Jammu : तबादले के बाद भी नहीं बदले गए शिक्षक, नौ महीने के बाद भी नई नियुक्ति नहीं
फरवरी महीने में वार्षिक तबादला अभियान के तहत कई शिक्षकों को उनकी इच्छा के तहत तबादला भी कर दिया गया लेकिन नाै महीने बीत जाने के बाद भी उन शिक्षकों को पुराने स्कूलों से रिलीव नहीं किया और वे अभी भी वहीं बैठकर अपने तबादले का इंतजार कर रहे हैं।
जम्मू, जागरण संवाददाता : शिक्षा विभाग में तबादला नीति काे पारदर्शी बनाने के लिए शुरू किया गए वार्षिक तबादला अभियान यानि एनुअल ट्रांसफर ड्राइव भी विवादों के घेरे में आ गया है। इस अभियान के तहत इच्छुक शिक्षकों से तबादलों के लिए आवेदन मांगे थे और आवेदनों के आधार पर शिक्षकों के तबादले भी कर दिए गए। फरवरी महीने में वार्षिक तबादला अभियान के तहत कई शिक्षकों को उनकी इच्छा के तहत तबादला भी कर दिया गया, लेकिन नाै महीने बीत जाने के बाद भी उन शिक्षकों को पुराने स्कूलों से रिलीव नहीं किया और वे अभी भी वहीं बैठकर अपने तबादले का इंतजार कर रहे हैं।
शिक्षा विभाग ने इस अभियान को विभाग में तबादलों को पारदर्शी बनाने के लिए किया था। विभाग के पूर्व प्रमुख सचिव बीके सिंह ने यह अभियान उन शिक्षकों को देखते हुए शुरू किया था जो वर्षों से अपने घरों से दूर स्कूलों में बैठे हैं। इनमें अधिकतर वे शिक्षक हैं जो रसूख नहीं रखते हैं और उस कारण उनके तबादले भी नहीं हो रहे थे। इसके अलावा इस अभियान के तहत उन शिक्षकों को भी लाभ मिलने वाला था जो या तो किसी गंभीर बीमारी से ग्रस्त हैं या वे महिला शिक्षक शामिल हैं जिनकी शादी दूसरे जिलों में हो चुकी हैं।
इस अभियान को लेकर जनरल लाइन टीचर्स एसोसिएशन के प्रधान नीरज शर्मा का कहना है कि अब ताे लोग उन शिक्षकों का मजाक भी उड़ाने लगे हैं जो फरवरी महीने से पुराने स्कूलों से नए स्कूलों में जाने की खुशी मना रहे थे। अब तो उन शिक्षकों के सहयोगी भी मजाक उड़ाने लगे हैं कि उनके तबादले का क्या हुआ और उनको वे कब फेयरवेल पार्टी देकर विदा करें। वहीं टीचर्स फोरम के प्रांतीय प्रधान कुलदीप सिंह बंदराल का कहना है कि यह बहुत अच्छा कदम था।
विभाग ने एटीडी के तहत दो बार आवेदन मांगे थे। उम्मीद थी कि दूसरी सूची के आने पर पहली सूची में शामिल शिक्षकों को नई नियुक्ति पर भेज दिया जाएगा लेकिन ऐसा अभी तक हुआ नहीं। उन्होंने कहा कि वे इस संदर्भ में विभाग के आला अधिकारियों से भेंट करेंगे।