस मामले में छापेमारी व छानबीन जारी है। पाकिस्‍तान में मौजूद हाफिज सईद के बेटे को भी एनआईए ने टेरर फंडिंग के ही मामले में गिरफ्तार किया हुआ है। 

टेरर फंडिग का जरिया
खाड़ी देशों से इस्लाम के प्रचार के लिए कश्मीर आने वाला पैसा, कालीन और दस्तकारी से जुड़े सामान की ओवर बिलिंग, क्रास एलओसी ट्रेड और दुनिया के विभिन्न हिस्सों में बसे कई कश्मीरी भी विभिन्न तरीकों से आतंक व अलगाववाद को जीवन देने के लिए पैसा कश्मीर पहुंचाने का जरिया हैं। एनआईए ने गत वर्ष दिल्‍ली और श्रीनगर में छापामारी कर करीब दो करोड़ रूपये बरामद किये थे। जब्‍त किए गए रूपयों में भारतीय करंसी के अलावा नेपाल और अमेरीकन डाॅलर भी शामिल थे।

जेहाद की लड़ाई घर के बाहर तक सीमित
कश्‍मीर में जेहाद की जंग के नाम पर अलगाववादी नेताओं ने अपने बच्‍चों, परिजनों को इससे कोसों दूर रखा हुआ है। हवाला के जरिये घाटी आ रहे रूपयों का लालच देकर युवाओं को आतंकवाद की आग में धकेल रहे इन अलगाववादी नेताओं के बच्‍चे या तो बाहरी राज्‍यों-विदेशों में बेहतर शिक्षा हासिल कर रहे हैं या फिर बिजनेस व सरकारी नौकरी कर रहे हैं। वयोवृद्ध अलगाववादी नेता सईद अली शाह गि‍लानी का बेटा डाक्‍टर है जबक‍ि तीनों बेटियां अच्‍छे घरों में ब्‍याही गई हैं। इसी तरह शब्‍बीर शाह जो टेरर फंडिंग मामले में जेल में है क‍ि पत्‍नी सरकारी डाक्‍टर है। नईम खान भी इन दिनों टेरर फंडिंग मामले में तेहाड़ जेल में है, उनकी पत्‍नी कश्‍मीर यूनिवर्सिटी में कार्यरत हैं। फारूक अहमद डार उर्फ बिटा कराटे भी इसी मामले में जेल में हैं, उनकी पत्‍नी राज्‍य प्रशासनिक सेवा में उच्‍च पद पर आसीन हैं। 


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